UPPCL Madhyanchal Vidyut: लखनऊ में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के चीफ इंजीनियर हरिश्चंद्र वर्मा को यूपीपीसीएल चेयरमैन आशीष गोयल ने लापरवाही और आदेशों की अवहेलना के आरोप में निलंबित कर दिया है। संविदा कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी के चलते की गई इस कार्रवाई से ऊर्जा विभाग में हड़कंप मच गया है। जांच के आदेश जारी।
UPPCL Action: मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (MVVNL) के चीफ इंजीनियर हरिश्चंद्र वर्मा को उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के चेयरमैन आशीष गोयल ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति में गंभीर लापरवाही, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना, और सरकारी कार्यों में ढिलाई बरतने का आरोप है। चेयरमैन ने इस मामले को अनुशासनहीनता और विभागीय नियमों का उल्लंघन मानते हुए एक सख्त कदम उठाया है। सस्पेंशन के दौरान हरिश्चंद्र वर्मा को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) से संबद्ध रखा जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार पिछले कुछ महीनों से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के कई जोन में संविदा कर्मियों की नियुक्ति में अनियमितताएं सामने आ रही थीं। कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और मनमानी के आरोप लगाए गए। मुख्यालय स्तर पर जब इसकी समीक्षा की गई, तो पता चला कि कई नियुक्तियां नियमों के विपरीत की गई हैं। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी चीफ इंजीनियर के अधीन थी, लेकिन उन्होंने न तो सही रिपोर्ट सौंपी और न ही अनियमितताओं को रोकने के लिए समय पर कोई कदम उठाया।
UPPCL चेयरमैन आशीष गोयल ने पिछले महीने सभी विद्युत वितरण निगमों को निर्देश दिया था कि संविदा कर्मियों की भर्ती, पदस्थापन और कार्यप्रदर्शन से संबंधित रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जाए। लेकिन हरिश्चंद्र वर्मा ने न केवल रिपोर्ट में देरी की, बल्कि कई बार दिए गए रिमाइंडर के बावजूद विभागीय आदेशों का पालन नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि यही “आदेशों की अवहेलना” निलंबन का मुख्य कारण बनी।
मध्यांचल निगम के अंदरूनी ऑडिट और सतर्कता टीम ने हाल ही में जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कई तकनीकी और प्रशासनिक त्रुटियां उजागर हुईं। रिपोर्ट के अनुसार कई संविदा कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता की जांच अधूरी थी। नियुक्ति पत्रों में तारीखों और हस्ताक्षरों में असमानता पाई गई। कुछ मामलों में अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। इन सभी बिंदुओं पर चीफ इंजीनियर से स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्हें निलंबित करने का फैसला लिया गया।
निलंबन आदेश जारी होने के बाद मध्यांचल विद्युत निगम मुख्यालय में हड़कंप मच गया। यह कार्रवाई पूरे निगम तंत्र के लिए एक कड़ा संदेश मानी जा रही है कि अब कार्य में लापरवाही या नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में अन्य अभियंताओं और अधिकारियों की भी जांच की जा सकती है, जिनके खिलाफ अनियमितता या लापरवाही की शिकायतें मिली हैं।
निलंबन अवधि के दौरान हरिश्चंद्र वर्मा को नियमों के अनुसार केवल जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) मिलेगा। इस दौरान वह पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अधीन रहेंगे, लेकिन किसी भी प्रशासनिक या तकनीकी कार्य में शामिल नहीं होंगे। विभागीय जांच पूरी होने तक उन्हें कोई नई जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी।
UPPCL के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने के लिए की गई है। संविदा कर्मियों की नियुक्ति में पारदर्शिता बेहद जरूरी है। किसी भी स्तर पर यदि लापरवाही या मनमानी की जाती है, तो कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने आगे कहा कि विभाग में ई-गवर्नेंस और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिससे नियुक्तियों, भुगतान और कार्यप्रदर्शन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन मॉनिटर हो सके।