UP Auto Taxi Safety: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने सार्वजनिक वाहनों की पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब ऑटो, टैक्सी, ओला-उबर, ई-रिक्शा सहित सभी सार्वजनिक वाहनों पर चालक का नाम, मोबाइल नंबर और आधार नंबर (आंशिक) अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना होगा। नियम का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
UP Auto Rickshaw Driver Law: प्रदेश भर में ई-रिक्शा, ऑटो, टैक्सी, ओला, उबर और रैपीडो जैसे सार्वजनिक परिवहन साधनों में अब पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की जा रही है। परिवहन विभाग ने आदेश जारी किया है कि इन सभी वाहनों पर चालक का नाम, आधार संख्या (या उसका अंतिम चार अंक), और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से लिखना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था सबसे पहले लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जा रही है, जिसके बाद इसे पूरे उत्तर प्रदेश में फैलाया जाएगा।
इस निर्देश के पीछे महिलाओं की सुरक्षा और यात्रियों के अधिकारों को प्राथमिकता दी गई है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने 26 मई को परिवहन विभाग को एक पत्र लिखकर यह प्रस्ताव दिया था कि सार्वजनिक वाहनों में चालक की पहचान की जानकारी सुलभ रूप से प्रदर्शित की जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में यात्री चालक से संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें।
लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय (RTO) ने जिले के सभी पंजीकृत ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों को नोटिस जारी करते हुए निर्देशित किया है कि वे 15 दिनों के भीतर अपने वाहन में निर्धारित जानकारी प्रदर्शित करें। यह जानकारी वाहन के भीतर ऐसी जगह लगानी होगी, जहां यात्री आसानी से उसे पढ़ सके। चालक का नाम और मोबाइल नंबर स्पष्ट, साफ और हिंदी या अंग्रेज़ी में लिखा जाना अनिवार्य है। आधार नंबर को सुरक्षा कारणों से पूर्ण रूप से न दिखाकर उसके अंतिम चार अंक ही दिखाने की अनुमति है।
इस आदेश का उद्देश्य न सिर्फ पारदर्शिता लाना है, बल्कि अपराध नियंत्रण, महिलाओं की सुरक्षा और अनुशासित सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुनिश्चित करना भी है। अक्सर यह देखा गया है कि किसी घटना या विवाद की स्थिति में यात्रियों को चालक की पहचान या संपर्क जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती, जिससे न शिकायत दर्ज हो पाती है और न ही त्वरित कार्रवाई हो पाती है। अब यह व्यवस्था लागू होने से परिवहन सेवा और जवाबदेह बन सकेगी।
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई वाहन चालक या स्वामी निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने वाहन में यह जानकारी नहीं लगाता है, तो उसके विरुद्ध मोटर वाहन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना, वाहन का चालान और पंजीकरण रद्द करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा वाहन का फिटनेस नवीनीकरण या परमिट जारी करने से भी विभाग इंकार कर सकता है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विमला बाथम द्वारा मई माह में उठाया गया यह मुद्दा प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। आयोग के अनुसार, महिलाएं अक्सर सार्वजनिक वाहनों में यात्रा करते समय असहज महसूस करती हैं, खासकर तब जब चालक की कोई जानकारी न हो। यदि वाहन में चालक का नाम और नंबर प्रदर्शित हो तो यात्री मानसिक रूप से आश्वस्त महसूस करेंगे और यदि कोई घटना होती है तो संबंधित व्यक्ति को आसानी से चिन्हित किया जा सकता है।
हालांकि यह निर्देश फिलहाल लखनऊ में लागू किया जा रहा है, लेकिन परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ और नोएडा जैसे प्रमुख शहरों में अगले चरणों में इस योजना का विस्तार होगा।
कुछ ऑटो और टैक्सी चालकों ने इस आदेश का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे यात्रियों को उन पर भरोसा बढ़ेगा और बदनाम करने वाले चालकों को पहचाना जा सकेगा। वहीं कुछ चालक इसे अतिरिक्त बोझ मान रहे हैं और इसे केवल प्रशासनिक दबाव के रूप में देख रहे हैं। राजू यादव, एक ई-रिक्शा चालक ने कहा,"अगर ये नियम सुरक्षा के लिए है तो हमें कोई ऐतराज नहीं, लेकिन सरकार को हमारी भी बात सुननी चाहिए, जैसे पंजीकरण आसान बनाना, ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया सरल करना और चालानों में रियायत देना।"
संभागीय परिवहन अधिकारी (RTO) लखनऊ ने बताया कि "यह व्यवस्था केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। पायलट प्रोजेक्ट में इसके अच्छे नतीजे आने पर इसे स्थायी रूप से लागू किया जाएगा। वाहन चालकों को निर्देश दे दिए गए हैं और समय सीमा समाप्त होने के बाद कड़ाई से जांच शुरू की जाएगी।"