Lucknow Bus Fire Accident: लखनऊ के किसान पथ पर एक स्लीपर बस में आग लगने से पांच यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बस में गंभीर तकनीकी खामियां थीं। अग्निशमन यंत्र नहीं था, इमरजेंसी गेट बंद था, और सस्ती वायरिंग व सामग्री से आग तेजी से फैली।
Lucknow Bus Fire: लखनऊ के मोहनलालगंज स्थित किसान पथ पर गुरुवार की सुबह एक स्लीपर बस में आग लगने से हुए दर्दनाक हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। मृतकों में दो बच्चे, दो महिलाएं और एक युवक शामिल हैं। बस बिहार से दिल्ली जा रही थी और उसमें 70 से अधिक यात्री सवार थे। हादसे के बाद प्रशासन ने घटना की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसमें सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी और तकनीकी कमियों का खुलासा हुआ है।
सुबह करीब 4 से 5 के बीच बजे चलती बस में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते लपटों ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। अधिकतर यात्री उस समय नींद में थे और जब तक वे कुछ समझ पाते, तब तक आग विकराल हो चुकी थी। बचाव के रास्ते सीमित होने के कारण कई यात्री बस में ही फंस गए। बस का इमरजेंसी गेट जाम था और उसके रास्ते में सीटें लगाई गई थीं, जिससे बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह बस बिहार से दिल्ली जाते हुए 1300 किलोमीटर का सफर तय कर रही थी और रास्ते में करीब 16 आरटीओ क्षेत्रों से होकर गुजरी, जिनमें कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ, फिरोजाबाद, नोएडा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके बावजूद किसी भी आरटीओ ने बस की सुरक्षा जांच नहीं की।
चालक-परिचालक फरार, एफआईआर दर्ज
हादसे के तुरंत बाद बस का चालक और परिचालक मौके से फरार हो गए। पुलिस ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और उनकी तलाश जारी है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों ने खिड़की तोड़कर भागने में सफलता पाई लेकिन किसी यात्री को बचाने की कोशिश नहीं की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया, उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।
पुलिस और परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बस में सवार यात्रियों की संख्या को लेकर स्पष्ट नहीं है:
जांच में जो बातें सामने आईं, उनसे आग लगने के संभावित कारण निम्नलिखित हैं:
परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि स्लीपर बसों में अग्निरोधक मटेरियल और सुरक्षा यंत्रों की कमी बहुत आम हो चुकी है। साथ ही निजी बस ऑपरेटर लागत बचाने के चक्कर में सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने ऐसी बसों के लिए नियमित निरीक्षण और अनिवार्य सेफ्टी ऑडिट की सिफारिश की है।