लखनऊ

PGI लखनऊ में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: इंटरव्यू से पहले होगी स्क्रीनिंग, नई विभागीय भर्तियों की तैयारी तेज

SGPGI Lucknow Faculty Recruitment:   लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर भर्ती से पहले अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग होगी। डायरेक्टर डॉ. आर.के. धीमन के आदेश पर लागू इस नई प्रणाली से भर्ती प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी तथा गुणवत्ता आधारित बनेगी।

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Oct 04, 2025

PGI Lucknow: राजधानी लखनऊ स्थित संजीवनी संस्थान संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। संस्थान के निदेशक डॉ. आर. के. धीमन ने एक नया आदेश जारी करते हुए घोषणा की है कि अब प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर भर्ती से पहले स्क्रीनिंग प्रक्रिया लागू की जाएगी।

इस बदलाव के तहत अभ्यर्थियों को अब सीधे इंटरव्यू में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। पहले सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज, अनुभव और शोध कार्यों का मूल्यांकन विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाएगा। केवल वही उम्मीदवार स्क्रीनिंग में सफल होने पर इंटरव्यू के लिए बुलाए जाएंगे।

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स्क्रीनिंग प्रक्रिया का उद्देश्य

संस्थान प्रशासन के अनुसार यह निर्णय भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, वैज्ञानिक और गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। पीजीआई के निदेशक डॉ. आर. के. धीमन ने कहा कि इस नई प्रणाली से योग्यतम उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि कुछ पदों के लिए आवेदनों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण इंटरव्यू में सभी को बुलाना संभव नहीं है। ऐसे में स्क्रीनिंग के माध्यम से मेरिट आधारित छंटनी की जाएगी ताकि चयन प्रक्रिया अधिक प्रभावी और समयबद्ध बन सके।

अगस्त में जारी हुआ था भर्ती विज्ञापन

संस्थान की ओर से अगस्त 2025 में कुल 220 शिक्षकीय पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं। इन पदों पर नियुक्तियां नए और पुराने दोनों विभागों में की जानी हैं।पीजीआई प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह भर्ती प्रक्रिया संस्थान के विस्तार और नई मेडिकल तकनीकों को शुरू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नए विभागों में होंगे विशेषज्ञों की नियुक्ति

इस बार की भर्ती केवल पारंपरिक विभागों तक सीमित नहीं है। पीजीआई में कई नए सुपर स्पेशलिटी विभागों की स्थापना की जा रही है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं -

  • पीडियाट्रिक यूरोलॉजी (बाल मूत्र रोग)
  • नेफ्रोलॉजी (गुर्दा रोग विभाग)
  • टेली मेडिसिन (दूरसंचार चिकित्सा)
  • गामा नाइफ यूनिट
  • न्यूरो सर्जरी और ऑन्कोलॉजी के विशेष उपविभाग

इन विभागों के संचालन के लिए उच्च प्रशिक्षित और अनुभवी विशेषज्ञों की जरूरत है। यही कारण है कि भर्ती प्रक्रिया में स्क्रीनिंग को अनिवार्य किया गया है ताकि प्रत्येक चयनित अभ्यर्थी अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट हो।

गामा नाइफ यूनिट: बिना चीरे ब्रेन ट्यूमर का इलाज

भर्ती के माध्यम से जो सबसे चर्चित प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है, वह है गामा नाइफ तकनीक का संचालन। यह एक अत्याधुनिक तकनीक है जिसके जरिए बिना किसी चीरे या ओपन सर्जरी के ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जाता है।गामा नाइफ एक लेजर-आधारित रेडियोसर्जरी तकनीक है, जिसमें ट्यूमर को निशाना बनाकर अत्यधिक सटीक किरणें छोड़ी जाती हैं, जिससे रोग ग्रस्त ऊतक नष्ट हो जाते हैं जबकि आसपास का स्वस्थ मस्तिष्क ऊतक सुरक्षित रहता है।

संस्थान के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस.के. माथुर ने बताया कि गामा नाइफ तकनीक के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। यह भर्ती उसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे पीजीआई लखनऊ देश के चुनिंदा मेडिकल सेंटर्स में शामिल हो सकेगा।

स्क्रीनिंग प्रक्रिया कैसे होगी

नई भर्ती नीति के तहत अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग तीन मुख्य चरणों में होगी 

  1. दस्तावेज़ सत्यापन: उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, शोध प्रकाशन और प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों की जांच।
  2. मेरिट मूल्यांकन: उम्मीदवारों को उनके अकादमिक रिकॉर्ड, रिसर्च पेपर, और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशन के आधार पर अंक दिए जाएंगे।
  3. शॉर्टलिस्टिंग: केवल शीर्ष मेरिट प्राप्त उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।

संस्थान प्रशासन के अनुसार, यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से की जाएगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

चयन में पारदर्शिता और गुणवत्ता पर जोर

डायरेक्टर डॉ. धीमन का कहना है कि अब पीजीआई की भर्ती केवल संख्या बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि “सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा” को शामिल करने के लिए होगी। उन्होंने कहा, कि हमारा उद्देश्य ऐसा शिक्षण स्टाफ लाना है जो शोध, क्लिनिकल अनुभव और मेडिकल इनोवेशन में अग्रणी हो। यह स्क्रीनिंग उसी दिशा में एक कदम है।”उन्होंने बताया कि कई विभागों में पहले से ही विशेषज्ञों की कमी महसूस की जा रही है। नई नियुक्तियों से शिक्षण और शोध दोनों में तेजी आएगी।

टेली मेडिसिन और नई स्वास्थ्य सुविधाएं

संस्थान के विस्तार के साथ टेली मेडिसिन विभाग की शुरुआत भी की जा रही है। इससे ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों के मरीज बिना लखनऊ आए विशेषज्ञ डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श ले सकेंगे। संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया “टेली मेडिसिन विभाग कोरोना काल में मिली सीख के बाद स्थायी रूप से शुरू किया जा रहा है। इस विभाग में भी आईटी और मेडिकल बैकग्राउंड वाले शिक्षकों की जरूरत होगी।

मेडिकल शिक्षा में बदलाव की दिशा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय उत्तर प्रदेश में मेडिकल शिक्षा के ढांचे में सुधार की दिशा में अहम साबित होगा। स्क्रीनिंग प्रक्रिया से न केवल योग्य उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित होगा बल्कि भर्ती में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राकेश अग्रवाल कहते हैं,“स्क्रीनिंग प्रक्रिया से शिक्षा संस्थानों में राजनीति या सिफारिश आधारित भर्ती पर अंकुश लगेगा। अब चयन पूरी तरह योग्यता और मेरिट पर आधारित होगा।

भर्ती प्रक्रिया पर नजर

भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन की अंतिम तिथि अगस्त के अंत में समाप्त हो चुकी है। अब स्क्रीनिंग कमेटी उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच में जुटी है। उम्मीद की जा रही है कि नवंबर तक इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और वर्ष के अंत तक नई नियुक्तियां पूरी कर ली जाएंगी।

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