Birsa Munda Jayanti: लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर “जनजाति भागीदारी उत्सव” का शुभारंभ किया। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ढोलक बजाकर उत्सव की शुरुआत की और कहा कि जनजातीय समाज भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जिसने सदियों से परंपरा को जीवित रखा।
Birsa Munda Jayanti 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सोमवार को जनजातीय संस्कृति, परंपरा और गौरव के रंगों में सराबोर रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर में “जनजाति भागीदारी उत्सव” का शुभारंभ करते हुए न सिर्फ ढोलक की थाप से कार्यक्रम की शुरुआत की, बल्कि कहा कि “जनजातीय समाज भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जिसने हजारों वर्षों तक प्रकृति और परंपरा के संतुलन को बनाए रखा।” यह विशेष उत्सव भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है, जो 13 से 18 नवंबर 2025 तक चलेगा। इसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनजातीय समूहों के लोक कलाकार, कारीगर, छात्र और प्रतिनिधि अपनी कला, संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम के आरंभ में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि भारतीय जनजातीय गौरव के प्रतीक हैं। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जिस साहस और संगठन के साथ आंदोलन किया, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा ने समाज को आत्मसम्मान और स्वाभिमान का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए संघर्ष करना ही सच्ची स्वतंत्रता है।”
कार्यक्रम की सबसे खास झलक तब देखने को मिली जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच पर ढोलक की थाप बजाकर उत्सव का उद्घाटन किया। ढोलक की गूंज और जनजातीय कलाकारों के पारंपरिक नृत्य ने सभागार में उत्साह का माहौल बना दिया। मुख्यमंत्री के साथ मंच पर प्रदेश सरकार के कई मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। ढोलक की ताल पर जनजातीय कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर पूरे सभागार को झूमने पर मजबूर कर दिया।
यह आयोजन केंद्र सरकार के जनजातीय गौरव सप्ताह का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे “जनजाति भागीदारी उत्सव” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ताकि राज्य के विभिन्न जनजातीय समूहों को मुख्यधारा से जोड़ते हुए उनके योगदान को सम्मान दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की नीति स्पष्ट है,कोई भी समुदाय विकास की प्रक्रिया से अछूता न रहे। जनजातीय समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास की मुख्यधारा से जोड़ना हमारा संकल्प है। इस अवसर पर जनजातीय छात्र-छात्राओं, कलाकारों और उद्यमियों को सम्मानित किया गया।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में लगे सांस्कृतिक और हस्तशिल्प प्रदर्शनी में जनजातीय कला और संस्कृति की झलक देखने को मिली। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनजातीय समूहों ने अपने लोक उत्पाद, परिधान, आभूषण और खाद्य सामग्री का प्रदर्शन किया। लकड़ी की कलाकृतियां, बाँस के शिल्प, पारंपरिक मिट्टी के बर्तन और हस्तनिर्मित कपड़े विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही, जनजातीय लोक नृत्य , पाऔका, करमा, सरहुल और मांदर नृत्य ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति का मूल तत्व ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। जनजातीय समाज ने सदैव प्रकृति की पूजा की और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखा। आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की बात कर रही है, तब हमारे जनजातीय भाई-बहन सदियों से इस संतुलन के प्रतीक हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार जनजातीय समाज को राष्ट्रीय गौरव के केंद्र में रखा गया है। बिरसा मुंडा जयंती को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाना इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं,जनजातीय बहुल क्षेत्रों में आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों की स्थापना। महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के तहत जनजातीय महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं। आदिवासी हस्तशिल्प उत्पादों के लिए विपणन केंद्रों का निर्माण। जनजातीय युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम। उन्होंने कहा कि यह उत्सव सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि समावेशी विकास की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
इस छह दिवसीय उत्सव में देशभर के जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम में झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और असम से आए दलों ने भाग लिया। कार्यक्रम में प्रदर्शनी, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, जनजातीय कला प्रतियोगिता, लोक संगीत और जनजागरण सभाएं आयोजित की जा रही हैं। प्रदेश के सभी जनपदों से विद्यालयों के बच्चे भी समूह में इस आयोजन को देखने पहुंचे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने हमें आत्मबल, त्याग और संघर्ष की प्रेरणा दी। हमें उनके आदर्शों पर चलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जहाँ कोई भी वंचित या उपेक्षित न रहे। उन्होंने जनजातीय कलाकारों को प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि सरकार उनके उत्पादों के लिए स्थायी बाजार व्यवस्था और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराएगी।