लखनऊ

Oxytocin Racket: लखनऊ में ऑक्सीटोसिन तस्करी का भंडाफोड़, 1.20 करोड़ की दवा जब्त, तीन गिरफ्तार

Oxytocin Racket Busted in Lucknow:   लखनऊ में एसटीएफ और एफएसडीए की संयुक्त कार्रवाई में प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर 1.20 करोड़ रुपये मूल्य की 5.87 लाख मिलीलीटर ऑक्सीटोसिन जब्त की गई। आरोपी बिहार से दवा मंगाकर मिलावट कर आसपास के जिलों में सप्लाई करते थे।

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Jul 03, 2025
ऑक्सीटोसिन की तस्करी का भंडाफोड़ फोटो सोर्स : STF Office

Oxytocin Smuggling STF Action: राजधानी लखनऊ में प्रतिबंधित औषधि ऑक्सीटोसिन की तस्करी कर रहे एक संगठित गिरोह का बुधवार को भंडाफोड़ हुआ। विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी लखनऊ के मोहान रोड स्थित हनुमंत किराना एवं जनरल स्टोर पर छापेमारी के दौरान की गई।

इस दौरान टीम ने 1.20 करोड़ रुपये मूल्य की प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन की 5,87,880 मिलीलीटर मात्रा जब्त की है। यह दवा बिना वैध लाइसेंस और स्वास्थ्य मानकों के प्रयोग के लिए तैयार की जा रही थी, जिसका दुरुपयोग पशुओं के दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने में होता है, जो मानव स्वास्थ्य और पशु कल्याण दोनों के लिए खतरनाक है।

कई दिनों से चल रही थी निगरानी

एसटीएफ के एएसपी अमित कुमार नागर के अनुसार कुछ समय से ऑक्सीटोसिन की तस्करी की सूचना मिल रही थी। जांच में पता चला कि यह गिरोह बिहार से उच्च क्षमता की ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की बड़ी खेप मंगाता था। उसके बाद उसमें मिलावट कर विभिन्न आकार की शीशियों में भरकर लखनऊ और उसके आसपास के जिलों में आपूर्ति की जाती थी। पुख्ता सूचना मिलने के बाद एसटीएफ और एफएसडीए की टीम ने बुधवार को बुद्धेश्वर चौराहा के पास स्थित मोहान रोड पर हनुमंत किराना एवं जनरल स्टोर पर छापा मारा, जहां गिरोह के सदस्य संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए गए।

कार्रवाई के दौरान तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया:

  • अनमोल पाल – निवासी मायापुरम, लखनऊ
  • अवधेश पाल – निवासी मोहान रोड, लखनऊ
  • खगेश्वर – निवासी बिसवां, जिला सीतापुर

पूछताछ में इन तीनों ने बताया कि वे लंबे समय से इस अवैध कारोबार में शामिल हैं और बिहार से माल लाकर उसे अवैध तरीके से प्रसंस्कृत कर बाजार में खपाते हैं।

छापेमारी के दौरान जब्त की गई सामग्री इस प्रकार है

  • भरी हुई शीशियाँ (2 मिली.) – 77,900
  • भरी हुई बोतलें (180 मिली.) – 2,396
  • खाली बोतलें (180 मिली.) – 800
  • रबर कैप्स – 136 पीस
  • एल्यूमिनियम कैप्स – 40 पीस
  • मालवाहक वाहन – 1
  • मोबाइल फोन – 3
  • नकद राशि – ₹12,000

इन सभी सामग्रियों को अवैध रूप से एक मकान में एकत्र कर वहां बिना लाइसेंस व मानक प्रक्रिया के इंजेक्शन भरे जा रहे थे। यह पूरा कार्य एक ‘मिनी फैक्ट्री’ की तर्ज पर चलाया जा रहा था, जिसमें किसी प्रकार की स्वीकृति या सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया था।

गंभीर स्वास्थ्य जोखिम

ऑक्सीटोसिन का प्रयोग सामान्यतः महिलाओं के प्रसव के समय और पशुओं के दुग्ध स्राव के लिए चिकित्सीय सलाह पर सीमित मात्रा में किया जाता है। लेकिन इसका अनियंत्रित व अनैतिक उपयोग दूध उत्पादन बढ़ाने या मांस को कृत्रिम रूप से फुलाने में किया जाता है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने ऑक्सीटोसिन के निर्माण और वितरण पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बावजूद, इसकी अवैध तस्करी और बिक्री एक गंभीर समस्या बनी हुई है। एफएसडीए के आयुक्त बृजेश सिंह और निरीक्षक विवेक सिंह ने बताया कि आरोपी गिरोह लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी और हरदोई जैसे जिलों में ऑक्सीटोसिन की सप्लाई कर रहे थे। वे बड़े पैमाने पर इसे छोटे किसानों, डेयरी मालिकों और अन्य स्थानीय विक्रेताओं को बेचते थे।

कई आरोपों में मामला दर्ज

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, भेषज अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम, और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अतिरिक्त, एफएसडीए ने बरामद ऑक्सीटोसिन के सैंपल जांच के लिए लैब भेज दिए हैं, जिससे पता चल सके कि उसमें किस स्तर की मिलावट या अपमिश्रण किया गया है।

राजधानी में तस्करी का बड़ा नेटवर्क

जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह का नेटवर्क राजधानी के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है और इनके पीछे कई अन्य सप्लायर और वितरक भी सक्रिय हैं। पुलिस अब इस गिरोह के पूरे नेटवर्क की कुंडली खंगालने में जुट गई है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

प्रशासन का सख्त रुख

राज्य सरकार ने बार-बार यह संकेत दिया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पशु कल्याण के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन इस तरह की तस्करी और मिलावट के मामलों को लेकर अब और अधिक सतर्क और सख्त हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीटोसिन का अत्यधिक और अवैध उपयोग न केवल पशुओं की शारीरिक संरचना को नुकसान पहुंचाता है बल्कि इसके दुष्प्रभाव दूध के माध्यम से इंसानों तक भी पहुंच सकते हैं। इससे हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, प्रजनन संबंधी समस्याएं आदि होने की संभावना रहती है।

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