लखनऊ

Digital Arrest के नाम पर 1.29 करोड़ की ठगी, CBI अधिकारी बनकर वैज्ञानिक को बनाया निशाना, STF ने 4 गिरफ्तार किए

Digital Arrest Scam Busted: लखनऊ में साइबर अपराध की दुनिया से जुड़ी चौंकाने वाली वारदात सामने आई है। एसटीएफ ने चार साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है जो खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर सेवानिवृत्त वैज्ञानिक को 'डिजिटल अरेस्ट' कर चुके थे। उन्होंने तीन दिन में वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ रुपये ठग लिए।

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Jul 05, 2025
सीबीआई अधिकारी बनकर किया "डिजिटल अरेस्ट"       फोटो सोर्स : Social Media   whatup

Digital Arrest STF Action: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी साइबर ठगी का पर्दाफाश करते हुए लखनऊ के गोमतीनगर के ग्वारी गांव क्षेत्र से चार शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताकर लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' कर ठगी करते थे। इन लोगों ने बरेली निवासी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नन्दी को इसी तकनीक के माध्यम से तीन दिनों तक डिजिटल रूप से बंधक बनाकर उनसे करीब 1.29 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

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क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'

'डिजिटल अरेस्ट' एक नई साइबर ठगी की तकनीक है, जिसमें अपराधी खुद को किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हैं और पीड़ित को वीडियो कॉल या फोन कॉल के माध्यम से डराकर घर में बंद रहने को कहते हैं। आरोपी पीड़ित को बताते हैं कि उन पर गंभीर अपराधों में जांच चल रही है। उन्हें किसी से संपर्क नहीं करने दिया जाता और डर के माहौल में उनसे धीरे-धीरे लाखों-करोड़ों की रकम ऐंठ ली जाती है।

कैसे हुआ खुलासा

सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. शुकदेव नन्दी ने बरेली साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अज्ञात कॉलर्स द्वारा एक वीडियो कॉल पर सीबीआई का अधिकारी बताकर धमकाया गया। उन्हें कहा गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स से जुड़ा केस दर्ज है। आरोपियों ने इतना डराया कि वह तीन दिन तक घर से बाहर नहीं निकले और उनके निर्देशानुसार अपने बैंक खातों से कुल 1.29 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।

एसटीएफ की कार्रवाई

शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम ने साइबर जाल को ट्रैक किया और तकनीकी सर्विलांस, कॉल रिकॉर्ड, बैंक डिटेल्स और डिजिटल गतिविधियों की मदद से आरोपियों का पता लगाया। फिर शुक्रवार देर रात लखनऊ के गोमतीनगर के ग्वारी गांव इलाके से चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार आरोपी कौन हैं

एसटीएफ ने जिन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनके नाम और पृष्ठभूमि का खुलासा फिलहाल जांच के हित में नहीं किया गया है। हालांकि प्रारंभिक पूछताछ में यह पता चला है कि ये सभी पेशेवर साइबर ठग हैं, जिनका नेटवर्क दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े महानगरों तक फैला हुआ है। ये लोग चीन और दुबई जैसे देशों से संचालित साइबर गैंग्स से भी तकनीकी सहायता लेते थे।

फर्जी पहचान और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल

आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज, सिम कार्ड, बैंक खातों और मोबाइल ऐप्स की मदद से न केवल खुद की पहचान छुपाई, बल्कि उन्होंने 'वीडियो फेक कॉल सॉफ्टवेयर' का इस्तेमाल कर खुद को सीबीआई अधिकारी की वर्दी में दिखाया। वीडियो कॉल पर वे किसी सरकारी ऑफिस जैसा बैकग्राउंड दिखाकर पीड़ित को विश्वास में लेते थे।

मानसिक उत्पीड़न और डर का माहौल

डॉ. नन्दी ने बताया कि उन तीन दिनों में उन्होंने घर से बाहर निकलना तो दूर, किसी परिजन या दोस्त से भी संपर्क नहीं किया। वीडियो कॉल के ज़रिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी और उन्हें किसी से बात करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती थी। इस मानसिक उत्पीड़न के चलते उन्होंने कई बैंक खातों से कुल 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।

ठगी के पैसे का क्या हुआ

एसटीएफ के अनुसार, ठगी की गई रकम को आरोपी कई परतों में घुमा-फिराकर अलग-अलग बैंक खातों, बिटकॉइन वॉलेट्स और फर्जी कंपनियों के माध्यम से विदेश भेज देते थे। कुछ रकम का इस्तेमाल खुद के महंगे फोन, गाड़ियों और आलीशान जीवन शैली के लिए किया गया। फिलहाल जांच एजेंसियां मनी ट्रेल को खंगाल रही हैं और उम्मीद है कि जल्द ही बाकी रकम भी जब्त की जाएगी।

एफआईआर और कानूनी कार्रवाई

बरेली साइबर थाना में दर्ज एफआईआर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 419 (धोखाधड़ी), 420 (छल), 468 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 471 (फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग), IT एक्ट की विभिन्न धाराओं और अन्य गंभीर अपराधों के तहत मामला दर्ज किया गया है। कोर्ट में पेशी के बाद सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

एसटीएफ और पुलिस की अपील

एसटीएफ ने आम जनता से अपील की है कि यदि किसी को भी इस प्रकार की कॉल आए जिसमें सरकारी अधिकारी बनकर कोई व्यक्ति पैसे की मांग करे या डराने का प्रयास करे, तो तुरंत 112 या नजदीकी साइबर थाने में इसकी सूचना दें। किसी भी हालत में वीडियो कॉल पर डरने या पैसे ट्रांसफर करने की गलती न करें।

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