Ram Mandir Stamp : रामनवमी के पावन अवसर पर श्री राम की महिमा का संदेश सिर्फ मंदिरों और भजनों में ही नहीं, बल्कि डाक टिकटों के माध्यम से देश-दुनिया में फैल रहा है। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव के अनुसार, भारत समेत 20 से अधिक देशों ने रामायण से जुड़े विषयों पर डाक टिकट जारी किए हैं।
Ram Navami India Post: रामनवमी पर्व पर जब सम्पूर्ण भारत श्रीराम के जन्मोत्सव की उमंग में डूबा हुआ है, वहीं डाक टिकटों ने भी इस सांस्कृतिक उत्सव को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का काम किया है। भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव के अनुसार भगवान श्रीराम और रामायण से जुड़े पात्रों व प्रसंगों पर न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के 20 से अधिक देशों ने डाक टिकट जारी किए हैं। इन डाक टिकटों के माध्यम से राम राज्य की अवधारणा अब सीमाओं से परे होकर वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि 18 जनवरी 2024 को श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर को समर्पित 6 विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए। ये टिकट श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, भगवान गणेश, हनुमान, जटायु, केवटराज और माता शबरी पर आधारित हैं। खास बात यह है कि इन डाक टिकटों को सोने की परत से सजाया गया है और इनमें चंदन की सुगंध समाहित है।
इन टिकटों में सूर्यवंशी राम के प्रतीक सूर्य की छवि और पवित्र सरयू नदी का चित्र भी अंकित है। इसके साथ ही रामचरितमानस की प्रसिद्ध चौपाई - "मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी" को अंकित किया गया है, जिससे राष्ट्र की मंगल कामना की झलक मिलती है। ये डाक टिकट न सिर्फ एक स्मारिका हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक भी हैं।
इन डाक टिकटों की सबसे अनोखी बात यह है कि इनके निर्माण में अयोध्या की पवित्र मिट्टी और सरयू जल का उपयोग किया गया है। इसे पंच महाभूतों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से जोड़ा गया है, जिससे इन डाक टिकटों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही स्तरों पर विशेष महत्व प्राप्त होता है।
कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इससे पूर्व वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वाराणसी स्थित तुलसी मानस मंदिर में रामायण के 11 प्रमुख प्रसंगों पर आधारित डाक टिकटों का एक विशेष सेट जारी किया गया था। इनमें सीता स्वयंवर, राम वनवास, भरत मिलाप, केवट प्रसंग, जटायु संवाद, शबरी संवाद, अशोक वाटिका में सीता-हनुमान संवाद, रामसेतु निर्माण, संजीवनी ले जाते हनुमान, रावण वध और राम राज्याभिषेक जैसे भावपूर्ण प्रसंगों को चित्रित किया गया था। इन डाक टिकटों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो सम्पूर्ण रामायण ही टिकटों पर उतर आई हो। इनका कलात्मक और भावनात्मक संयोजन अद्भुत है।
5 अगस्त 2020 को श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष कस्टमाइज्ड डाक टिकट जारी किया था। यह डाक टिकट मंदिर के प्रस्तावित प्रतिरूप पर आधारित था, जिसे देशवासियों ने अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ अपनाया।
पोस्टमास्टर जनरल यादव का मानना है कि डाक टिकट न केवल संचार का साधन हैं, बल्कि वे इतिहास, संस्कृति और विरासत को संजोने वाले माध्यम भी हैं। यही वजह है कि डाक विभाग ने रामायण और श्रीराम से जुड़े विभिन्न पहलुओं को डाक टिकटों में उतार कर युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया है।
केवल भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मारीशस, श्रीलंका, फिजी, कंबोडिया, फिलीपींस, जापान, सिंगापुर, म्यांमार, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, और कनाडा जैसे 20 से अधिक देशों ने भी रामायण और इससे जुड़ी कथाओं पर समय-समय पर डाक टिकट जारी किए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि रामायण केवल भारत की संस्कृति नहीं, बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर है।
रामराज्य एक ऐसी आदर्श शासन व्यवस्था का प्रतीक है, जहाँ न्याय, धर्म और जनकल्याण सर्वोपरि होते हैं। जब यह विचार डाक टिकटों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर प्रसारित होता है, तो यह केवल धार्मिक पहलू नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति का भी उदाहरण बन जाता है।
डाक टिकटों के माध्यम से श्री राम और रामायण की महिमा का प्रचार-प्रसार एक अभिनव पहल है। यह न केवल संस्कृति और आस्था का प्रचार है, बल्कि भारत की सॉफ्ट पावर को भी मजबूती देने वाला कदम है। ऐसे में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव जैसे अधिकारी और भारतीय डाक विभाग की यह पहल निश्चय ही सराहनीय है। आने वाले वर्षों में यह सिलसिला और भी समृद्ध होगा, जिससे हमारी भावी पीढ़ियां अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा ले सकेंगी।