Protests:मंत्री की अर्थी रोकने को लेकर हल्द्वानी में पुलिस और छात्रों में तीखी झड़प हो गई। अर्थी को लेकर पुलिस-प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। पुलिस ने अर्थी को कब्जे में ले लिया था। वहीं, दूसरी ओर गुस्साए छात्रों ने टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
Protests:मंत्री की अर्थी रोकने को लेकर छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। ये मामला उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर का है। छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर रविवार को छात्रों ने एमबीपीजी कॉलेज में प्रदर्शन कर आक्रोश जताते हुए धरना दिया। छात्रों ने विरोधस्वरूप उच्च शिक्षा मंत्री की सांकेतिक शव यात्रा निकालने की कोशिश की। पुलिस ने छात्रों को ऐसा करने से रोक दिया। इस पर छात्रों की पुलिस में तीखी झड़प शुरू हो गई। इस दौरान छात्रों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्र देर शाम तक कॉलेज परिसर में धरने पर अड़े रहे। छात्रों ने धरनास्थल पर टेंट भी लगा दिया था। हालांकि शाम करीब सात बजे सभी छात्रनेता चले गए थे। इससे पूर्व मंत्री की सांकेतिक अर्थी रोकने को लेकर भारी तनाव के हालात पैदा हो गए थे। छात्रों ने पुलिस प्रशासन और मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि जान बूझकर छात्रसंघ चुनाव टाले गए हैं। इसके जरिए सरकार छात्र राजनीति को खत्म करना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मंत्री की शव यात्रा निकालने से हंगामे का माहौल पैदा हो गया था। छात्र नेता रक्षित सिंह बिष्ट अन्य छात्र नेता कॉलेज में पहुंचे। छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर उन्होंने मुख्य गेट पर धरना शुरू कर दिया। छात्रों के बढ़ते आक्रोश को देख चीफ प्रॉक्टर डॉ. कविता बिष्ट, डॉ. विनय जोशी, डॉ. संजय खत्री कॉलेज पहुंचे। दोपहर करीब 2 बजे छात्रों नेताओं ने परिसर के अंदर उच्च शिक्षा मंत्री की सांकेतिक शव यात्रा निकालने की कोशिश की। छात्रों के अचानक इस कदम से पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे। पुलिस ने छात्रों को सांकेतिक शव यात्रा निकालने से रोक दिया। पुलिस ने सांकेतिक रूप से बनाई गई अर्थी भी कब्जे में लेकर नष्ट कर दी।
छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों को कॉलेज प्रशासन ने धरनास्थल पर टेंट लगाने की सशर्त अनुमति दे दी है। प्राचार्य डॉ. एनएस बनकोटी ने बताया कि छात्रों ने रविवार को टेंट लगाने की अनुमति देने की मांग की थी। इस आधार पर उन्हें सशर्त अनुमति दी गई है। अनुमति के साथ यह भी निर्देश दिया गया है कि प्रार्थना पत्र में जिन छात्रों के नाम हैं, उससे अधिक छात्र भी परिसर में नहीं होने चाहिए। यदि परिसर में छात्रों की ओर से कोई नुकसान किया जाता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।