लखनऊ

Medical Education: चिकित्सा शिक्षा को मिलेगा नया आयाम, जानिए नए मौके

MD MS Admission UP: उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को नई दिशा देने की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य के प्रमुख संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी की सीटें बढ़ाने की योजना पर काम हो रहा है। एमडी-एमएस और डीएम-एमसीएच में दाखिले बढ़ने से विशेषज्ञ डॉक्टर मिलेंगे, मेडिकल कॉलेजों में खाली पद भरेंगे और मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा।

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Sep 28, 2025
सुपर स्पेशियलिटी की सीटें बढ़ाने की तैयारी, MD, MS और DM - MCh में अधिक दाखिले का मौका (फोटो सोर्स : Whatsapp)

Medical Education Govt Policy: उत्तर प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था अब नए बदलाव की ओर बढ़ रही है। प्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों की सीटें बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह कदम न केवल चिकित्सा शिक्षा को मजबूती देगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को भी ऊपर ले जाएगा। सरकार और चिकित्सा संस्थानों का मानना है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ने से न केवल मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि मेडिकल कॉलेजों में वर्षों से खाली पड़े असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भी भरे जा सकेंगे।

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वर्तमान स्थिति

प्रदेश में फिलहाल एमडी-एमएस की 1906 सीटें और डीएम-एमसीएच की 295 सीटें उपलब्ध हैं। पिछले वर्ष एमडी-एमएस की लगभग 200 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिससे प्रवेश संख्या में कुछ वृद्धि हुई। अब नए शैक्षणिक सत्र के लिए संस्थान एक बार फिर से सीटें बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं। विशेष रूप से सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों पर ध्यान दिया जा रहा है। अभी डीएम-एमसीएच की लगभग 295 सीटें हैं, जिन्हें बढ़ा कर 320 तक ले जाने की योजना बनाई गई है।

संस्थानों की तैयारी

  • एसजीपीजीआई लखनऊ: वर्तमान में यहां डीएम-एमसीएच की 81 सीटें हैं। अगले सत्र से इसे 90 से अधिक किया जा सकता है।
  • केजीएमयू लखनऊ: एमडी-एमएस की 350 सीटें बढ़ाकर 400 से ऊपर करने की तैयारी है। डीएम-एमसीएच की 95 सीटें हैं, जिन्हें 100+ किया जाएगा।
  • राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान: यहां 86 नई सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार है।
  • अन्य संस्थान: सुपर स्पेशियलिटी बाल चिकित्सालय नोएडा, हृदय रोग संस्थान कानपुर, मानसिक रोग संस्थान आगरा और सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में भी उच्चतर पाठ्यक्रमों के विस्तार की प्रक्रिया चल रही है।

सुपर स्पेशियलिटी क्यों ज़रूरी?

चिकित्सा जगत में सुपर स्पेशियलिटी कोर्स का महत्व लगातार बढ़ा है। आज मरीजों को सामान्य उपचार से आगे बढ़कर हृदय रोग, न्यूरो सर्जरी, कैंसर उपचार, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और पीडियाट्रिक सुपर स्पेशियलिटी जैसी सेवाओं की जरूरत होती है। सुपर स्पेशियलिटी विशेषज्ञों की कमी के कारण कई बार मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की ओर जाना पड़ता है। प्रदेश में सीटें बढ़ने से स्थानीय स्तर पर इलाज की सुविधा मजबूत होगी। छात्रों को उच्च शिक्षा और रिसर्च में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर असर

एमडी-एमएस और डीएम-एमसीएच पूरा करने के बाद डॉक्टरों को दो वर्ष का अनुभव होने पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात किया जाता है। फिलहाल मेडिकल कॉलेजों में सैकड़ों पद खाली हैं। सीटें बढ़ने के बाद अधिक डॉक्टर सुपर स्पेशियलिटी पूरा करेंगे और शैक्षणिक व क्लीनिकल स्तर पर रिक्त पदों को भर सकेंगे।

मरीजों को सीधा लाभ

प्रदेश में कैंसर, हृदय रोग और न्यूरो संबंधी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।कई बार निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है, जहां इलाज महंगा होता है।नई सीटों से प्रशिक्षित विशेषज्ञ सामने आने पर सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण और सस्ता इलाज उपलब्ध होगा।

संस्थानों का विकास

  • सीटें बढ़ाने के लिए संस्थानों को भी अपनी सुविधाओं का विस्तार करना होगा।
  • नई लैब्स और अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे।
  • क्लासरूम और हॉस्टल क्षमता बढ़ानी होगी।
  • प्रशिक्षण के लिए अधिक मरीजों को जोड़ना होगा।
  • इससे न केवल चिकित्सा शिक्षा बल्कि संस्थानों की समग्र संरचना भी आधुनिक होगी।

सरकारी दृष्टिकोण

प्रदेश सरकार का मानना है कि स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा दोनों में समानांतर सुधार जरूरी है। चिकित्सा मंत्री ने हाल ही में कहा था कि “हमारा लक्ष्य प्रदेश में ऐसा स्वास्थ्य ढांचा तैयार करना है, जिससे किसी मरीज को राज्य से बाहर न जाना पड़े।” अधिकारियों का कहना है कि नई सीटों का प्रस्ताव नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को भेजा जाएगा, जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद अगले सत्र से बदलाव लागू हो सकेंगे।

विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम दूरगामी असर डालेगा। डॉ. अजय कुमार (पूर्व डीन, केजीएमयू) का कहना है, “सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ने से ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों को लाभ होगा। मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता भी सुधरेगी।” वहीं निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इससे सरकारी और निजी संस्थानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिसका सीधा फायदा मरीजों को होगा। प्रदेश सरकार और संस्थानों की योजना केवल सीटें बढ़ाने तक सीमित नहीं है। आने वाले समय में नई सुपर स्पेशियलिटी शाखाएँ शुरू की जाएंगी। रिसर्च और इनोवेशन पर भी जोर होगा, ताकि डॉक्टर न केवल इलाज करें बल्कि नई तकनीक और दवाओं पर शोध भी कर सकें। प्रदेश को मेडिकल एजुकेशन हब बनाने का सपना भी इसी दिशा में देखा जा रहा है।

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