लखनऊ

STF की जांच से परिवहन विभाग में भूचाल, अवैध वसूली सिंडिकेट उजागर होने पर कई अधिकारी छुट्टी पर भागे

UP STF Investigation: उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग वाहनों से अवैध वसूली करने वाले बड़े सिंडिकेट की जांच ने परिवहन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। एसटीएफ की कार्रवाई बढ़ते ही कई एआरटीओ अचानक छुट्टी पर चले गए और कई के मोबाइल बंद मिले। मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच और तेज हो गई है।

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Nov 24, 2025
ओवरलोडिंग वाहनों से अवैध वसूली का बड़ा सिंडिकेट बेनक़ाब, एसटीएफ की जांच से परिवहन विभाग में हड़कंप (फोटो सोर्स : Police Whatsapp News Group )

UP Illegal Extortion Racket Exposed: उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग वाहनों से अवैध वसूली के बड़े और संगठित नेटवर्क पर चल रही यूपी एसटीएफ की कार्रवाई ने परिवहन विभाग में भारी हड़कंप मचा दिया है। जांच आगे बढ़ते ही कई जिलों के परिवहन अधिकारी अचानक छुट्टी पर चले गए, जिनमें लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी और फतेहपुर के ARTO प्रमुख रूप से शामिल हैं। मेडिकल अवकाश पर गए कई अधिकारियों के मोबाइल फोन भी बंद पाए गए, जिससे जांच एजेंसियों के संदेह और गहरे हो गए हैं।

एसटीएफ ने इस सिंडिकेट के खिलाफ मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज कराई है और जांच को तेज करते हुए विभाग के कई अधिकारियों और दलालों पर नजरें टिका दी हैं। परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने छुट्टी पर जाने वाले अधिकारियों का कार्यभार तुरंत प्रभाव से अन्य अधिकारियों को सौंप दिया है, जो स्पष्ट संकेत है कि विभाग भी मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई मोड में आ गया है।

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ओवरलोडिंग वाहनों से वसूली का खेल-क्यों इतनी बड़ी जांच

  • ओवरलोडिंग वाहनों के जरिए अवैध वसूली का नेटवर्क वर्षों से सक्रिय बताया जाता रहा है।
  • हाईवे पर चलने वाले ट्रकों व भारी वाहनों को रोक-रोक कर वसूली
  • बिना चालान काटे “सेटिंग” के आधार पर पैसे लेना
  • तय स्थानों पर अवैध बैरियर बनाकर उगाही

ट्रांसपोर्टरों से मासिक वसूली

एसटीएफ को शिकायतें मिली थीं कि यह वसूली नेटवर्क न केवल प्रदेश के कई जिलों में फैला है, बल्कि इसमें विभागीय कर्मचारियों, बाहरी दलालों और कुछ प्रभावशाली लोगों की भी संलिप्तता है। सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ ने छिपे कैमरों, कॉल रिकॉर्ड, ट्रांसपोर्टरों के बयान, और कुछ कर्मचारियों की आपसी बातचीत के आधार पर एक मजबूत केस तैयार किया है। जांच में ठोस सबूत मिलते ही कार्रवाई शुरू हुई।

एसटीएफ की जांच का असर--अचानक छुट्टी पर गए अधिकारी

  • एसटीएफ के शुरुआती दबाव के बाद परिवहन विभाग के कई अधिकारी अचानक छुट्टी पर चले गए।
  • कुछ अधिकारी चिकित्सीय अवकाश पर चले गए
  • कुछ ने निजी कारणों का हवाला दिया
  • कई का मोबाइल फोन स्विच ऑफ पाया गया
  • यह स्थिति एसटीएफ की पकड़ में आ चुके या जांच के दायरे में होने के संकेत देती है।
  • जिन जिलों के ARTO छुट्टी पर हैं, उनमें शामिल हैं। 
  • लखनऊ
  • उन्नाव
  • रायबरेली
  • बाराबंकी
  • फतेहपुर

इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों का समान समय पर छुट्टी लेना जांच एजेंसियों की नजर में एक संदिग्ध संयोग माना जा रहा है।

