Shastra Puja on Vijayadashami: लखनऊ में विजयादशमी पर भारतीय क्षत्रिय समाज द्वारा आयोजित शस्त्र पूजन समारोह में आत्मगौरव और राष्ट्र रक्षा की भावना को प्रबल करने का संदेश दिया गया। मुख्य अतिथि सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शस्त्रपूजन केवल परंपरा नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र हित की रक्षा का संकल्प है।
Shastra Puja 2025 : विजयादशमी के अवसर पर गोमतीनगर स्थित सीएमएस सभागार में भारतीय क्षत्रिय समाज, लोक अधिकार मंच एवं ऊर्जस्वी कुलश्रेष्ठ कुटुंब द्वारा आयोजित भव्य शस्त्र पूजन समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर समाज के प्रबुद्धजनों, जनप्रतिनिधियों और युवाओं की भारी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने शस्त्र पूजन की परंपरा को भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि “भारत में शस्त्र पूजन की परंपरा बेहद प्राचीन है। यह केवल तलवार या अस्त्र-शस्त्र का पूजन नहीं, बल्कि समाजरक्षण, आत्मरक्षा और देश रक्षा की भावना का संकल्प है।”
अपने संबोधन में सांसद डॉ. शर्मा ने भगवान श्रीराम और महर्षि परशुराम का उदाहरण देते हुए कहा कि आदर्श क्षत्रिय वही है जो समाज और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखता है। उन्होंने कहा – राजा श्रीराम आदर्श क्षत्रिय थे, जिन्होंने गिरिजन, परिजन और वनवासी समाज को गले लगाकर राक्षसों का संहार किया और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। महर्षि परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण और भीष्म पितामह को शस्त्रज्ञान देकर क्षत्रिय धर्म को परिभाषित किया। आज क्षत्रिय समाज को किसी भी प्रकार के कटु नैरेटिव से सावधान रहने की आवश्यकता है। हमारी परंपरा एकता और समाजरक्षण की है।
कार्यक्रम के संयोजक एवं भारतीय क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष अनिल सिंह गहलोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्षत्रिय केवल जन्म से परिभाषित नहीं होता, बल्कि यह धर्म और आदर्श जीवनशैली है। उन्होंने कहा जो भी धर्म का पालन करता है, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होता है, वही क्षत्रिय है। धर्म रक्षा हेतु यदि शस्त्र उठाना पड़े तो यह शास्त्र सम्मत है। शस्त्रपूजन केवल प्रदर्शन नहीं बल्कि परंपरा से जुड़ने और अपनी जड़ों को याद करने का माध्यम है। हमारे कुल में ही भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, परशुराम जैसे दिव्य अवतार हुए हैं। यह कुल अतुलनीय है।
विशिष्ट अतिथि एवं लखनऊ के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि क्षत्रिय धर्म का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे शिक्षा, तकनीक और डिजिटल दक्षता से स्वयं को सशक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि आने वाला दौर डिजिटल क्रांति का है। डिजिटल साक्षरता सबसे बड़ा हथियार बनेगी। युवा सक्षम होंगे तो नौकरियां स्वयं तलाश करती हुई आएंगी। प्रभु श्री राम को काल्पनिक बताना हमारी नींव पर हमला था। क्षत्रिय समाज अपने आराध्य पर किसी भी आघात को स्वीकार नहीं करेगा।”
सदस्य विधान परिषद पवन सिंह चौहान ने कहा कि शस्त्र पूजन केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि “अन्याय, असत्य, अधर्म और अनीति से लड़ने का संदेश” है। सदस्य विधान परिषद अंगद कुमार सिंह ने कहा कि क्षत्रियों ने आदिकाल से ही सभी वर्गों की रक्षा की है और जब भी राष्ट्र को आवश्यकता पड़ी, क्षत्रियों ने अपने द्वार समाज के लिए खोल दिए।
भारत में दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। इसे केवल धार्मिक आस्था से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। यह आत्मगौरव, आत्मरक्षा और समाज रक्षा का प्रतीक है।
इस भव्य आयोजन में समाज और राजनीति के अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। इनमें राज्य महिला आयोग की सदस्य एकता सिंह, पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, पूर्व आईएएस एसपी सिंह, शिक्षाविद डॉ. एसकेडी सिंह, भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजीव मिश्र, भारतीय क्षत्रिय समाज के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. पंकज सिंह भदौरिया, प्रदेश महामंत्री विशाल चंद्र शाही, क्षत्रिय समन्वय समिति के अध्यक्ष प्रदीप सिंह 'बब्बू', एआईसीसी सदस्य डॉ. देवेंद्र प्रताप सिंह, मिशन आत्मसंतुष्टि के संरक्षक राजवर्धन सिंह 'राजू', डॉ. अखिलेश सिंह, प्रधान संघ की अध्यक्ष संयोगिता सिंह चौहान, ऊर्जस्वी कुलश्रेष्ठ कुटुंब के संस्थापक डॉ. अतुल मोहन सिंह, अरुण प्रताप सिंह, रोली सिंह चौहान, भारत सिंह, अजीत कुमार सिंह, नैमिष प्रताप सिंह, डॉ. मनु सिंह चौहान, प्रभा सिंह, डॉ. शशि सिंह, श्याम पाल सिंह, पुष्पा सिंह सोमवंशी, रितेश सिंह, केके सिंह, नीलम सिंह, अधिवक्ता अंशु सिंह, अजय सिंह सिकरवार, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रमोद सिंह, धनंजय सिंह राणा सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
सभागार में आयोजित शस्त्र पूजन समारोह में पारंपरिक विधि-विधान से अस्त्र-शस्त्रों का पूजन किया गया। मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच जब शस्त्रों की पूजा हुई, तो उपस्थित लोगों के मन में राष्ट्रभक्ति और समाज रक्षण की भावना और प्रबल हो गई। वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि शस्त्र केवल आक्रमण का साधन नहीं बल्कि न्याय, धर्म और समाज की रक्षा का प्रतीक हैं।