लखनऊ

पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से 10 करोड़ रुपये की वसूली के निर्देश, नोटिस जारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से 10 करोड़ रुपये की वसूली के निर्देश जारी किए हैं। सिंह ने कृषि उत्पादन आयुक्त के पद पर रहते हुए चार फर्मों को भुगतान स्वीकृत किया था, जो नीति के प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाया गया।

2 min read
Oct 18, 2025
पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, PC- X

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से 10 करोड़ रुपये की वसूली के निर्देश जारी किए हैं। यह कार्रवाई खाद्य एवं प्रसंस्करण नीति-2023 के दिशा-निर्देशों का कथित उल्लंघन करने के संबंध में की गई है। सिंह ने कृषि उत्पादन आयुक्त के पद पर रहते हुए चार फर्मों को भुगतान स्वीकृत किया था, जो नीति के प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाया गया।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, जो खाद्य प्रसंस्करण विभाग के प्रभारी हैं, उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वसूली के आदेश दिए। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने यूपीडास्प (उत्तर प्रदेश विविध कृषि सहायता परियोजना) के प्रबंध निदेशक (वित्त एवं तकनीकी समन्वयक) शैलेंद्र प्रताप सिंह को निर्देश दिए हैं कि उक्त राशि वसूल की जाए और सरकारी खजाने में जमा कराई जाए।

ये भी पढ़ें

‘ब्रह्मोस ने दिखाया कि जीत अब हमारी आदत’ …पाक की एक-एक इंच जमीन हमारी पहुंच में : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

इसके आधार पर पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि खाद्य प्रसंस्करण नीति के कार्यान्वयन के लिए यूपीडास्प को 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी आवंटित की गई थी। इस धनराशि के व्यय में अनियमितताएं पाई गई हैं, इसलिए 10 दिनों के भीतर इसे सरकारी खजाने में वापस जमा करने का निर्देश दिया गया है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के तहत जारी हुए थे 10 करोड़ रुपए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्साहन देने और फसलों के सटीक आंकड़ों के संग्रह के उद्देश्य से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 की शुरुआत की थी। इस नीति के क्रियान्वयन हेतु यूपीडास्प को 10 करोड़ रुपये जारी किए गए। राज्य में लगभग आठ करोड़ खेत होने के कारण फसलों का भौतिक सत्यापन चुनौतीपूर्ण था। इसलिए, यूपीडास्प ने राज्य भर में फसलों के सैटेलाइट सर्वेक्षण के लिए चार कंपनियों का चयन किया और उन्हें 18 से 20 जिलों का कार्य सौंपा। इन कंपनियों ने संबंधित जिलों में सर्वेक्षण पूरा कर रिपोर्ट कृषि विभाग को सौंप दी है।

सूत्रों के अनुसार, नीति के निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना ही कंपनियों को कार्य सौंपा गया, जिसके कारण वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया।

इस नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज कुमार सिंह ने कहा कि परियोजना प्रारंभ होने के समय वे कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ-साथ यूपीडास्प के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नोटिस का कोई आधार नहीं है, क्योंकि उक्त अवधि में उनके अलावा दो अन्य अधिकारियों ने भी अलग-अलग समय पर यूपीडास्प के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।

ये भी पढ़ें

‘मैं ही क्यों करूं दिवाली की सफाई और लोग भी तो हैं’… जब पड़ी फटकार तो टॉवर पर चढ़ गई बेटी

Published on:
18 Oct 2025 06:28 pm
Also Read
View All

अगली खबर