लखनऊ

UP Panchayat Election 2026 : गांव की सरकार बताएगी 2027 में किसकी सत्ता, भाजपा-सपा-बसपा ने शुरू की तैयारी

UP Panchayat Election 2026: यूपी में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दलों के लिए यह होगा सबसे बड़ा लिटमस टेस्ट होने जा रहा है। 2026 के शुरूआत के महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे। इससे पहले गांवों का नए सिरे से परिसीमन होगा। यानी गांव की सरकार तय करेगी की आखिर 2027 में यूपी में कौन मुख्यमंत्री बनेगा। जानें भाजपा, सपा, बसपा की रणनीति, डेटा और दलों का गेमप्लान।

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May 24, 2025

लखनऊ. सपा और भाजपा में डीएनए की सियासत के बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियों ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। राज्य सरकार ने गांवों के नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके बाद अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की जमीन तैयार होती दिख रही है। लेकिन यह सिर्फ गांवों की सरकार चुनने की कवायद नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले का सबसे बड़ा सियासी टेस्ट है, जिसे दल सेमीफाइनल की तरह देख रहे हैं।

पंचायत चुनाव: सियासी दलों के लिए लिटमस टेस्ट क्यों?

उत्तर प्रदेश की करीब दो तिहाई यानी 269 विधानसभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में आती हैं । ऐसे में पंचायत चुनाव में साफ हो जाएगा कि कौन सा दल कितने पानी में है क्योंकि पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरे होते होते ही विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो जाएगी। पंचायत चुनाव में 57 हजार 691 ग्राम प्रधान, 826 ब्लॉक प्रमुख, 3 हजार 200 जिला पंचायत सदस्य और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव होने हैं। यानी यह एक ऐसा नेटवर्क है जो हर गांव-वार्ड में वोटर को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

पिछले पंचायत चुनाव में निर्दलीय थे किंगमेकर

2021 के पंचायत चुनाव में बीजेपी ने 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष बनाए, लेकिन पंचायत सदस्यों के चुनाव में सपा 759 सीट, बीजेपी 768 सीट, बसपा को 319 सीट, कांग्रेस को 125, आप को 64 सीटों पर और 944 निर्दलियों ने जीत हासिल की थी। यानी सत्तारुढ बीजेपी से भी ज्यादा निर्दलीयों ने बाजी मारी थी। बीजेपी ने बड़ी संख्या में निर्दलीयों को समर्थन देकर अध्यक्षी सीटों पर कब्जा जमाया। इससे यह भी जाहिर हुआ कि भले ही पार्टी सिंबल न हो, पर संगठन और सत्ता की ताकत अहम होती है।

लेकिन 2026 में भूगोल बदलने से बदलेंगे समीकरण

पंचायत चुनाव से पहले नए सिरे से परिसीमन किया जा रहा है जिससे पंचायतों का भूगोल तो बदलेगा ही सियासी समीकरण भी बदल जाएंगे । सरकार ने पंचायतों के पुनर्गठन के लिए डीएम की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति बनाई है। परिसीमन की प्रक्रिया में यह तय किया जा रहा है कि कौन-कौन सी ग्राम पंचायतें शहरी सीमा में आ गई हैं, और किन्हें जोड़ा या हटाया जाएगा।

2027 से पहले कौन कितने पानी में?

बीजेपी - प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति अब तक लंबित, जिससे संगठनात्मक असंतुलन है।
पिछली बार की तरह फिर से निर्दलीयों को साधकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की तैयारी। लेकिन 2024 लोकसभा में सीटें घटने से चिंताएं बढ़ी हैं।

सपा- अखिलेश यादव अब दलित-ब्राह्मण समीकरण साधने में जुटे हैं।
जातीय सर्वेक्षण और मंडल राजनीति के जरिए ग्राम स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश। पंचायत चुनाव में ज्यादा अधिकृत प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की योजना।

बसपा ने संगठन को एक्टिव करने के लिए दी आकाश आनंद को कमान

मायावती ने संगठन को फिर से एक्टिव करने के लिए आकाश आनंद को कमान दी है। पंचायत चुनाव के जरिए दलित बहुल इलाकों में पकड़ फिर से मजबूत करने की तैयारी। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में लगातार गिरावट को रोकने की आखिरी कोशिश।

गांवों में जिसकी सत्ता, उसी की विधानसभा में धमक

पिछली बार भी देखा गया कि जिन जिलों में बीजेपी ने पंचायत पर कब्जा किया, वहां विधानसभा चुनाव में भी फायदा मिला। वहीं सपा को जिन ग्रामीण क्षेत्रों में सफलता मिली, वहां विधानसभा में उसकी ताकत बढ़ी।

अब देखना यह है कि क्या

भाजपा बिना मजबूत प्रदेश नेतृत्व के पंचायत चुनाव में फिर से क्लीन स्वीप कर पाएगी? क्या अखिलेश यादव की सामाजिक इंजीनियरिंग मैदान में रंग लाएगी? क्या बसपा का नया चेहरा आकाश आनंद जमीन पर असर दिखा पाएंगे?

Updated on:
24 May 2025 02:40 pm
Published on:
24 May 2025 02:30 pm
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