
Lucknow Handicraft Fair (फोटो सोर्स : Whatsapp )
FICCI FLO Lucknow: गांधी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर के कारीगर मेला 2025 का आज अंतिम दिन था। मेले के समापन पर खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ी और लोगों ने त्योहारी मौसम के बीच जमकर खरीदारी की। लखनऊ के डाली बाग स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन परिसर में आयोजित इस मेले में पूरे देश से आए कारीगरों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। तीन दिनों तक चले इस आयोजन ने न केवल स्थानीय लोगों को आकर्षित किया, बल्कि हस्तनिर्मित स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकता और सम्मान की भावना भी बढ़ाई।
कारीगर मेले में देश और प्रदेश की समृद्ध कला और शिल्प परंपराओं की झलक देखने को मिली। अलग-अलग राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपने पारंपरिक और आधुनिक हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन किया। इस दौरान कन्नौज की सुगंधित इत्र, अमेठी के मूंज उत्पाद, बिहार की मधुबनी कला, हड्डी की नक्काशी, कांच के शिल्प, आभूषण, उत्सव उपहार और क्रोशिया के काम को आगंतुकों ने खूब सराहा। हर स्टॉल पर खरीदारों की भीड़ देखने को मिली, जिससे कलाकारों में भी उत्साह झलक रहा था।
मेले का सबसे खास आकर्षण रहा डेफ वूमेन वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा लगाया गया स्टॉल, जो पूरी तरह मूक-बधिर महिलाओं द्वारा संचालित था। फाउंडेशन की महासचिव मिनी गोपाल ने बताया कि स्टॉल पर रखे सभी उत्पाद मूक-बधिर महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित हैं। उनके द्वारा बनाए गए हैंडबैग, सजावटी वस्तुएं, हस्तनिर्मित ज्वेलरी और कपड़े आगंतुकों को काफी पसंद आए। मिनी गोपाल ने बताया कि इन उत्पादों की बिक्री से मिली राशि सीधे उन महिलाओं के पुनर्वास और रोजगार प्रशिक्षण में उपयोग की जाती है।
देवाशीष लघु उद्योग की संचालिका कंचन मेहरोत्रा और उनके विशेष रूप से सक्षम बेटे देवाशीष का स्टॉल भी लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र रहा। कंचन ने बताया कि वह अपने बेटे के साथ मिलकर कैंडल, दिए और घर की सजावटी वस्तुएं बनाती हैं। उनका कहना है कि देवाशीष भी इस कार्य में पूरी मेहनत और लगन से मदद करता है, जिससे न केवल उसे आत्मनिर्भरता मिलती है बल्कि समाज के लिए उदाहरण भी स्थापित होता है।
बिहार की स्वाति ठाकुर ने अपनी पारंपरिक मिथिला पेंटिंग के साथ नवाचार का सुंदर मेल पेश किया। उन्होंने बताया कि वह हरसिंगार के फूलों से प्राकृतिक रंग तैयार कर हस्तनिर्मित पेपर पर पेंटिंग करती हैं। रामायण थीम पर आधारित उनकी कलाकृतियां आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र रहीं। स्वाति ने कहा, “मेरे लिए कला केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम है।”
लखनऊ के राजाजीपुरम की आफिया ने अपने ब्रांड हुनर जादी क्रिएशन के तहत चांदी से बने हस्तनिर्मित जूते और चप्पलें प्रदर्शित कीं। उनकी बनाई जूतियों की कीमत ₹21,000 से ₹50,000 तक थी। आफिया ने बताया कि प्रत्येक जोड़ी को पारंपरिक डिजाइन और आधुनिक फिनिशिंग का अनूठा संगम बनाते हुए तैयार किया गया है। फैशन प्रेमियों ने उनके डिजाइनों की जमकर तारीफ की।
कार्यक्रम के अंतिम दिन फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा गर्ग ने कहा कि “हस्तनिर्मित, टिकाऊ और प्रामाणिक उत्पाद आधुनिक जीवनशैली को प्रेरित करते हैं। ऐसे आयोजन हमारे देश की पारंपरिक कलाओं को नए बाजार प्रदान करते हैं।” उन्होंने बताया कि आज जब दुनिया ‘सस्टेनेबल लिविंग’ की ओर बढ़ रही है, तब भारतीय हस्तनिर्मित उत्पाद न केवल सुंदरता बल्कि पर्यावरण-संवेदनशीलता का प्रतीक हैं।
फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की चेयरपर्सन वंदिता अग्रवाल ने कहा, “हमारा प्रयास है कि देश के कारीगरों, शिल्पियों और छोटे उद्यमियों को एक ऐसा मंच दिया जाए, जहां वे अपने हुनर को प्रदर्शित कर सकें और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।” उन्होंने आगे कहा कि इस मेले की अपार सफलता को देखते हुए अगले वर्ष आयोजन की अवधि बढ़ाने की योजना है, ताकि अधिक से अधिक कारीगर और खरीदार जुड़ सकें।
मेले के समापन अवसर पर फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय टेक्सटाइल हेड स्वाति वर्मा, पूर्व चेयरपर्सन आरुषि टंडन, विभा अग्रवाल, समिति की सदस्य सिमरन साहनी, देवांशी सेठ, स्मृति गर्ग, शमा गुप्ता, भावना अनिमेष, प्रज्ञा अग्रवाल, अदिति जग्गी, रिया पंजाबी और वनिता यादव सहित 300 से अधिक सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन फ्लो की युवा टीम ने किया।
मेले में रोजाना हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। हस्तनिर्मित आभूषण, गृह सज्जा सामग्री, पारंपरिक वस्त्र, ऑर्गेनिक उत्पाद और त्योहारों के उपहारों की खूब बिक्री हुई। आयोजकों के अनुसार, इस बार कारीगर मेले से छोटे कुटीर उद्योगों को उल्लेखनीय आर्थिक लाभ मिला है। साथ ही, युवा वर्ग में स्वदेशी उत्पादों के प्रति रुचि में भी बढ़ोतरी देखी गई।
Published on:
05 Oct 2025 12:23 am
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