Bar License Excise Department: लखनऊ में बार लाइसेंस से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर आबकारी विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। रेस्टोरेंट और होटलों में अवैध रूप से शराब परोसने वालों पर जल्द सख्त कार्रवाई होगी। आबकारी आयुक्त के निर्देश पर अधिकारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी गई है।
UP Government Cracks Down on Illegal Bar Licenses: उत्तर प्रदेश में रेस्टोरेंट, होटल और क्लबों में शराब परोसने के लिए जारी किए जा रहे बार लाइसेंस को लेकर सामने आई अनियमितताओं पर अब आबकारी विभाग ने सख्त रुख अपना लिया है। आबकारी आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह ने पूरे प्रदेश में लाइसेंसिंग व्यवस्था को लेकर कड़े निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि नियमों की अनदेखी करने वालों पर बिना किसी संकोच के कठोर कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, कई प्रतिष्ठान महज कुछ दिनों के लिए अस्थायी लाइसेंस लेकर रोजाना शराब परोस रहे हैं, जिससे न सिर्फ कानून का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। विभाग ने अब ऐसे मामलों पर सीधे लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है।
जांच में सामने आया है कि कई रेस्टोरेंट और होटल मालिक अल्पकालिक या इवेंट बेस्ड लाइसेंस लेकर पूरे साल शराब सर्व कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक, इस तरह का लाइसेंस केवल सीमित अवधि या विशेष अवसरों के लिए मान्य होता है, लेकिन इन प्रतिष्ठानों ने इसे स्थायी लाइसेंस की तरह इस्तेमाल किया। यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही थी, लेकिन अब आबकारी विभाग ने इस पर लगाम लगाने की ठान ली है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ऐसे प्रतिष्ठानों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आबकारी आयुक्त ने साफ निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी स्तर पर विभागीय अधिकारियों या कर्मचारियों की मिलीभगत पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर निलंबन से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने तक की कार्रवाई की जाएगी। डॉ. आदर्श सिंह ने स्पष्ट किया कि विभाग की छवि को धूमिल करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।
विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में अवैध रूप से शराब परोसने वाले प्रतिष्ठानों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सभी जिला आबकारी अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में सतर्क निगरानी रखें और समय-समय पर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजें। आबकारी विभाग अब डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करने की दिशा में भी काम कर रहा है, जिसके तहत लाइसेंसधारकों की रियल-टाइम निगरानी की जा सकेगी।
अब क्लब और बार के लाइसेंस के नवीनीकरण की प्रक्रिया को भी पहले से ज्यादा सख्त किया जा रहा है। विभाग ने तय किया है कि बिना संपूर्ण पंजीकरण जांच किए कोई भी लाइसेंस जारी या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। हर नवीनीकरण से पहले संबंधित प्रतिष्ठान की भौतिक जांच, रिकॉर्ड सत्यापन और नियमों के पालन की गंभीरता से पड़ताल की जाएगी। अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है, तो नवीनीकरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाएगा।
अब लाइसेंस जारी करने से पहले प्रतिष्ठान के पंजीकरण, मालिकाना हक, टैक्स से जुड़े दस्तावेज, फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र और स्थानीय निकाय की अनुमति की भी जांच अनिवार्य की जा रही है। बिना पूर्ण दस्तावेजों के किसी भी आवेदक को अब लाइसेंस नहीं मिलेगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल नियमों का पालन करने वाले प्रतिष्ठानों को ही शराब परोसने की अनुमति मिले।
आबकारी विभाग के आंतरिक आकलन के अनुसार, गलत तरीके से शराब परोसने और अवैध लाइसेंस के जरिए सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा था। यह पैसा राज्य के विकास कार्यों में इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन मिलीभगत और लापरवाही के चलते यह राजस्व लगातार प्रभावित हो रहा था। अब विभाग ने इसे प्राथमिकता में रखते हुए इस पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का फैसला लिया है।
आबकारी विभाग की छवि को लेकर भी लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आरोपों के बीच अब विभाग अपनी कार्यप्रणाली को साफ और पारदर्शी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। डॉ. आदर्श सिंह ने सभी अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करें, ताकि विभाग की साख मजबूत हो सके।
सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में आबकारी विभाग प्रदेशभर में एक विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है, जिसके तहत रेस्टोरेंट, होटल, पब और क्लबों की औचक जांच की जाएगी। इस दौरान लाइसेंस, स्टॉक, बिक्री रजिस्टर और ग्राहकों को परोसी जा रही शराब के स्रोत की भी जांच की जाएगी।