Yogi Government Climate Action: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पराली जलाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए वर्ष 2025-26 में ‘शून्य घटनाओं’ का लक्ष्य तय किया है। सीएम ने जिलाधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसान जागरूकता, सैटेलाइट निगरानी और सख्त कार्रवाई के माध्यम से पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त किया जाए।
CM Yogi Adityanath Action: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया है। सीएम ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह ‘शून्य’ स्तर पर लाया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य न केवल प्रदूषण नियंत्रण है, बल्कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों से जोड़कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस पहल करना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है, बल्कि यह जनस्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। इसके कारण हवा में घुलने वाले कण और धुआं श्वसन रोगों, आंखों की जलन, अस्थमा और हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ाते हैं।
सीएम ने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और कृषि विभाग के कर्मियों को निर्देश दिया है कि पराली जलाने के मामलों पर “ज़ीरो टॉलरेंस नीति” अपनाई जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष किसी भी जिले से पराली जलाने की रिपोर्ट नहीं आनी चाहिए, इसके लिए समन्वित रणनीति बनाई जाए। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि फसल अवशेष जलाना पर्यावरण और जन स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है। हमें सामूहिक प्रयासों से इस प्रवृत्ति को समाप्त करना होगा।
सरकार ने किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। कृषि विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि गांव-गांव जाकर फसल अवशेष प्रबंधन उपकरणों जैसे हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, रोटावेटर, ज़ीरो टिल सीड ड्रिल आदि के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
इसके साथ ही, कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) और कृषि यंत्र बैंक के माध्यम से छोटे किसानों को ये उपकरण रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। किसानों को यह भी बताया जाएगा कि पराली को खाद, पशु चारे और जैविक ऊर्जा के रूप में कैसे उपयोग किया जा सकता है।
शासनादेश के अनुसार, फसल अवशेष जलाने पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (Environmental Compensation) वसूल की जाएगी। यह राशि क्षेत्रफल के आधार पर निर्धारित की गई है -
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी किसान को दोषी पाया जाता है तो मौके पर ही पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित करते हुए वसूली सुनिश्चित की जाएगी।
राज्य सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करने का निर्देश दिया है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने जिले में हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान करें और वास्तविक समय (Real-Time) में निगरानी करें। संवेदनशील जिलों- जैसे लखीमपुर खीरी, बरेली, हरदोई, शाहजहांपुर, गोंडा और बाराबंकी में विशेष सतर्कता बरती जाएगी। कृषि और राजस्व विभाग के फील्ड अधिकारियों को दैनिक रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को भेजनी होगी।
सरकार ने तय किया है कि हर 50 से 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो संबंधित क्षेत्र में पराली प्रबंधन गतिविधियों की निगरानी करेगा। यह नोडल अधिकारी किसानों से संवाद स्थापित कर पराली न जलाने के लिए प्रेरित करेगा, साथ ही अगर कोई किसान नियम तोड़ता है तो तत्काल रिपोर्ट करेगा। नोडल अधिकारियों की टीम में राजस्व, पुलिस, कृषि, ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज विभाग के अधिकारी शामिल होंगे, ताकि निगरानी बहुस्तरीय रहे।
मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से भी अपील की है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों से संवाद करें और उन्हें पराली न जलाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से ही यह अभियान व्यापक स्तर पर सफल होगा। स्वच्छ पर्यावरण और प्रदूषण-मुक्त प्रदेश तभी संभव है जब सरकार और जनता मिलकर काम करें।”- सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि फसल कटाई के समय विशेष टीमें गठित की जाएं। ये टीमें खेतों का निरीक्षण करेंगी और यदि किसी क्षेत्र में धुआं या जलाने की गतिविधि देखी जाए तो तुरंत रोकथाम करेंगी। इसके अलावा, ब्लॉक और तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे ताकि ग्रामीण स्तर पर सूचना तुरंत प्राप्त हो सके और समय रहते कार्रवाई हो।
राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ जुर्माना लगाना नहीं, बल्कि व्यवहारिक परिवर्तन लाना है। इसके लिए “पराली न जलाओ, पर्यावरण बचाओ” अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों, पंचायतों और किसान सभाओं में इस विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया है कि जो जिले “शून्य पराली जलाने” का लक्ष्य प्राप्त करेंगे, उन्हें राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाएगा।