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Russia Visit: भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष लेकर रूस पहुंचे डिप्टी सीएम केशव मौर्य, भारत-रूस संबंधों में नया अध्याय

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों को लेकर रूस के काल्मिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुँचे, जहाँ इनका भव्य स्वागत हुआ। यह प्रदर्शनी भारत-रूस संबंधों को और मजबूत बनाएगी तथा वैश्विक स्तर पर भगवान बुद्ध के शांति और करुणा संदेश को प्रसारित करने का माध्यम बनेगी।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 12, 2025

भारत-रूस के सांस्कृतिक रिश्तों में नया अध्याय: उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष लेकर पहुंचे काल्मिकिया (रूस)   (फोटो सोर्स : सूचना विभाग )

भारत-रूस के सांस्कृतिक रिश्तों में नया अध्याय: उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष लेकर पहुंचे काल्मिकिया (रूस)   (फोटो सोर्स : सूचना विभाग )

Russia Visit Buddha Relics: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुँचे, जहाँ भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री मौर्य एक उच्चस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुँचे। यह दौरा भारत और रूस के बीच न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को नई मजबूती देने वाला है, बल्कि वैश्विक स्तर पर बौद्ध धर्म की विरासत और भारत की सांस्कृतिक पहचान को भी पुनः स्थापित करने का संदेश देता है।

एलिस्ता में उपमुख्यमंत्री और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत काल्मिकिया गणराज्य के प्रमुख महामहिम बातू सर्जेयेविच खासिकोव, भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार, काल्मिक जनता के उच्च धर्मगुरु शाजिन लामा, प्रतिष्ठित भिक्षुगण तथा कई गणमान्य नागरिकों ने किया। स्वागत समारोह में भारत और रूस के पारंपरिक संगीत व सांस्कृतिक झलकियों के माध्यम से दोनों देशों की मैत्रीपूर्ण परंपरा को दर्शाया गया।

भारत की बौद्ध विरासत का गौरवशाली क्षण

रूस रवाना होने से पहले पालम एयरपोर्ट (नई दिल्ली) पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पूज्य भिक्षुगणों के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का पूजन किया। उन्होंने इस अवसर को अपने जीवन का “सौभाग्यशाली क्षण” बताया। केशव मौर्य ने कहा कि मेरे जीवन का यह सौभाग्य शाली पल है जब भगवान तथागत बुद्ध के पवित्र अवशेषों को लेकर रूस (काल्मिकिया) जाने का अवसर मिला है। यह वही स्थान है जहाँ यूरोप का सबसे बड़ा भगवान बुद्ध का मंदिर स्थित है। इस अवसर के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के ये पवित्र अवशेष उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद के पिपरहवा से प्राप्त हुए हैं, जो प्राचीन कपिलवस्तु नगरी से जुड़ा क्षेत्र है, वही कपिलवस्तु जहाँ राजकुमार सिद्धार्थ ने जन्म लिया और बाद में “तथागत बुद्ध” बने। इन अवशेषों का पुरातात्विक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ा भारत का सांस्कृतिक गौरव

उपमुख्यमंत्री मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि जब ये पवित्र अवशेष हांगकांग से भारत लौटे थे, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “भारत के लिए गर्व का दिन” बताया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व स्तर पर बुद्ध के संदेश-शांति, करुणा और अहिंसा को पुनः स्थापित किया है। आज जब हम भगवान बुद्ध के अवशेष लेकर रूस जैसे बौद्ध अनुयायी देश में पहुँच रहे हैं, यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का उत्कृष्ट उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने विश्व के हर मंच पर भगवान बुद्ध के आदर्शों को सम्मान दिलाया है,केशव मौर्य ने कहा।

भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा

उपमुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत और रूस के संबंध राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर हमेशा घनिष्ठ रहे हैं। दोनों देशों ने हर कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जुड़ाव का प्रतीक है। जब-जब भारत को ज़रूरत पड़ी, रूस साथ खड़ा रहा और जब रूस को आवश्यकता पड़ी, भारत ने मित्रता निभाई। आज भगवान बुद्ध के अवशेषों की यह प्रदर्शनी हमारे दोनों देशों के बीच उस प्राचीन बंधन को फिर से जीवंत कर रही है।”

अवशेषों की प्रदर्शनी का महत्व

एलिस्ता में आयोजित यह प्रदर्शनी न केवल रूस के काल्मिकिया गणराज्य के लोगों के लिए धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विश्वभर के बौद्ध समुदाय के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के समान है। काल्मिकिया यूरोप का एकमात्र बौद्ध-बहुल क्षेत्र है, जहाँ भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का गहरा प्रभाव है। केशव मौर्य ने कहा कि यह प्रदर्शनी द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ भारत की “सभ्यतागत विरासत” को भी वैश्विक स्तर पर पुनः स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि  यह केवल प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। यह भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि और परंपरा का संरक्षक स्थापित करता है। साथ ही यह विश्व में शांति, करुणा और सद्भाव का संदेश फैलाने का माध्यम बनेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भगवान बुद्ध के उपदेश मानवता को जोड़ने वाले हैं और इस प्रदर्शनी के माध्यम से यह संदेश रूस सहित पूरे यूरोप में प्रसारित होगा।

वैश्विक शांति और करुणा का संदेश

भगवान बुद्ध के संदेश “अहिंसा, करुणा और मध्यम मार्ग” की प्रासंगिकता आज के वैश्विक परिदृश्य में पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया हिंसा, युद्ध और तनाव से जूझ रही है, भगवान बुद्ध का यह शांति संदेश मानवता के लिए दिशा दिखाने वाला है। हम जब भगवान बुद्ध के अवशेष लेकर रूस की भूमि पर जा रहे हैं, तो यह भारत द्वारा विश्व को दिया जा रहा शांति का संदेश है। यह प्रदर्शनी मानवता के सामूहिक कल्याण की दिशा में एक कदम है,केशव मौर्य ने कहा।

इतिहास और विरासत की पुनर्स्थापना

पिपरहवा (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त ये अवशेष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रमाणित हैं। यह अवशेष कपिलवस्तु से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ाव का प्रतीक हैं , वही नगर जो बुद्ध के प्रारंभिक जीवन का केंद्र था। इनके दर्शन से न केवल बौद्ध अनुयायी, बल्कि भारत की ऐतिहासिक धरोहर से जुड़े हर नागरिक को गर्व की अनुभूति होती है। केशव मौर्य ने कहा कि भारत आज “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना के साथ विश्व में शांति और सहयोग का दूत बना हुआ है। यह प्रदर्शनी भारत की इसी नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

 भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का नया युग

काल्मिकिया में भगवान बुद्ध के अवशेषों की यह प्रदर्शनी भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का एक नया अध्याय खोल रही है। यह न केवल दोनों देशों की मित्रता को सुदृढ़ करेगी, बल्कि विश्व में भारत की सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर को भी और अधिक मजबूत बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में भारत जिस प्रकार अपनी विरासत, आध्यात्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहरों को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित कर रहा है, यह उसकी उत्कृष्ट मिसाल है। रूस में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की यह यात्रा भारत के लिए केवल धार्मिक या राजनयिक घटना नहीं, बल्कि यह “शांति, करुणा और वैश्विक एकता के युग” की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।