New Law For Private Employees: प्राइवेट कर्मचारियों के लिए नया कानून क्या है? कंपनी या मालिक अन्याय कर रहें हैं तो कितना जुर्माना लग सकता है? जानिए मामले से जुड़े हर सवाल का जवाब।
New Law For Private Employees: प्राइवेट कर्मचारियों पर बढ़ते काम के बोझ और कंपनियों द्वारा मनमानी को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि क्या कर्मचारी कहीं शोषण का शिकार तो नहीं हो रहा? क्या उससे तय समय से ज्यादा काम तो नहीं करवाया जा रहा? यही चिंताएं बार-बार सामने आती रही हैं। इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, 1962 में 63 साल बाद बड़ा बदलाव किया है।
अब यह कानून सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में लागू होगा। इसका मकसद बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कानूनी सुरक्षा देना और उनके अधिकारों को मजबूती प्रदान करना है।
-आखिर दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम क्या है?
-यह कहां लागू होगा?
-महिलाओं के लिए इसमें क्या प्रावधान हैं?
-नियम तोड़े जाने पर क्या जुर्माना लगेगा?
-ओवरटाइम के नियम क्या रहेंगे?
सरकार के नए संशोधन में इन सभी पहलुओं को स्पष्ट किया गया है, ताकि कर्मचारियों को सुरक्षित, सम्मानजनक और निर्धारित समय के अनुसार काम करने का पूरा हक मिल सके।
दरअसल, इस कानून का मुख्य उद्देश्य किसी भी दुकान, ऑफिस या बिजनेस में काम करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल देना है। इसके साथ ही कर्मचारियों को तय समय, उचित सुविधाएं और काम के दौरान जरूरी अधिकार मिलें यह भी इसका हिस्सा है। नए नियमों के तहत बिजनेस मालिकों को भी निर्धारित प्रावधानों का पालन करना होगा। जिससे कार्यस्थल पर पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सहायक श्रम आयुक्त सुमित कुमार का कहना है कि यह 1962 का एक्ट है। इस कानून को 1 नवंबर, 1962 को यूपी विधानसभा ने पारित किया था। यानी इसी दिन इसे औपचारिक रूप से मंजूरी मिली। 26 दिसंबर, 1962 को यूपी सरकार के आधिकारिक गजट में अधिनियम को प्रकाशित किया गया। तभी से ये अधिनियम मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में ही सिर्फ लागू था। 2025 में संशोधन के बाद यह कानून अब पूरे उत्तर प्रदेश में लागू होगा।
सरकार ने साफ कर दिया है कि यह कानून सिर्फ उन प्रतिष्ठानों पर ही लागू होगा जहां कम से कम 20 कर्मचारियों का स्टाफ होगा।
श्रम मंत्री अनिल राजभर का कहना है कि ये बदलाव से छोटे व्यवसायों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालेगा। छोटे प्रतिष्ठानों के मालिकों को ज्यादा समस्या नहीं होगी। दूसरी ओर, बड़े प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को अब कानून के अनुसार सभी जरूरी सुविधाएं और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
सरकार ने अधिनियम का दायरा बढ़ाते हुए अब क्लिनिक, पॉलीक्लिनिक, डिलीवरी होम, आर्किटेक्ट, टैक्स सलाहकार, टेक्निकल सलाहकार, सेवा प्रदाता, सर्विस सेंटर सहित कई अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी इसमें शामिल कर लिया है। इन क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को सुरक्षित कार्य का माहौल मिलेगा। इनके काम के घंटे और छुट्टियां निर्धारित होंगी। साथ ही, कर्मचारियों को अन्य कानूनी अधिकार और सुविधाओं का भी लाभ मिल सकेगा।
बता दें कि हाल ही में सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए रात की शिफ्ट के समय में परिवर्तन किया है। अब रात की शिफ्ट शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक मानी जाएगी, जबकि पहले यह अवधि रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक थी। इसका मतलब, महिलाएं अब शाम 7 बजे के बाद रात की शिफ्ट में शामिल होंगी।
-कर्मचारियों की डेली वर्क टाइमिंग 8 घंटे से बढ़ाकर 9 घंटे की गई।
-हालांकि पूरे सप्ताह में कुल काम के घंटे पहले की तरह 48 घंटे ही रहेंगे।
-अब किसी कर्मचारी से एक दिन में अधिकतम 11 घंटे तक ही काम कराया जा सकेगा। यह सीमा पहले 10 घंटे थी।
-पहले 3 महीनों में अधिकतम 125 घंटे ओवरटाइम की अनुमति थी, जिसे अब बढ़ाकर 144 घंटे कर दिया गया है।
-ओवरटाइम करने पर कर्मचारियों को हर घंटे के लिए उनकी सामान्य प्रति घंटे की मजदूरी का 2 गुना भुगतान मिलेगा।
दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में सजा और जुर्माने के प्रावधानों को पहले से ज्यादा सख्त यूपी सरकार ने कर दिया है। पहले नियम टूटने पर सिर्फ 100 से 500 रुपए तक का मामूली जुर्माना लगता था, नए संशोधन में सरकार ने जुर्माना राशि बढ़ा दी है।
-पहली गलती पर अब 2,000 रुपए तक का जुर्माना लगेगा।
-दूसरी बार गलती करने पर जुर्माना बढ़कर 10,000 रुपए तक हो जाएगा।