लखनऊ

Rajesh Upadhyay Arrest: धर्मांतरण गैंग के मास्टरमाइंड छांगुर का खास सहयोगी बाबू राजेश गिरफ्तार, कोर्ट में केस मैनेजिंग का खुलासा

Babbu Rajesh Arrested: उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्मांतरण रैकेट के सरगना छांगुर उर्फ जमालुद्दीन के बेहद करीबी सहयोगी बाबू राजेश उपाध्याय को बलरामपुर से गिरफ्तार किया है। राजेश, अदालत में बाबू के पद पर तैनात था और छांगुर के इशारे पर केस मैनेज करता था। जांच में पुणे की प्रॉपर्टी डील भी उजागर हुई है।

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Jul 20, 2025
यूपी एटीएस ने छांगुर के सहयोगी बाबू राजेश को दबोचा फोटो सोर्स : Social Media

Rajesh Upadhyay Arrest UP ATS: उत्तर प्रदेश की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने राजधानी लखनऊ से महज कुछ ही दिनों बाद एक और महत्वपूर्ण गिरफ्तारी की है। इस बार कार्रवाई धर्मांतरण रैकेट के प्रमुख छांगुर उर्फ जमालुद्दीन के करीबी सहयोगी बाबू राजेश उपाध्याय के खिलाफ हुई है। राजेश पर अदालतों में छांगुर के फर्जी वादे दायर कराने, साजिश के तहत विपरीत पक्ष के खिलाफ चालबाजी करने और केस मैनेज करने का आरोप है।

छांगुर उर्फ जमालुद्दीन एक जाना-माना धर्मांतरण सरगना है, जिसे बलरामपुर इलाके में “छांगुर बाबा” के नाम से भी जाना जाता है। वह पिछले कुछ वर्षों में अवैध धर्मांतरण और फर्जीवाड़े की संलिप्तता के चलते पुलिस एवं जांच एजेंसियों की नजर में था। हाल ही में उसके खिलाफ बलरामपुर पुलिस, एसटीएफ, और अब एटीएस की कार्रवाई तेज हुई है। एटीएस की छापेमारी इसी क्रम का हिस्सा है। छांगुर के गुर्गों और सहयोगियों की एक सूची तैयार की गई थी, जिनकी मदद से छांगुर अपनी योजना को कोर्ट-कचहरी में भी संचालित करता था।

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एटीएस की तफ्तीश: कैसे पकड़ा गया राजेश

शनिवार तड़के, एटीएस की टीम गोपनीय रूप से बलरामपुर पहुंची और छांगुर की अदालत विभाग में तैनात बाबू राजेश उपाध्याय को पकड़ने की योजना बनाई। राजेश नियमित रूप से कोर्ट में पर्चा दाखिल, एफआईआर दर्ज, और फर्जी वादे दायर कराने की भूमिका निभा रहा था।

एटीएस सूत्रों के अनुसार रजिस्ट्रेशन, दस्तावेज तैयार करने, फर्जी हस्ताक्षर करवाने आदि में राजेश का योगदान महत्वपूर्ण था। वह छांगुर के विरोधियों को फंसाने के लिए झूठे मुकदमे करवाता था। राजेश की मदद से छांगुर अपनी शरणार्थी गतिविधियों का अवैध बहाना तैयार कराता था।

प्रॉपर्टी सौदे का खुलासा: पत्नी को महाराष्ट्र में हिस्सेदारी

पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में इतना खुलासा हुआ कि राजेश की पत्नी संगीता उपाध्याय को छांगुर द्वारा महाराष्ट्र के पुणे स्थित एक प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी दी गई थी। एटीएस का दावा है कि इस सौदे में संतोषजनक लाभ भी राजेश के परिवार को मिलता रहा। छांगुर और राजेश के बीच एक प्रकार का माली-आर्थिक गठजोड़ भी सामने आया है।

महत्वपूर्ण पूछताछ और पूछताछ जारी

गिरफ्तारी के बाद राजेश को लखनऊ स्थित मुख्यालय पहुंचाया गया, जहां उसे गहन पूछताछ के लिए रखा गया है। पूछताछ में उसके कथन के आधार पर छांगुर के अन्य सहयोगियों की पहचान हो पाएगी। राजेश ने कितने मामलों में हस्तक्षेप किया इसका पता चलेगा। कोर्ट-कचहरी में छांगुर ने की गई वित्तीय धांधली का विवरण मिलेगा।
एटीएस सूत्रों का कहना है कि राजेश की पूछताछ से इलाके में फैले नेटवर्क का पूरा सरंचना उजागर होगी।

छांगुर की गिरफ्तारी- पहले की घटनाएं

वर्ष 2025 की शुरुआत में बलरामपुर पुलिस ने छांगुर उर्फ जमालुद्दीन को अवैध धर्मांतरण रैकेट में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके समय-समय पर कई प्रवासी छात्राओं को धर्म बदलने के लिए फुसलाने का खुलासा हुआ था। इसके बाद इस पर डीएम, एसपी और ATS/STF स्तर पर जांच जारी थी। राजेश की गिरफ्तारी कभी अकेली कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे रैकेट के अंतर्गत चल रही जासूसी, निगरानी और प्रमाण जुटाने का परिणाम है।

आगे की जांच और संभावित कार्रवाई

इस गिरफ्तारी के बाद एटीएस की संयुक्त फील्ड टीमें छांगुर रैकेट पर और गहराई से काम कर रही हैं। प्रमुख दिशा में अदालतों से जुड़े अन्य बाबुओं, वकीलों, और सहायक स्टाफ का सहयोग उठाना। धन-प्रवाहों का लेखा-जोखा तैयार करना। महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मौजूद छांगुर के ठिकानों की तलाशी। विरोधियों को फंसाने में इस्तेमाल हुए एफआईआर/फर्जी दस्तावेज का सत्यापन। एटीएस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही और सहयोगियों, प्रॉपर्टी दलालों और वकीलों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

प्रभाव- धर्मांतरण रैकेट और न्याय व्यवस्था पर सवाल

राजेश की गिरफ्तारी ने साबित किया कि धर्मांतरण रैकेट सिर्फ नाबालिग या कमजोर महिलाओं तक सीमित नहीं बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं का भी दुरुपयोग करते हैं। यह व्यवस्था:

  • फर्जी मुकदमों से विरोधियों को डायवर्ट करना
  • कोर्ट के माध्यम से धार्मिक पहचान छुपाना
  • अदालत और प्रशासन में 'मौके' तैयार करना
  • इस पूरी प्रक्रिया ने न्याय व्यवस्था, संरक्षण के तंत्र और धार्मिक कार्यों पर विश्वास को प्रभावित किया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और प्रशासन का रुख

छांगुर मामले को लेकर बलरामपुर क्षेत्र में पत्रकार-नागरिक प्रतिक्रिया तेज हो रही है। समाज का एक तबका कहता है कि धर्म का आड़ लेकर कानूनी और आर्थिक लाभ लेना कतई स्वीकार्य नहीं। प्रशासन भी अब सक्रिय रूप से इस पर नज़र रख रहा है। एटीएस की इस गिरफ्तारी ने संदेश दिया है कि कानून की आंख घूमती नहीं और धार्मिक बहाने पर होने वाली छद्म गतिविधियों का जल्द पता लगाकर कार्रवाई की जाएगी।

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