एफआईआर दर्ज: सिंडिकेट पर बड़ा शिकंजा कसा

  • एसटीएफ ने मड़ियांव थाने में जो एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें-
  • अवैध वसूली
  • भ्रष्टाचार
  • गैरकानूनी बैरियर संचालन
  • अवैध कमाई को छुपाने से संबंधित गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।

एफआईआर दर्ज होने के बाद से कई अधिकारी एसटीएफ की रडार पर हैं और उनके पिछले वित्तीय लेन-देन, कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शनों, और संदिग्ध संपर्कों की जांच शुरू कर दी गई है।

  • परिवहन आयुक्त ने संभाली कमान, जिम्मेदारियों का पुनर्वितरण
  • परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए तुरंत कार्रवाई की।
  • छुट्टी पर गए अधिकारियों का काम अन्य सक्षम अधिकारियों को सौंपा गया।
  • जांच में सहयोग सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए।
  • विभाग को पारदर्शी बनाने और अवैध वसूली रोकने पर जोर दिया गया।
  • यह कदम एक मजबूत संदेश देता है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार को शून्य सहनशीलता की नीति के तहत देखा जा रहा है।

क्यों बंद हैं मेडिकल लीव पर गए अधिकारियों के फोन

जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कुछ परिवहन अधिकारियों ने मेडिकल लीव का सहारा तो लिया, लेकिन उनके फोन लगातार बंद पाए जा रहे हैं। एसटीएफ का मानना है कि कुछ अधिकारी जांच से बचना चाह रहे हैं। कुछ अपने मोबाइल बदल चुके हैं। कई सर्कल बदलकर अस्थायी रूप से गायब हैं। यह एसटीएफ के संदेहों को और मजबूत करता है कि इस अवैध नेटवर्क में बड़ी संलिप्तता रही है।

ओवरलोडिंग सिंडिकेट का तंत्र--कैसे चलता था पूरा खेल

  • ओवरलोडिंग सिंडिकेट आम तौर पर नीचे दिए तरीके से काम करता है.
  • हाईवे पर चेकिंग के नाम पर वसूली
  • दलालों का ट्रकों को पहले ही “सेटिंग प्वाइंट” पर रोकना
  • प्रति ट्रक तय रेट-500 से 2000 रुपये तक
  • विभागीय कर्मचारियों के साथ “मासिक बटवारा”
  • ओवरलोडिंग पर चालान किए बिना पैसे लेकर छोड़ देना
  • यही वजह है कि ओवरलोडिंग का स्तर लगातार बढ़ता गया और सड़क हादसे भी ज्यादा होने लगे।
  • जांच में कौन-कौन आ सकते हैं रडार पर
  • एसटीएफ की जांच अब निम्न स्तर तक पहुंच रही है.
  • एआरटीओ
  • आरआई (रजिस्टरिंग इंस्पेक्टर)
  • क्लर्क
  • हाईवे चेक पोस्ट कर्मचारी
  • दलाल
  • परिवहन माफिया
  • ट्रक यूनियनों से जुड़े कुछ लोग

जांच एजेंसियों के पास कॉल डिटेल, व्हाट्सएप चैट, सीसीटीवी फुटेज और आर्थिक दस्तावेजों का बड़ा संग्रह तैयार हो चुका है।

आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई के संकेत

परिवहन विभाग से जुड़े वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि कई अधिकारियों पर सस्पेंशन की तैयारी है। कुछ के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू हो सकती है। जिन पर पुख्ता प्रमाण मिलेंगे, उन पर गिरफ्तारी संभव है। राज्य सरकार भी मामले को गंभीरता से देख रही है। एसटीएफ ने जल्द ही इस मामले में दूसरी बड़ी चार्जशीट दाखिल करने के संकेत भी दिए हैं।

यूपी में अवैध वसूली सिंडिकेट पर अब सख्त कार्रवाई तय

ओवरलोडिंग सिंडिकेट की जांच ने एक बार फिर साबित किया है कि यूपी सरकार विभागीय भ्रष्टाचार पर किसी कीमत पर नरमी नहीं बरतने वाली। एसटीएफ की सक्रियता, अधिकारियों का अचानक छुट्टी पर जाना और एफआईआर दर्ज होना इस बात का प्रमाण है कि आने वाले दिनों में परिवहन विभाग में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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