लखनऊ

क्या ओबीसी नेतृत्व की नई उम्मीद हैं केशव प्रसाद मौर्य? भाजपा की अंदरूनी हलचलों के क्या सियासी संकेत?

यूपी की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सक्रीय नजर आ रहा हैं। बीते चार दिनों में दिल्ली और लखनऊ में हुई उनकी अहम मुलाकातों ने सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज कर दी हैं। क्या भाजपा उन्हें फिर से ओबीसी नेतृत्व के चेहरे के रूप में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है? और क्या यह संकेत 2027 की रणनीति का हिस्सा हैं?

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Jul 14, 2025
Keshav Prasad Maurya ( Photo - Patrika Network )

लखनऊ - डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य की गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात से सियासी हलचल तेज हो गई है। चर्चा ये है की क्या केशव प्रसाद मोर्च का रोल बढ़ने जा रहा है ? क्या उन्हें उत्तर प्रदेश या केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी देन की तैयारी है ?

Keshav Prasad Maurya ( Photo - Patrika Network )

मुलाकात संयोग नहीं, संकेत?


डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य ने 8 जुलाई को दिल्ली में अमित शाह से मुलाकत की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा - अमित शाह से मुलाकात कर तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर मार्गदर्शन प्राप्त किया । इसके अलगे दिन मौर्य ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकत की और एक्स पर तस्वीर शेयर की इसके बाद उत्तर प्रदेश आकर राज्यपाल आनंदीबेन से मुलाकता की थी।

जब शाह ने कहा मेरे मित्र केशव…

Keshav Prasad Maurya ( Photo - Patrika Network )

चर्चाओं का दौर उसी समय शुरू हो गया था जब पिछले महीने 15 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम के दौरान डिप्टी सीएम को ‘मेरे मित्र केशव प्रसाद मौर्य’ कहकर संबोधित किया था। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं था। जानकार मानते है की अमित शाह ने सार्वजनिक मंच से केशव को 'मित्र' कहकर सरकार और संगठन को साफ संदेश दे दिया कि केशव की अहमियत कम नहीं है।

मोर्य के नाम की क्यों हो रही है चर्चा?

2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी में पार्टी का ओबीसी वोट बैंक कांग्रेस और सपा की ओर खिसक गया।यही वजह है कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व अब मौर्य, राजभर, निषाद या कुर्मी समाज से ही प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर मंथन कर रहा है। मौर्य समाज को नेतृत्व देने से मौर्य, सैनी, शाक्य, कुशवाह समाज भी साधे जा सकते हैं। केशव मौर्य पिछले कुछ सालों में भाजपा के ग्रासरूट ओबीसी नेता के रूप में उभरे। केशव मौर्य 2022 में सिराथू से विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद भी पार्टी नेतृत्व ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाया था। अब जबकि 2027 के चुनावों की जमीन तैयार हो रही है, भाजपा फिर से जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी है और मौर्य उस फॉर्मूले में एक बार फिर फिट बैठते दिख रहे हैं।

केशव प्रसाद मौर्य फिर से भाजपा की रणनीतिक सोच में जगह बनाते दिख रहे हैं। वह सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि ओबीसी वोट बैंक को फिर से सक्रिय करने की कुंजी साबित हो सकते हैं। अब देखना यह है कि वह भूमिका प्रदेश अध्यक्ष, चुनावी चेहरा, या फिर किसी राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी के रूप में सामने आती है।

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