लखनऊ

Gola Gokarnath Mahashivratri : दर्शन मात्र से होती है सभी मनोकामनाओं की पूर्ति

Gola Gokarnath Temple: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित गोला गोकर्णनाथ के पास कपरहा के तेंदुआ गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। माना जाता है कि राजा मोरध्वज के काल में स्थापित इस मंदिर में श्रद्धा पूर्वक रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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Feb 26, 2025
Gola Gokarnath Temple:

Gola Gokarnath Mahashivratri Pooja: गोला गोकर्णनाथ जिसे 'छोटी काशी' के नाम से भी जाना जाता है, अपने प्राचीन शिव मंदिरों और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसी क्षेत्र से लगभग 12 किलोमीटर दूर, गोला-सिकंदराबाद मार्ग पर स्थित ग्राम सभा कपरहा के मजरा तेंदुआ में एक अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, जो कोटबारा राज्य के पूर्व राजा मोरध्वज के काल का माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मंदिर का इतिहास और महत्व

इस प्राचीन शिव मंदिर की स्थापना को कोटबारा राज्य के राजा मोरध्वज के समय से जोड़ा जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और इसे स्थानीय समुदाय में विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। कहा जाता है कि राजा मोरध्वज ने भगवान शिव की आराधना के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था, ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि बनी रहे।

जीर्णोद्धार और विकास कार्य

वर्ष 2019-20 में, तत्कालीन ग्राम प्रधान नीरज शुक्ला के अथक प्रयासों से इस मंदिर का जीर्णोद्धार संपन्न हुआ। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की सहायता से मंदिर परिसर को नया रूप दिया गया, जिससे श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ बढ़ीं। इसके साथ ही, मुख्य सड़क से मंदिर तक लगभग 900 मीटर की इंटरलॉकिंग सड़क का निर्माण भी कराया गया, जिससे भक्तों को मंदिर तक पहुँचने में आसानी हो।

श्रद्धालुओं की आस्था और मान्यताए

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार सावन मास में जो व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ इस मंदिर में पूर्ण श्रद्धा से रुद्राभिषेक, हवन और पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ एक वर्ष के भीतर पूर्ण हो जाती हैं। यह विश्वास क्षेत्रीय और दूर-दराज के भक्तों को यहां आकर्षित करता है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यहाँ आते हैं।

धार्मिक आयोजन और उत्सव

सावन मास के दौरान, मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक, हवन और भंडारे का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अतिरिक्त, महाशिवरात्रि, नाग पंचमी और अन्य शिव पर्वों पर भी यहाँ विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें स्थानीय और बाहरी भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।

भौगोलिक स्थिति और पहुँच

यह प्राचीन शिव मंदिर गोला गोकर्णनाथ से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर, गोला-सिकंदराबाद मार्ग पर स्थित ग्राम सभा कपरहा के मजरा तेंदुआ में स्थित है। मुख्य सड़क से मंदिर तक पहुँचने के लिए 900 मीटर की इंटरलॉकिंग सड़क बनाई गई है, जिससे भक्तों को मंदिर तक पहुँचने में सुविधा होती है।

भविष्य की योजनाएं

मंदिर प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर मंदिर परिसर के और विकास की योजना बना रहे हैं। इसमें भक्तों के लिए विश्राम स्थल, पेयजल सुविधा, स्वच्छता व्यवस्था और पार्किंग क्षेत्र का विस्तार शामिल है। इसके साथ ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों और योग शिविरों का आयोजन भी प्रस्तावित है।

गोला गोकर्णनाथ के इस प्राचीन शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और विश्वास है कि यहाँ दर्शन मात्र से उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इतिहास, संस्कृति और धार्मिक महत्व से परिपूर्ण यह मंदिर न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दराज के भक्तों के लिए भी आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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