लखनऊ

Pink Walkathon: लखनऊ में पिंक वॉकाथन से गूंजा संदेश – समय पर जांच से बचाई जा सकती हैं जानें

Pink Ribbon Campaign: ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के अवसर पर लखनऊ में परिवर्तन स्थल से परिवर्तन चौक तक भव्य वॉकाथन आयोजित हुआ। सैकड़ों प्रतिभागियों ने “अर्ली डिटेक्शन सेव्स लाइव्स” का संदेश देते हुए महिलाओं के स्वास्थ्य और समय पर जांच की महत्ता पर जोर दिया। विंटेज कार रैली भी आकर्षण का केंद्र रही।

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Oct 05, 2025
“अर्ली डिटेक्शन सेव्स लाइव्स” के नारे के साथ उमड़ा जनसैलाब, महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी संवेदनशीलता (फोटो सोर्स : Whatsapp)

Pink Walkathon in Lucknow Spreads Message of Hope: ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह (Breast Cancer Awareness Month) के अवसर पर रविवार सुबह राजधानी लखनऊ ने एक प्रेरणादायी दृश्य देखा, जब परिवर्तन स्थल से परिवर्तन चौक तक सैकड़ों लोगों ने एकजुट होकर वॉकाथन के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जन जागरण का संदेश दिया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों, जांच और समय पर उपचार की आवश्यकता को रेखांकित करना था। सुबह की हल्की ठंडी हवा और गुलाबी आभा के बीच प्रतिभागियों के हाथों में गुलाबी झंडियाँ और पोस्टर थे, जिन पर लिखा था - “अर्ली डिटेक्शन सेव्स लाइव्स” यानी "समय पर पहचान से बचाई जा सकती हैं जानें"। यह वाक्य पूरे अभियान का मूल संदेश बन गया।

महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सजगता जरूरी

आयोजन में डॉक्टरों, समाजसेवियों, कॉलेज के विद्यार्थियों, एनजीओ प्रतिनिधियों और शहरवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई महिलाएं गुलाबी टी-शर्ट और कैप पहने ‘पिंक वॉक’ में शामिल हुईं। कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), संजय गांधी पीजीआई (SGPGI), और लोहिया संस्थान जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टरों की भी इसमें सक्रिय भागीदारी रही। KGMU की ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. नीलिमा सिंह ने कहा कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे सामान्य कैंसर है, लेकिन अगर इसका पता शुरुआती अवस्था में लग जाए तो उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत तक होती है। इसलिए जागरूकता और नियमित जांच बेहद जरूरी है।”

विंटेज कार रैली बनी आकर्षण का केंद्र

इस वर्ष आयोजन की एक विशेषता थी - विंटेज कार रैली। पचास से अधिक विंटेज कारों ने गुलाबी सजावट के साथ शहर की सड़कों पर परेड की। इन कारों पर ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता से जुड़े संदेश लिखे गए थे। जैसे - “हर साल कराओ जांच, रखो खुद का ध्यान”, “कैंसर को हराना है, जीवन को सजाना है”। लोगों ने जगह-जगह खड़े होकर इस रैली का स्वागत किया और तस्वीरें लीं। इस रैली ने कार्यक्रम को न केवल रंगीन बनाया बल्कि संदेश को भी अधिक प्रभावी तरीके से लोगों तक पहुँचाया।

युवा वर्ग की उल्लेखनीय भागीदारी

लखनऊ विश्वविद्यालय, अमिटी, बीबीडी और कई अन्य कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भी इस वॉकाथन में भाग लिया। युवाओं ने नारे लगाए, “No Shame, Just Check!” और “Healthy Women, Healthy Nation!”। इन युवाओं ने कहा कि समाज में आज भी महिलाएं स्तन कैंसर के लक्षणों को लेकर झिझक महसूस करती हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा सोनल तिवारी ने बताया हमारा उद्देश्य सिर्फ मार्च करना नहीं, बल्कि समाज में यह बताना है कि ब्रेस्ट कैंसर कोई वर्जित विषय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य का मुद्दा है।”

1090 चौराहे पर हुआ समापन 

वॉकाथन का समापन 1090 चौराहे पर हुआ, जहां सभी प्रतिभागियों ने मोमबत्तियां जलाकर ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने की सामूहिक प्रतिज्ञा ली। हम वादा करते हैं कि अपने परिवार और समाज में महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए प्रेरित करेंगे,”- यह प्रतिज्ञा सभी ने एक स्वर में दोहराई। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ. मनीष मिश्रा, स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, ने कहा कि सरकार और सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से ही हम ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों से मुकाबला कर सकते हैं। हर जिले में जल्द ही निःशुल्क जांच शिविर लगाए जाएंगे।”

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और हेल्थ कैम्प का आयोजन

कार्यक्रम के दौरान कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं। ‘पिंक रिबन डांस’ नामक नृत्य नाटिका में कलाकारों ने ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं की हिम्मत और आत्मबल को भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। साथ ही, मौके पर ही एक फ्री हेल्थ स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया जहाँ महिलाओं को नि:शुल्क परामर्श और मैमोग्राफी की जानकारी दी गई।

जागरूकता ही बचाव का सबसे प्रभावी साधन

चिकित्सकों ने बताया कि भारत में हर साल लगभग 2 लाख नए ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। लखनऊ समेत शहरी क्षेत्रों में जागरूकता कुछ हद तक बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी जानकारी की भारी कमी है। डॉ. सीमा अग्रवाल (ऑन्कोलॉजिस्ट, लोहिया संस्थान) ने कहा कि कैंसर का डर निकालना सबसे जरूरी है। महिलाओं को यह समझना चाहिए कि ब्रेस्ट कैंसर का समय पर इलाज संभव है और इसकी पहचान स्वयं जांच (Self-Examination) से भी शुरू हो सकती है।”

कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने घोषणा की कि अक्टूबर माह के दौरान लखनऊ के विभिन्न इलाकों में “पिंक आउटरीच ड्राइव” चलाई जाएगी, जिसके तहत नुक्कड़ नाटक, जन जागरूकता रैलियां और मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। अर्ली डिटेक्शन सेव्स लाइव्स” के नारे के साथ यह वॉकाथन न केवल राजधानी लखनऊ में बल्कि पूरे प्रदेश में एक प्रेरक संदेश छोड़ गया  कि स्तन कैंसर अब डर का नहीं, जागरूकता का विषय है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए, क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज की नींव होती है।

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