UP STF Investigation: उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग वाहनों से अवैध वसूली करने वाले बड़े सिंडिकेट की जांच ने परिवहन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। एसटीएफ की कार्रवाई बढ़ते ही कई एआरटीओ अचानक छुट्टी पर चले गए और कई के मोबाइल बंद मिले। मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच और तेज हो गई है।
UP Illegal Extortion Racket Exposed: उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग वाहनों से अवैध वसूली के बड़े और संगठित नेटवर्क पर चल रही यूपी एसटीएफ की कार्रवाई ने परिवहन विभाग में भारी हड़कंप मचा दिया है। जांच आगे बढ़ते ही कई जिलों के परिवहन अधिकारी अचानक छुट्टी पर चले गए, जिनमें लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी और फतेहपुर के ARTO प्रमुख रूप से शामिल हैं। मेडिकल अवकाश पर गए कई अधिकारियों के मोबाइल फोन भी बंद पाए गए, जिससे जांच एजेंसियों के संदेह और गहरे हो गए हैं।
एसटीएफ ने इस सिंडिकेट के खिलाफ मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज कराई है और जांच को तेज करते हुए विभाग के कई अधिकारियों और दलालों पर नजरें टिका दी हैं। परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने छुट्टी पर जाने वाले अधिकारियों का कार्यभार तुरंत प्रभाव से अन्य अधिकारियों को सौंप दिया है, जो स्पष्ट संकेत है कि विभाग भी मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई मोड में आ गया है।
एसटीएफ को शिकायतें मिली थीं कि यह वसूली नेटवर्क न केवल प्रदेश के कई जिलों में फैला है, बल्कि इसमें विभागीय कर्मचारियों, बाहरी दलालों और कुछ प्रभावशाली लोगों की भी संलिप्तता है। सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ ने छिपे कैमरों, कॉल रिकॉर्ड, ट्रांसपोर्टरों के बयान, और कुछ कर्मचारियों की आपसी बातचीत के आधार पर एक मजबूत केस तैयार किया है। जांच में ठोस सबूत मिलते ही कार्रवाई शुरू हुई।
इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों का समान समय पर छुट्टी लेना जांच एजेंसियों की नजर में एक संदिग्ध संयोग माना जा रहा है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद से कई अधिकारी एसटीएफ की रडार पर हैं और उनके पिछले वित्तीय लेन-देन, कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शनों, और संदिग्ध संपर्कों की जांच शुरू कर दी गई है।
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कुछ परिवहन अधिकारियों ने मेडिकल लीव का सहारा तो लिया, लेकिन उनके फोन लगातार बंद पाए जा रहे हैं। एसटीएफ का मानना है कि कुछ अधिकारी जांच से बचना चाह रहे हैं। कुछ अपने मोबाइल बदल चुके हैं। कई सर्कल बदलकर अस्थायी रूप से गायब हैं। यह एसटीएफ के संदेहों को और मजबूत करता है कि इस अवैध नेटवर्क में बड़ी संलिप्तता रही है।
जांच एजेंसियों के पास कॉल डिटेल, व्हाट्सएप चैट, सीसीटीवी फुटेज और आर्थिक दस्तावेजों का बड़ा संग्रह तैयार हो चुका है।
परिवहन विभाग से जुड़े वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि कई अधिकारियों पर सस्पेंशन की तैयारी है। कुछ के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू हो सकती है। जिन पर पुख्ता प्रमाण मिलेंगे, उन पर गिरफ्तारी संभव है। राज्य सरकार भी मामले को गंभीरता से देख रही है। एसटीएफ ने जल्द ही इस मामले में दूसरी बड़ी चार्जशीट दाखिल करने के संकेत भी दिए हैं।
ओवरलोडिंग सिंडिकेट की जांच ने एक बार फिर साबित किया है कि यूपी सरकार विभागीय भ्रष्टाचार पर किसी कीमत पर नरमी नहीं बरतने वाली। एसटीएफ की सक्रियता, अधिकारियों का अचानक छुट्टी पर जाना और एफआईआर दर्ज होना इस बात का प्रमाण है कि आने वाले दिनों में परिवहन विभाग में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।