
विदेशी फंडिंग और पाकिस्तान कनेक्शन की जांच में पुष्टि फोटो सोर्स : Social Media
UP Police Action: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बहुराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन रखने वाले अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई ‘मिशन अस्मिता’ के तहत की गई है, जिसके अंतर्गत अब तक विभिन्न जिलों में चल रहे धार्मिक परिवर्तनों के मामलों की गहन जांच की जा रही है। इस बार पुलिस ने छह राज्यों में फैले नेटवर्क से जुड़े 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर युवतियों को धोखे से धर्मांतरण कराने का आरोप है। गिरफ्तारी की कार्रवाई तब शुरू हुई जब आगरा की दो बहनों के मार्च 2025 में हुए अपहरण की जांच के दौरान इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। दोनों बहनों को हाल ही में कोलकाता से बरामद किया गया।
मार्च 2025 में आगरा से लापता हुईं 33 और 18 वर्षीय दो बहनों की तलाश में जुटी पुलिस को कई महीनों की जांच के बाद कोलकाता के एक घर में सफलता मिली। बहनों को परिवार की मौजूदगी में मुक्त कराया गया। लेकिन जब पुलिस ने इस ऑपरेशन की तह तक जाना शुरू किया, तो मामला महज अपहरण का नहीं बल्कि व्यापक अवैध धर्मांतरण रैकेट का निकला, जिसमें विदेशी फंडिंग, देशद्रोही तत्व और अंतरराज्यीय सहयोग की बू साफ मिल रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि यह नेटवर्क PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया), SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) और पाकिस्तान के कुछ कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ा हुआ है। पुलिस का दावा है कि धर्मांतरण कराने के लिए धोखा, फुसलाना, आर्थिक लालच, और भावनात्मक कमजोरियों का इस्तेमाल किया जाता था। आरोपी कनाडा सहित अन्य देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त करते थे।
पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए 11 विशेष टीमों का गठन किया था, जिन्हें पश्चिम बंगाल, गोवा, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भेजा गया। इन टीमों ने समन्वित कार्रवाई करते हुए जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
इनमें कुछ आरोपी सरकारी या निजी नौकरियों में कार्यरत थे, तो कुछ स्वतंत्र व्यवसाय चला रहे थे। पुलिस के अनुसार, इनमें से एक आरोपी विदेश में रहकर नेटवर्क संचालित कर रहा है।
पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आरोपी धर्म परिवर्तन की पूरी प्रक्रिया में अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहे थे। इनमें प्रमुख भूमिकाएं थीं:
जांच में यह भी सामने आया कि कई नाबालिग लड़कियों को भी निशाना बनाया गया। पुलिस को संदेह है कि यह नेटवर्क अब तक सैकड़ों धर्म परिवर्तन करा चुका है।
DGP राजीव कृष्ण ने बताया कि यह ऑपरेशन ‘मिशन अस्मिता’ के अंतर्गत किया गया है, जो महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा व स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, जांच में अब उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) की टीमें भी शामिल कर ली गई हैं। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार (आगरा) ने बताया कि आरोपियों को 10 दिन की पुलिस रिमांड मिल गई है, जिससे अब पूछताछ में नेटवर्क की पूरी परतें उजागर होने की संभावना है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस तरह का नेटवर्क केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक सौहार्द और युवाओं की आजादी पर हमला है। विदेश से फंडिंग प्राप्त कर युवतियों को धर्म बदलने को मजबूर करना न केवल संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है, बल्कि एक प्रकार की मानव तस्करी और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न भी है।
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की मुस्तैदी और सूक्ष्म जांच क्षमताओं का उदाहरण है, लेकिन इससे यह भी स्पष्ट होता है कि ऐसे नेटवर्क हमारे समाज में चुपचाप पनप रहे हैं। आवश्यकता है कि:
Updated on:
20 Jul 2025 02:16 pm
Published on:
20 Jul 2025 01:22 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
