उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को बड़ा झटका लगा है। दावा किया जा रहा है कि पार्टी के लगभग 200 मुस्लिम नेताओं और पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर संगठन की नींव को हिला दिया है।
इन नेताओं का कहना है कि वे अब राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे। इस्तीफा देने वाले अधिकतर नेता सुभासपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से जुड़े हुए थे, जो अब पार्टी नेतृत्व से पूरी तरह नाखुश नजर आ रहे हैं।
इन पदाधिकारियों ने सुभासपा के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व संगठन मंत्री जाफर नकवी ने कहा कि पार्टी में मुस्लिम समुदाय को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है और उनकी आवाज दबाई जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब मजारों और वैध मदरसों पर कार्रवाई की जा रही थी, तब भी ओपी राजभर ने चुप्पी साधे रखी और मुसलमानों के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया।
जाफर नकवी और अन्य नेताओं का कहना है कि ओपी राजभर ने मंत्री पद की महत्वाकांक्षा में मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की अनदेखी की है। उनका आरोप है कि राजभर अब ऐसी राजनीति कर रहे हैं, जो अल्पसंख्यकों के हितों के विपरीत है। इस्तीफा देने वालों का यह भी कहना है कि सुभासपा अब उस रास्ते से भटक चुकी है, जिसके तहत पिछड़े और वंचित समाज के लिए आवाज उठाई जाती थी।
पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सुभासपा में अब सिर्फ सत्ता की राजनीति रह गई है, और ओम प्रकाश राजभर अब केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए फैसले ले रहे हैं। इस्तीफा देने वालों ने कहा कि पार्टी की मौजूदा दिशा मुस्लिम समुदाय को हाशिये पर ढकेल रही है जिससे वे अब खुद को अलग करना जरूरी समझते हैं।
इस सामूहिक इस्तीफे से सुभासपा को बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय में उसकी पकड़ कमजोर हो सकती है। अब देखना होगा कि ओपी राजभर इस स्थिति से पार्टी को कैसे उबारते हैं।