BJP MLA Yogesh Shukla Police Corruption: लखनऊ के महिगवां थाना क्षेत्र में भाजपा विधायक योगेश शुक्ला ने दो पुलिसकर्मियों पर रिश्वतखोरी और जनता को डराने-धमकाने के आरोप लगाए। शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों को लाइन हाजिर किया और जांच शुरू कर दी है। आरोपों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
BJP MLA Accused Lucknow Police of Corruption; राजधानी लखनऊ के महिगवां पुलिस स्टेशन में गुरुवार को तब हलचल मच गई, जब बख्शी का तालाब क्षेत्र से भाजपा विधायक योगेश शुक्ला ने वहां पहुंचकर पुलिसकर्मियों पर रिश्वतखोरी और आम जनता को डराने-धमकाने के गंभीर आरोप लगा दिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए लखनऊ पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया और मामले की औपचारिक जांच शुरू कर दी है।
65 वर्षीय विधायक योगेश शुक्ला ने बताया कि दो स्थानीय निवासियों की तरफ से उन्हें लगातार पुलिस की कथित मनमानी और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। पहले उन्होंने थाने को फोन कर मामले में स्पष्टीकरण लेने की कोशिश की, पर जब बात नहीं बनी, तो वे खुद थाने पहुंचने के लिए मजबूर हुए। शुक्ला का कहना है कि उन्होंने थाने में किसी तरह का प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि वे सिर्फ दो पुलिसकर्मियों, एक सब-इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों कर्मचारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर जनता को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे थे।
घटना की जानकारी मिलने के बाद लखनऊ पुलिस प्रशासन हरकत में आया। लखनऊ के एएसपी (नॉर्थ) अमोल मुर्कुट (IPS) ने पुष्टि की कि दो पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया गया है। साथ ही जांच के लिए एसीपी बख्शी का तालाब ज्ञानेंद्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोप गंभीर हैं और मामले का निष्पक्ष जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
विधायक के मुताबिक, सबसे पहले एक स्थानीय निवासी उनसे मिलने पहुंचा था। उस व्यक्ति ने बताया कि पुलिस स्टेशन की ओर से उसे फोन आया कि उसका चोरी हुआ मोबाइल फोन बरामद हो गया है। परंतु जब वह फोन लेने थाने पहुंचा, तो एक कांस्टेबल ने उससे 2,000 रुपये रिश्वत की मांग की। विधायक शुक्ला ने बताया कि उन्होंने तुरंत इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई। पर मामला यहीं नहीं रुका, जब पीड़ित दोबारा फोन लेने गया, तो कथित रूप से उसे धमकाया गया और कहा गया कि “ऐसा कोई फोन मिला ही नहीं”।
दूसरा मामला एक युवक से जुड़ा था, जो स्थानीय प्रधान का रिश्तेदार बताया जा रहा है। युवक अपनी मोटरसाइकिल चला रहा था और उसके पास सभी दस्तावेज मौजूद थे, साथ ही हेलमेट भी पहने था। इसके बावजूद एक सब-इंस्पेक्टर ने उसका चालान कर वाहन को जब्त कर लिया। प्रधान और युवक ने इसकी शिकायत विधायक से की। शुक्ला ने पुलिस से बात की, जिसके बाद पुलिस ने माना कि चालान गलत तरीके से किया गया था। हालांकि, एक बार वाहन जब्त हो जाने के बाद उसे छुड़ाने के लिए अदालत की प्रक्रिया पूरी करना अनिवार्य था। विधायक के अनुसार, इसके बावजूद पुलिस ने लगातार सात दिनों तक रिपोर्ट कोर्ट को भेजने में देरी की, जिससे वाहन के मालिक को थाने और अदालत के बीच चक्कर काटने पड़े और कोई समाधान नहीं मिला।
इन दोनों घटनाओं के बाद, विधायक शुक्ला अपने सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ महिगवां थाना पहुंचे। उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की और बताया कि जनता कैसे परेशान हो रही है। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने विवादित दोनों कर्मियों को तत्काल हटाकर लाइन भेज दिया और जांच शुरू कर दी।
विधायक शुक्ला ने आगे यह भी दावा किया कि कई अन्य स्थानीय लोग भी उन्हें बता चुके हैं कि पुलिसकर्मी कथित तौर पर चालान के अंतर्गत एक तरह के लक्ष्य (टारगेट) को पूरा करने के लिए वाहनों का अनावश्यक रूप से चालान कर रहे हैं-even जब वाहन चालक के पास सभी कागजात मौजूद हों। उन्होंने कहा कि यदि यह आरोप सही है, तो यह बेहद चिंताजनक स्थिति है और इसे रोकना जरूरी है। उनका कहना था, “पुलिस को अपनी कमियों को सुधारने की जरूरत है। जनता को परेशान करना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
याद रहे कि योगेश शुक्ला बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक करियर में पहली बार 2022 के विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुए। उन्हें भाजपा संगठन में लंबे समय तक विभिन्न भूमिकाएँ निभाने के लिए जाना जाता है, जिनमें भारतीय युवा मोर्चा की जिम्मेदारियां भी शामिल हैं। वे छात्र राजनीति से सक्रिय रहे और एक समय गांव के प्रधान भी रहे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे कभी किसी अन्य राजनीतिक दल से नहीं जुड़े।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर पुलिस की छवि और कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि आरोप सत्य साबित होते हैं, तो यह न केवल पुलिस प्रशासन की कमजोरी है, बल्कि इससे जनता के बीच पुलिस की भरोसेमंदी पर भी असर पड़ सकता है। विधायक का थाने पहुंचकर अधिकारियों से जवाब मांगना यह संकेत देता है कि स्थानीय प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की समस्याओं को गंभीरता से ले रहे हैं। वहीं, पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई और जांच शुरू करना भी प्रशासन की जवाबदेही की ओर इशारा करता है।
मामले की जांच जारी है। एसीपी ज्ञानेंद्र सिंह जल्द ही अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपेंगे। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों पर सख्त विभागीय कार्रवाई की संभावना है। उधर, विधायक शुक्ला ने कहा है कि यदि आगे भी इस तरह की शिकायतें आती हैं, तो वे खुद निगरानी करेंगे और आवश्यक होने पर उच्च अधिकारियों से भी मुद्दा उठाएंगे।