UP Panchayat Elections 75 Crore Ballot Papers: उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव की तैयारी तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने अप्रैल से जुलाई के बीच चुनाव कराने की रूपरेखा तय कर ली है। 75 करोड़ बैलेट पेपर की छपाई शुरू हो गई है और प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की सीमा दोगुनी कर दी गई है। आयोग ने जिलों को सख्त निर्देश दिए हैं।
UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने 2026 के अप्रैल से जुलाई के बीच पंचायत चुनाव कराने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। आयोग का लक्ष्य है कि चुनाव तय समय पर हों और हर स्तर पर पारदर्शिता बनाए रखी जाए। राज्य निर्वाचन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने हाल ही में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, पंचायत चुनाव 2026 की गर्मियों में चार चरणों में कराए जाने की योजना है। इस बार आयोग समय से पहले तैयारी शुरू कर चुका है ताकि किसी भी प्रकार की प्रशासनिक या कानूनी देरी न हो। जैसे ही राज्य सरकार एससी-एसटी आरक्षण की अंतिम सूची जारी कर देगी, चुनाव कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा की जाएगी। 2021 में पंचायत चुनाव 15 से 29 अप्रैल के बीच चार चरणों में संपन्न हुए थे, लेकिन उस समय कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण कई मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी। इसके चलते ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव स्थगित करने पड़े थे, जो बाद में जुलाई में कराए गए। इस बार आयोग नहीं चाहता कि ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न हो, इसलिए तैयारियां एक साल पहले ही शुरू कर दी गई हैं।
निर्वाचन आयोग ने बैलेट पेपर की छपाई के लिए विशेष पेपर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। इस बार करीब 75 करोड़ से अधिक बैलेट पेपर छापे जाने हैं। अधिकारियों के अनुसार बैलेट के लिए दो से तीन रंगों का विशेष सुरक्षा युक्त पेपर बनवाया जा रहा है, ताकि फर्जी बैलेट का कोई जोखिम न रहे। इस प्रक्रिया में सरकारी सुरक्षा प्रेस और निजी मान्यता प्राप्त प्रेस दोनों को शामिल किया गया है। बैलेट पेपरों की आपूर्ति जिलों में चरणबद्ध रूप से की जाएगी, ताकि चुनाव की तैयारी समय पर पूरी हो सके।
चुनाव से पहले आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मतदाता सूची से डुप्लीकेट और फर्जी वोटरों के नाम हटाए जाएं। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि कई जिलों में पुनरीक्षण कार्य धीमा चल रहा है, जिसे दिसंबर तक हर हाल में पूरा करना होगा। आयोग की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हर पात्र नागरिक का नाम सूची में हो और एक भी फर्जी मतदाता न बचे।
इस बार पंचायत चुनावों में उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा को 2021 के मुकाबले लगभग दोगुना कर दिया गया है। आयोग के अनुसार, जमीनी हकीकत और महंगाई को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। नए नियमों के अनुसार, ग्राम प्रधान उम्मीदवार अब अधिकतम ₹1.25 लाख खर्च कर सकेंगे (पहले ₹75,000 था)। क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव खर्च की सीमा ₹1 लाख पर यथावत रखी गई है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के लिए सीमा ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹3.50 लाख कर दी गई है। जिला पंचायत सदस्य के लिए खर्च सीमा ₹1.50 लाख से बढ़ाकर ₹2.50 लाख कर दी गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सीमा ₹4 लाख से बढ़ाकर ₹7 लाख कर दी गई है। हालांकि, चुनावी जानकारों का कहना है कि वास्तविक खर्च इन निर्धारित सीमाओं से कई गुना अधिक होता है। कुछ जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव 10 से 15 करोड़ रुपये तक का खर्च दिखा चुका है, जबकि सदस्यता पाने के लिए कई प्रत्याशियों को भारी आर्थिक निवेश करना पड़ता है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के आवेदन शुल्क और जमानत राशि में भी बढ़ोतरी की है। यह कदम गंभीर और सक्षम उम्मीदवारों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि चुनाव में अनावश्यक नामांकन कम हों। सभी वर्गों के उम्मीदवारों के लिए शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव पहले ही शासन को भेजा जा चुका है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त राज प्रताप सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि पंचायत चुनावों की तैयारी को प्राथमिकता दी जाए। यह चुनाव लोकतंत्र की जड़ तक पहुंचने का माध्यम है। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मतदाता सूची से लेकर मतदान केंद्रों की सुविधा तक सभी व्यवस्थाएं समय से पूरी की जाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्वाचन कर्मियों का प्रशिक्षण, सामग्री की उपलब्धता, और सुरक्षा प्रबंध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा एससी-एसटी आरक्षण और वार्ड निर्धारण की प्रक्रिया पूरी होते ही राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव अधिसूचना जारी करेगा। आरक्षण प्रक्रिया अभी शासन स्तर पर अंतिम चरण में है। उम्मीद की जा रही है कि फरवरी 2026 तक इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी।
पंचायत चुनाव केवल स्थानीय प्रतिनिधियों के चयन का माध्यम नहीं, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र की नींव माने जाते हैं। इस बार आयोग की प्राथमिकता पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराना है, ताकि गांवों में विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में चुने हुए प्रतिनिधियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार का भी उद्देश्य है कि पंचायत प्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासनिक माहौल में काम करने का अवसर मिले।
2021 के पंचायत चुनावों में कोविड और प्रशासनिक दबाव के चलते कई अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं। इस बार आयोग ने निर्णय लिया है कि हर जिले में निगरानी कक्ष स्थापित किया जाएगा, जहाँ चुनावी गतिविधियों की 24 घंटे मॉनिटरिंग होगी। इसके साथ ही ईवीएम के बजाय बैलेट वोटिंग सिस्टम को बरकरार रखा जाएगा, ताकि ग्रामीण इलाकों में मतदान प्रक्रिया सरल बनी रहे।