Lucknow encroachment drive: लखनऊ के वजीरगंज क्षेत्र में शनिवार सुबह प्रशासन ने शिक्षा भवन के पीछे स्थित मलिन बस्ती पर बुलडोजर चलाया। अवैध कब्जे हटाने की इस कार्रवाई में कई परिवार बेघर हो गए। लोगों की आंखों में आंसू थे, जब उन्होंने अपने आशियाने को मलबे में तब्दील होते देखा।
Bulldozer Action in Lucknow: राजधानी लखनऊ में एक बार फिर प्रशासन का “बाबा का बुलडोज़र” चला। थाना वजीरगंज क्षेत्र में स्थित शिक्षा भवन के पीछे की मलिन बस्ती को प्रशासनिक टीम ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई अवैध निर्माण और कब्जे को लेकर की गई, जिसे लेकर इलाके में अफरा-तफरी और तनाव का माहौल देखने को मिला। इस कार्रवाई के दौरान कई परिवारों के घर मलबे में तब्दील हो गए और लोग अपने आशियाने उजड़ते हुए बेबस नज़रों से देखते रहे।
मामले की जानकारी के अनुसार, शिक्षा भवन के पीछे स्थित इस बस्ती में पिछले कई वर्षों से दर्जनों परिवार रह रहे थे। प्रशासन के अनुसार, यह भूमि सरकारी अभिलेखों में मेडिकल कॉलेज परिसर से संबंधित बताई गई है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बार-बार पत्राचार कर यह भूमि खाली कराने की मांग की थी। मौके पर मौजूद कॉलेज की ओर से आए एडवोकेट ज्ञान सिंह ने बताया कि इस बस्ती को तीन बार नोटिस जारी किया गया था, लेकिन इसके बाद भी अवैध कब्जा जारी रहा। इसलिए 6 अक्टूबर 2025 को कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रशासनिक कार्रवाई की गई।”
सुबह करीब 8 बजे प्रशासनिक अमला बुलडोजर और पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचा। लोगों को पहले घर खाली करने के लिए चेतावनी दी गई और थोड़ी ही देर बाद बुलडोज़र चलना शुरू हुआ। देखते ही देखते कई घर और झोपड़ियां मलबे में तब्दील हो गईं। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात था ताकि कोई अप्रिय स्थिति न पैदा हो। महिला पुलिसकर्मी भी मौके पर मौजूद रहीं, जिन्होंने बस्ती की महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की।
कार्रवाई के बाद बस्ती के कई परिवार बेघर हो गए। लोग अपने टूटे सामान, बिखरे कपड़े और बच्चों के खिलौनों के बीच अपने उजड़े घरों को देख आंसू बहाते रहे। कई लोगों ने कहा कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक आवास नहीं दिया गया और न ही पहले से कोई ठोस व्यवस्था की गई थी। बस्ती निवासी सविता देवी ने रोते हुए बताया कि हम यहां पिछले बीस साल से रह रहे थे। दो बार नोटिस जरूर आया, पर कहीं जाने की जगह नहीं थी। अब सब कुछ उजड़ गया।
इस कार्रवाई के संबंध में प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह भूमि लंबे समय से अवैध कब्जे में थी। यहां न तो रहने की कोई वैध अनुमति थी और न ही भूमि के स्वामित्व के कोई दस्तावेज। सहायक नगर आयुक्त (क्षेत्र-4) ने बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह नियमानुसार की गई है। पहले नोटिस जारी किया गया था, फिर सुनवाई का मौका भी दिया गया। लेकिन जब अवैध कब्जा नहीं हटा, तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित लोगों को सरकारी योजनाओं के तहत आवास के लिए आवेदन करने की सलाह दी गई है।
कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस ने स्थिति संभाल ली। कुछ महिलाओं ने प्रशासनिक अफसरों से समय की मोहलत मांगी, पर कानूनी प्रक्रिया के चलते किसी को राहत नहीं दी जा सकी। स्थानीय समाजसेवी अरविंद मिश्रा ने कहा कि सरकार अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, यह ठीक है। लेकिन इन गरीब परिवारों को अचानक उजाड़ देना अमानवीय है। प्रशासन को पहले इनके पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
लखनऊ में हाल के महीनों में अवैध निर्माणों और कब्जों के खिलाफ कार्रवाई तेज़ हो गई है। इससे पहले अकबर नगर, ऐशबाग और मेडिकल कॉलेज परिसर के कई हिस्सों में बुलडोजर चलाया जा चुका है। सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य में अवैध कब्जों पर रोक लगाने और सार्वजनिक भूमि को मुक्त कराने के लिए उठाया जा रहा है।
हालांकि, इन कार्रवाइयों के बीच पुनर्वास की व्यवस्था सबसे बड़ा सवाल बनकर उभर रही है। जिन लोगों के घर टूटे, वे अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। कई परिवार पास के पार्कों और खाली मैदानों में अस्थायी तौर पर डेरा डाले हुए हैं। स्थानीय निवासी राजकुमार यादव ने कहा कि प्रशासन ने हमें उजाड़ तो दिया, लेकिन अब सिर पर छत नहीं है। बच्चे खुले में हैं। कम से कम कुछ दिन की मोहलत दे देते।
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान के बाद आसपास के अन्य अवैध निर्माणों का सर्वे कराया जा रहा है। जिनके पास वैध दस्तावेज़ नहीं होंगे, उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दावा किया है कि इस भूमि को खाली कराए जाने के बाद यहां पार्किंग एरिया और कर्मचारी आवास बनाने की योजना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में अवैध कब्जों और निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई एक पहचान बन चुकी है। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई किसी वर्ग या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और शहरी विकास नीति का हिस्सा है।