UP Politics: रामपुर में सियासत का पारा चढ़ गया है। अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने शनिवार को सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान से उनके आवास पर मुलाकात की। करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है कि आखिर इतनी लंबी बातचीत में क्या चर्चा हुई।
UP Elections : उत्तर प्रदेश की सियासत में शनिवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला जब अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान से उनके रामपुर स्थित आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली और इसके बाद दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब प्रदेश की राजनीति में लगातार नए समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे हैं। दोनों नेताओं का पुराना संबंध और राजनीतिक प्रभाव इस मुलाकात को और भी अहम बना देता है।
सूत्रों के अनुसार, यह भेंट औपचारिक बताई जा रही है, लेकिन जिस तरह से दोनों नेताओं ने मीडिया से दूरी बनाए रखी और बैठक के दौरान किसी को अंदर नहीं आने दिया, उसने राजनीतिक अटकलों को और गहरा दिया है। सूत्र बताते हैं कि बैठक के दौरान प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, दलित-पिछड़ा एकता, और अल्पसंख्यक वोट बैंक के मुद्दों पर चर्चा हुई। कहा जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पार्टी को मजबूत आधार देने के लिए बड़े नेताओं से संवाद की रणनीति पर काम कर रहे हैं और आजम खान से यह मुलाकात उसी दिशा में एक कदम है।
रामपुर स्थित अपने आवास पर आजम खान ने स्वामी प्रसाद मौर्य का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई। मुलाकात के बाद आजम खान ने मीडिया से कहा कि हमारे पुराने साथी हैं। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन रिश्तों में दूरी नहीं होनी चाहिए। मुलाकात महज शिष्टाचार भेंट थी। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैं आज़म साहब से मिलने आया था। वे प्रदेश की राजनीति के बड़े नेता हैं। हमने देश और प्रदेश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की है। हालांकि, दोनों नेताओं ने बातचीत के मुद्दे को सार्वजनिक नहीं किया, जिससे कयासों को और बल मिला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस मुलाकात को हल्के में नहीं लिया जा सकता। स्वामी प्रसाद मौर्य, जिन्होंने हाल ही में अपनी जनता पार्टी की स्थापना की है, लगातार दलित-पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। आजम खान का राजनीतिक प्रभाव रामपुर, मुरादाबाद और संभल जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में काफी गहरा है। ऐसे में इस मुलाकात को एक संभावित राजनीतिक गठजोड़ की भूमिका के रूप में भी देखा जा रहा है।
एक वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार मुकेश ने कहा कि यह मुलाकात आगामी विधानसभा उपचुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक बड़ा संकेत है। अगर आजम खान और मौर्य जैसे नेता एक मंच पर आते हैं, तो यह बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कुछ महीनों से लगातार दौरे कर रहे हैं और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं। वे खुद को पिछड़े और दलित समाज की राजनीति के एक बड़े चेहरे के रूप में स्थापित करने की कोशिश में हैं। रामपुर का यह दौरा उसी मिशन का हिस्सा बताया जा रहा है। मौर्य ने हाल ही में कहा था कि हमारी राजनीति सम्मान और समानता की लड़ाई है। यूपी में आज जो माहौल है, उसमें सामाजिक न्याय की आवाज को बुलंद करना जरूरी है।
आजम खान पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य कारणों और कानूनी मामलों के चलते सक्रिय राजनीति से दूर हैं। लेकिन रामपुर में उनका जनाधार अब भी कायम है। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता का उनसे जाकर मिलना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि राजनीतिक बिसात पर नए गठजोड़ की आहट सुनाई देने लगी है।