Chambal world of crime Kusuma Nain: चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रही कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का लखनऊ पीजीआई में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 20 वर्षों से आजीवन कारावास की सजा काट रही थीं और लंबे समय से टीबी से ग्रसित थीं। आत्मसमर्पण के बाद जेल में रहते हुए उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया था।
Chambal crime Kusuma Nain: कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रही कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का आज लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह पिछले 20 वर्षों से इटावा जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रही थीं और लंबे समय से टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित थीं।
कुसुमा नाइन: एक परिचय
कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में हुआ था। उनके पिता गांव के प्रधान थे, जिससे उनका बचपन सुखद रहा। लेकिन तेरह वर्ष की उम्र में गांव के एक युवक माधव मल्लाह से प्रेम संबंध के चलते उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। माधव मल्लाह के साथ भागने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और परिवार ने उनकी शादी कहीं और कर दी। बाद में, माधव मल्लाह ने विक्रम मल्लाह के गिरोह में शामिल होकर कुसुमा को ससुराल से उठाकर चंबल के बीहड़ों में ले गया, जहां से कुसुमा की डकैत जीवन की शुरुआत हुई।
अपराध की दुनिया में उदय
चंबल के बीहड़ों में कुसुमा नाइन ने विक्रम मल्लाह के गिरोह में शामिल होकर अपराध की दुनिया में कदम रखा। वह हथियार चलाने में माहिर हो गईं और धीरे-धीरे उनकी क्रूरता के किस्से फैलने लगे। उन्होंने अपहरण, लूटपाट, हत्या जैसी कई जघन्य अपराधों को अंजाम दिया। उनकी दुश्मनी कुख्यात डकैत फूलन देवी से भी रही, जिसके चलते उन्होंने कई मल्लाहों की हत्या की थी।
आत्मसमर्पण और सजा
जून 2004 में, कुसुमा नाइन ने मध्य प्रदेश के भिंड जिले में बिना शर्त आत्मसमर्पण किया। इसके बाद से वह इटावा जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रही थीं। जेल में रहते हुए, उन्होंने आध्यात्मिकता की ओर रुख किया और अन्य कैदियों को गीता और रामायण का पाठ कराने लगीं।
बीमारी और निधन
पिछले एक महीने से कुसुमा नाइन टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। 31 जनवरी को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। आज लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
पुलिस की कार्रवाई
निधन के बाद, पुलिस ने कुसुमा नाइन के शव को उनके परिजनों को सौंप दिया है। इटावा जेल अधीक्षक कुलदीप सिंह ने इस संबंध में जानकारी दी।
कुसुमा नाइन का जीवन अपराध, क्रूरता और बाद में आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने की कहानी है। उनकी मौत के साथ ही चंबल के बीहड़ों के एक युग का अंत हो गया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सीख के रूप में रहेगा।