लखनऊ

UP Government Notice: शिक्षा योजनाओं में लापरवाही पर सख्त योगी सरकार- 40 जिलों को नोटिस, 15 दिन में काम पूरा करने का आदेश

UP Government Notice Education Schemes: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा योजनाओं के क्रियान्वयन में सुस्ती दिखाने वाले 40 जिलों को नोटिस जारी किया है। शासन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि साइंस पार्क निर्माण, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में संसाधन उपलब्ध कराने और जर्जर स्कूल भवनों को गिराने जैसे लंबित कार्य 15 दिनों में पूरे किए जाएं।

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Nov 01, 2025
Uttar Pradesh Government,Education News (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

UP Government Notice to 40 Districts: उत्तर प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग की योजनाओं को लागू करने में सुस्ती दिखाने वाले जिलों पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रमुख सरकारी स्कूलों में शैक्षिक योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई बरतने वाले कुल 40 जिलों को चेतावनी देते हुए नोटिस जारी की गई है। शासन ने सभी जिलाधिकारियों और शिक्षा अधिकारियों को 15 दिनों की समय-सीमा देते हुए कहा है कि लंबित कार्यों को तत्काल पूरा किया जाए, अन्यथा कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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शासन स्तर पर समीक्षा बैठक में खुली पोल

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में शिक्षा विभाग की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में यह मामला सामने आया कि कई जिलों ने शिक्षा से संबंधित योजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं दिखाई। बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग की अलग-अलग योजनाओं की रिपोर्ट मांगी गई थी। इसमें यह पाया गया कि कई जिलों ने न तो बजट का सही उपयोग किया है और न ही योजनाओं को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाया है।

कई महत्वपूर्ण योजनाओं में पिछड़ रहे जिले

  • शासन की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, जिन योजनाओं में सबसे अधिक लापरवाही देखी गई है, उनमें शामिल हैं:
  • साइंस पार्क निर्माण परियोजना – कई जिलों में अब तक पार्क बनाने के लिए जमीन तक चिन्हित नहीं की गई।
  • जर्जर भवनों का ध्वस्तीकरण (Demolition of unsafe buildings) – वर्षों से खस्ताहाल स्कूल भवनों को गिराने का कार्य अधूरा पड़ा है।
  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) में संसाधन व पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता में भारी कमी।
  • कंपोजिट स्कूल ग्रांट, प्रशिक्षण बजट, और टीएलएम (Teaching Learning Material) जैसी मदों में खर्च का स्तर बहुत कम रहा।
  • बेसिक ढांचा विकास - शौचालय, पेयजल सुविधा, फर्नीचर, और डिजिटल उपकरणों की आपूर्ति में देरी।

नोटिस में नामित प्रमुख जिले

नोटिस में खास तौर पर संबल, लखनऊ, सोनभद्र, आजमगढ़, आगरा, गाजियाबाद, भदोही और ललितपुर जैसे बड़े जिलों का उल्लेख किया गया है। इन जिलों ने शैक्षणिक योजनाओं में आवंटित बजट का उपयोग न करने या अधूरे कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में गंभीर ढिलाई दिखाई है। बेसिक शिक्षा महानिदेशालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जिलों में बजट उपयोग प्रतिशत अन्य जिलों की तुलना में बहुत कम है, जिससे राज्य की शिक्षा योजनाओं की समग्र प्रगति प्रभावित हो रही है।

15 दिन की सख्त समय-सीमा

शासन ने अब संबंधित जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे 15 दिनों के भीतर सभी लंबित कार्यों को पूरा करें। यदि निर्धारित समय में प्रगति रिपोर्ट नहीं दी गई, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि विभागीय लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उत्तरदायित्व तय करते हुए निलंबन अथवा वेतन रोकने जैसी कार्रवाई संभव है।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्थिति चिंताजनक

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) योजना, जो बालिकाओं को नि:शुल्क आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है, उसकी स्थिति कई जिलों में बेहद खराब बताई गई है। कई स्कूलों में छात्राओं के लिए पर्याप्त पुस्तकें, फर्नीचर और प्रयोगशाला सामग्री उपलब्ध नहीं हैं। कुछ जिलों में बालिकाओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्थाएं भी अधूरी पाई गई हैं। शासन ने इन विद्यालयों में संसाधनों की तत्काल पूर्ति के निर्देश दिए हैं और कहा है कि किसी भी परिस्थिति में छात्राओं की शिक्षा प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

साइंस पार्क व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर फोकस

राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया है। इसी क्रम में प्रत्येक जिले में साइंस पार्क स्थापित करने की योजना बनाई गई थी, ताकि बच्चों को विज्ञान की अवधारणाओं को प्रायोगिक रूप से समझने में मदद मिल सके। परंतु, कई जिलों में इस दिशा में जमीन चयन तक नहीं किया गया है, जिससे परियोजना ठप पड़ी है। शासन ने अब संबंधित जिलों को चेतावनी दी है कि अगर निर्धारित समय में भूमि चयन और कार्य प्रारंभ नहीं हुआ, तो उस जिले का बजट रोक दिया जाएगा।

बेसिक और माध्यमिक शिक्षा का अलग-अलग मूल्यांकन

राज्य स्तर पर बेसिक और माध्यमिक शिक्षा दोनों विभागों की अलग-अलग समीक्षा की गई। जहाँ बेसिक शिक्षा में प्राथमिक विद्यालयों की व्यवस्था और टीएलएम ग्रांट पर ध्यान केंद्रित था, वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया गया। दोनों ही स्तरों पर कई जिलों में 50% से कम प्रगति दर्ज की गई, जो चिंताजनक मानी गई।

सरकार की सख्ती का मकसद- शिक्षा गुणवत्ता में सुधार

शासन ने स्पष्ट किया है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल चेतावनी देना नहीं, बल्कि शिक्षा गुणवत्ता को सुधारना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पिछले कुछ वर्षों से "ऑपरेशन कायाकल्प" और "स्कूल चले हम" जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकारी स्कूलों को सुदृढ़ बनाने के प्रयास कर रही है। परंतु इन योजनाओं की रफ्तार जिला स्तर पर धीमी पड़ने से प्रदेश की शिक्षा नीति पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।

शिक्षा अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी

शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि अब से सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) और जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। जहाँ योजनाएं अधूरी पाई जाएंगी, वहाँ जिम्मेदार अधिकारी से जवाब तलब किया जाएगा।राज्य सरकार का मानना है कि यदि योजनाएं समय पर पूरी हों, तो सरकारी स्कूलों की स्थिति में बड़ा सुधार संभव है।

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