Beer And Liquor Shops: उत्तर प्रदेश में लागू की गई नई शराब नीति 2025-26 ने राजस्व बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। अप्रैल माह में बीयर और शराब की संयुक्त दुकानों की व्यवस्था से राज्य को ₹1,000 करोड़ अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। विभाग को 63,000 करोड़ रुपये का वार्षिक लक्ष्य मिला है।
UP Liquor Policy Update: 2025-26 की शराब नीति के तहत यूपी सरकार ने 'कंपोजिट रिटेल शॉप्स' यानी बीयर और देशी/अंग्रेजी शराब की एक साथ बिक्री वाली दुकानों की अनुमति दी। इसका लक्ष्य था उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाना और कारोबारी प्रक्रियाओं को सरल बनाना। इसके साथ ही, शराब की श्रेणियों में विविधता लाई गई, नई लाइसेंस कैटेगरी शुरू की गईं और निम्न अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के प्रचार को बढ़ावा मिला।
नितिन अग्रवाल (आबकारी मंत्री): "शराब नीति से राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। जो पैसा इकट्ठा हो रहा है, वह पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, विकास योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों में लगेगा।"
आदर्श सिंह (आबकारी आयुक्त): "हमने नई कैटेगरीज लॉन्च की हैं और प्रवेश बाधाओं को खत्म किया है। इससे व्यापारियों को सरलता मिली है और राजस्व में इजाफा हुआ है।"
वरिष्ठ जानकार मनोज शर्मा ने कहा कि जहां सरकार इस नीति को राजस्व के नजरिए से सफल बता रही है, वहीं सामाजिक संगठनों और कुछ विपक्षी दलों ने इस पर चिंता जताई है। जैसे कि अधिक शराब की उपलब्धता से गांव-देहात में सामाजिक तनाव की आशंका हो सकती हैं। बीयर-शराब की एक साथ बिक्री को कुछ लोगों ने "नैतिक पतन" से जोड़ा है। लेकिन सरकारी पक्ष यह कहता है कि सभी दुकानें नियमों और ज़ोनिंग पॉलिसी के तहत संचालित हो रही हैं, और ओवरसाइट लगातार हो रही है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय को लेकर सरकार की जो रणनीति हैं उसमे 63 हजार करोड़ के टारगेट को पूरा करने के लिए हर महीने औसतन ₹5,250 करोड़ का संग्रह करना होगा। डिजिटल ट्रैकिंग, जीआईएस बेस्ड लाइसेंसिंग और नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में भी राजस्व स्रोतों का विस्तार किया जाएगा। यह सभी कार्य धरातल पर कैसे दिखेंगे ये समय ही बताएगा लेकिन नई शराब नीति से शराब व्यापारियों को संतुष्टि मिली हैं।