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दुबग्गा भेड़ मौत मामला: सीएम योगी की पहल, 8.70 लाख मुआवजा वितरित, जहरीली घास बनी वजह

Dubagga Sheep Death Compensation: लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र में भेड़ों की मौत के मामले में सरकार ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच के साथ-साथ पीड़ित पशुपालक परिवारों को 8 लाख 70 हजार रुपये की सहायता राशि वितरित की गई है। पोस्टमार्टम में जहरीली घास वजह सामने आई है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 30, 2025

पीड़ित परिवारों को मिली 8 लाख 70 हजार रुपये की सहायता, जांच जारी (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

पीड़ित परिवारों को मिली 8 लाख 70 हजार रुपये की सहायता, जांच जारी (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

Sheep Deaths in Lucknow Dubagga: लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र में भेड़ों की अचानक हुई मौत के मामले में प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस गंभीर घटना का संज्ञान लिए जाने के बाद न सिर्फ जांच के आदेश दिए गए, बल्कि पीड़ित पशुपालक परिवारों को तत्काल आर्थिक राहत भी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्रति भेड़ 10 हजार रुपये की सहायता राशि तय की गई, जिसके तहत अब तक कुल 8 लाख 70 हजार रुपये की धनराशि प्रभावित परिवारों को वितरित कर दी गई है।

रोजी-रोटी का संकट

यह घटना दुबग्गा क्षेत्र के कई पशु पालक परिवारों के लिए गहरे संकट का कारण बनकर सामने आई थी। भेड़ पालन पर निर्भर इन परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन अचानक खत्म हो जाने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग और स्थानीय अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और राहत कार्य शुरू किए।

मुख्यमंत्री  स्पष्ट निर्देश दिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि भेड़ों की मौत के वास्तविक कारणों की गहन जांच कराई जाए और पीड़ितों को किसी भी हाल में अनदेखा न किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए मुआवजा वितरण की प्रक्रिया पूरी की। अधिकारियों के अनुसार कुल 87 भेड़ों की मौत की पुष्टि हुई, जिसके आधार पर 8 लाख 70 हजार रुपये की सहायता राशि सीधे पीड़ित परिवारों को दी गई है।

 जहरीली घास के सेवन से भेड़ों की मौत

पशुपालन विभाग द्वारा मृत भेड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें प्रारंभिक रिपोर्ट में जहरीली घास के सेवन से भेड़ों की मौत होने की बात सामने आई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राम प्रकाश सचान ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार भेड़ों के पेट में जहरीली घास के अंश पाए गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि खुले मैदान या चारागाह में उगी किसी विषैली घास को खाने से यह हादसा हुआ।

डॉ. राम प्रकाश सचान ने बताया कि पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए संदिग्ध घास के नमूने प्रयोगशाला भेजे गए हैं। लैब रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि कौन सी घास भेड़ों के लिए घातक साबित हुई। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट मिलते ही आगे की रोकथाम और जागरूकता के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी बढ़ी 

प्रशासन की ओर से दुबग्गा और आसपास के इलाकों में पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी बढ़ा दी गई है। पशु चिकित्सकों की टीमें गांव-गांव जाकर भेड़ों और अन्य पशुओं की जांच कर रही हैं। साथ ही पशुपालकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने पशुओं को खुले और अनजान चारागाहों में चराने से बचें तथा किसी भी प्रकार की असामान्य स्थिति दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। जिला प्रशासन ने यह भी निर्देश दिए हैं कि संबंधित क्षेत्र में उगने वाली घास और चारे की पहचान कराई जाए और यदि कोई विषैली घास पाई जाती है तो उसे तत्काल हटाया जाए। इसके अलावा पशुपालकों को सुरक्षित चारा उपलब्ध कराने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।

पीड़ित परिवारों मुआवजा मिलने पर  जताया संतोष

पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई और मुआवजा वितरण पर संतोष जताया है। उनका कहना है कि भले ही इस सहायता से नुकसान की पूरी भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन सरकार की संवेदनशीलता से उन्हें बड़ी राहत मिली है। कई पशुपालकों ने बताया कि भेड़ों की मौत से वे पूरी तरह टूट चुके थे, लेकिन समय पर मिली आर्थिक मदद से उन्हें दोबारा खड़े होने की उम्मीद जगी है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन के तुरंत ऐक्शन सराहना  की

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने भी प्रशासन की कार्रवाई की सराहना की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते मुआवजा न मिलता तो कई परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो जाता। ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए स्थायी व्यवस्था की जाए और पशुपालकों को नियमित प्रशिक्षण और जानकारी दी जाए। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह मामला सरकार की प्राथमिकता में है और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि जांच में किसी प्रकार की मानव लापरवाही या चारे की आपूर्ति में गड़बड़ी सामने आती है तो संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।