Former UP DGP Prashant Kumar: उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को योगी सरकार ने शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। रिटायरमेंट के छह महीने बाद मिली इस जिम्मेदारी से प्रदेश में रुकी शिक्षक भर्तियों को दोबारा रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
UP Education Service Selection Commission Chairman: उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) रहे प्रशांत कुमार को योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक अहम प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपी है। रिटायरमेंट के करीब छह महीने बाद उन्हें उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह वही आयोग है, जिसके माध्यम से प्रदेश में माध्यमिक और उच्च शिक्षा के शिक्षकों की भर्ती होती है। प्रशांत कुमार का कार्यकाल तीन साल का होगा और वे आयोग के दूसरे अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024 में उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर एकीकृत यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया था। इस आयोग के पहले अध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पांडेय थे, जिन्होंने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद आयोग का कामकाज ठप पड़ गया था, जिसे अब प्रशांत कुमार की नियुक्ति से नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया 10 दिसंबर को पूरी हुई। इसके लिए आवेदन 21 अक्टूबर तक मांगे गए थे, हालांकि बाद में विज्ञापन में संशोधन कर दोबारा आवेदन आमंत्रित किए गए। रिटायर्ड IPS अधिकारी प्रशांत कुमार ने भी इस पद के लिए आवेदन किया था। चयन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही आयोग में लंबे समय से रुकी भर्तियों को फिर से शुरू किए जाने की संभावना बढ़ गई है।
पूर्व अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के इंटरव्यू और टीजीटी-पीजीटी भर्ती परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं। आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति न होने से हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ था। अब नए अध्यक्ष की औपचारिक नियुक्ति के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रियाएं दोबारा शुरू होंगी और लंबित मामलों का निस्तारण होगा।
प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के सीवान जिले के रहने वाले हैं। IPS बनने से पहले उन्होंने अप्लाइड जूलॉजी में MSc, डिजास्टर मैनेजमेंट में MBA और डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में M.Phil की डिग्रियां हासिल कीं। जब वे IPS बने, तब उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था, लेकिन 1994 में यूपी कैडर की IAS अधिकारी डिंपल वर्मा से शादी के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश कैडर में स्थानांतरण ले लिया।
प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली और ताकतवर DGPs में गिना जाता है। मई महीने में वे सेवानिवृत्त हुए थे। उनका नाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में लिया जाता है। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर सख्त रुख और त्वरित कार्रवाई के कारण वे लंबे समय तक सुर्खियों में रहे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशांत कुमार अब तक 300 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। उनके कार्यकाल में संजीव जीवा, कग्गा, मुकीम काला, सुशील मूंछ, अनिल दुजाना, सुंदर भाटी, विक्की त्यागी और साबिर गैंग जैसे कुख्यात अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की गई। पुलिस टीम के साथ मिलकर उन्होंने कई बड़े आपराधिक गिरोहों के नेटवर्क को तोड़ने का दावा किया।
कांवड़ यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा कराने के फैसले को लेकर प्रशांत कुमार काफी चर्चा में रहे। इस कदम की आलोचना भी हुई। इस पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा था कि इसे धार्मिक चश्मे से न देखा जाए, क्योंकि फूलों का उपयोग स्वागत के लिए किया जाता है और प्रशासन सभी धर्मों के आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था करता है।
वर्ष 2020 के हाथरस कांड में भी प्रशांत कुमार के बयान ने काफी विवाद खड़ा किया था। उन्होंने दावा किया था कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ था और दिल्ली के अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक मौत गले में चोट और उससे हुए सदमे के कारण हुई। फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दिए गए इस बयान को लेकर उन्हें तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा।
अब कानून-व्यवस्था से शिक्षा व्यवस्था तक का यह सफर प्रशांत कुमार के लिए नई चुनौती माना जा रहा है। आयोग की जिम्मेदारी संभालते ही उनकी सबसे बड़ी परीक्षा पारदर्शी, समयबद्ध और विवाद-मुक्त शिक्षक भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने की होगी। सरकार और अभ्यर्थियों, दोनों की नजरें उनके फैसलों पर टिकी रहेंगी।