Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पी फॉर पंडित जी, पत्रकार या पिछड़ा? अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले को लेकर क्या कहा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक नया मोड़ लाते हुए PDA फॉर्मूले में बदलाव किया है। पहले जहां PDA का अर्थ पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताया गया था, अब अखिलेश ने ‘पी’ का दूसरा मतलब बताया है। आइए जानते हैं।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Prateek Pandey

Apr 29, 2025

Akhilesh Yadav PDA Formula

PDA में 'पिछड़ा' के बाद अब पत्रकार और 'पंडित जी'

अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले में पी का मतलब ‘पंडित जी’ बताते हुए ब्राह्मण समाज को इस समीकरण में जोड़ने का संकेत दिया है। एक इंटरव्यू में अखिलेश ने अपने पीडीए फॉर्मूले को लेकर बात की। हाल ही में उन्होंने पी का मतलब पत्रकार भी बताया था।

2024 में कारगर हुआ था PDA फॉर्मूला

2024 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को बड़ी सफलता PDA फॉर्मूले की रणनीति से ही मिली थी। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर भाजपा की सालों से चली आ रही बढ़त को करारा झटका दिया था। इस जीत के बाद से ही राजनीतिक विश्लेषक यह समझने में लगे थे कि आखिर PDA की असली रणनीति क्या है।

PDA में अब पत्रकार और 'पंडित जी'

हाल ही में एक इंटरव्यू में जब अखिलेश यादव से PDA फॉर्मूले की व्याख्या को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब में कहा कि यह हमारा खुद का मॉडल है और हम इसमें समय-समय पर जरूरत के मुताबिक बदलाव करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि PDA में अब पत्रकार और 'पंडित जी' यानी ब्राह्मण समाज भी शामिल हैं।

ब्राह्मण समाज को साधने की तैयारी में अखिलेश?

इस बयान ने राजनीतिक हलचलों को तेज कर दिया है। यह माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण समाज को साधने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी के रणनीतिकार अब इस वर्ग को भी अपने पाले में लाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: ‘आकाश आनंद के मामले में कुछ लोग…’, भड़क उठीं मायावती, दनादन किए सोशल मीडिया पोस्ट

इन बातों से कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव अब अपनी पार्टी को केवल OBC और मुस्लिम वोट बैंक तक सीमित नहीं रखना चाहते। अखिलेश ब्राह्मण समुदाय की भागीदारी को बढ़ाकर समाजवादी पार्टी के सामाजिक आधार को फैलाना चाहते हैं। पहले भी विपक्षी दलों ने इस फॉमूले पर प्रतिक्रिया दी है और इसे सियासी छल बताते हुए कहा है कि यह सिर्फ चुनावी लाभ के लिए किया गया एक दिखावा है।

अब यह देखना रोचक होगा कि अखिलेश यादव की यह रणनीति कितना असर डालती है और क्या वह 2027 में ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाने में सफल हो पाते हैं या नहीं। लेकिन इतना तय है कि PDA का यह नया संस्करण उत्तर प्रदेश की सियासत में बहस का विषय जरूर बन गया है।