तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे टीएमसी और उसके नेताओं की हताशा और निराशा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने कभी पश्चिम बंगाल में वामपंथी हिंसा के खिलाफ आवाज उठाकर एक विकल्प के रूप में उभरने का दावा किया था, लेकिन आज उनकी पार्टी हिंसा को ही अपना हथियार बना रही है। इस तरह के बयान किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हैं और यह टीएमसी की बौखलाहट को दर्शाता है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा संगठन में 75 साल की उम्र सीमा को खारिज करने के बयान पर भी राकेश त्रिपाठी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा।
राकेश त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा, "जिस व्यक्ति ने अपनी पार्टी का अध्यक्ष पद हड़प लिया, वह अब संन्यास की बात कर रहा है? अगर उनकी पार्टी में लोकतंत्र होता, तो उनकी बात का कुछ वजन होता, लेकिन सपा तो राजतंत्र की तरह चल रही है। अखिलेश यादव का यह बयान उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता को और कमजोर करता है।"
राकेश त्रिपाठी ने कांग्रेस पार्टी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियां अत्यंत निंदनीय हैं। लोकतंत्र में इस तरह की भाषा के लिए कोई जगह नहीं है। कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों की जुगलबंदी ने अराजकता को बढ़ावा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में एक ऐसी होड़ मची है जिसमें नेता यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन सबसे ज्यादा अपशब्द बोल सकता है।
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए राकेश त्रिपाठी ने कहा कि वह हर दिन भाषा की मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं। कांग्रेस में अब पद पाने की योग्यता सिर्फ अपशब्द बोलने की क्षमता बन गई है।
वहीं, राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए सपा नेता अखिलेश यादव के पटना पहुंचने पर भी राकेश त्रिपाठी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पिछलग्गू बन रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि उनका अब कोई राजनीतिक वजूद नहीं बचा है।"