Scientists surprised:किसानों की फसलों को चट करने वाले जंगली सुअर अब उच्च हिमालयी बुग्यालों को बर्बाद करने लगे हैं। एक शोध में इस बात का खुलासा होने से वैज्ञानिक चिंतित हैं। इसे जलवायु परिवर्तन और वन्य जीवों की बदलती शैली से भी जोड़ा जा रहा है।
Scientists surprised:खूंखार जंगली सुअर उत्तराखंड में किसानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। जंगली सुअरों के बड़े-बड़े झुंड रात में किसानों की फसलों को चौपट कर रहे हैं। साथ ही खेतों का हुलिया तक बिगाड़ रहे हैं। अब बुग्यालों पर शोध को गए एक दल के अध्ययन में जंगली सुअरों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सीबी भट्ट पर्यावरण एवं शोध केंद्र, गोपेश्वर, जागो हिमालय लोक कल्याण समिति,थराली के एक अध्ययन दल ने बुग्याल बचाओ अभियान शुरू किया है। इसी के तहत मंगला कोठियाल, राकेश सती और एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से वानिकी में शोध कर रहे अक्षय सैनी आदि का दल बीते दिनों वेदनी, पातरनचनिया, कलवाविनायक से बगुवावासा तक गया था। उच्च हिमालयी बुग्यालों की सुअरों ने जो दशा बना रखी थी उससे दल से जुड़े सदस्य हैरान रह गए। पहली बुग्यालों तक जंगली सुअरों की पहुंच का मामला सामने आने से वैज्ञानिक हैरान हैं।
बुग्यालों से थराली लौटकर दल के सदस्यों ने बताया कि जंगली सुअर दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई वाले वेदनी बुग्याल तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि उक्त क्षेत्रों के भेड़पालकों ने बताया कि कुछ साल से जंगली सुअरों के झुंड के झुंड बुग्यालों में पहुंच रहे हैं। खाने की तलाश में सुअर बुग्यालों को खोद रहे हैं जिससे संवेदनशील क्षेत्र में घास और जड़ीबूटियां प्रभावित हुई हैं।
आमतौर पर जंगली सुअर ट्री लाइन के नीचे ही रहते हैं। दरअसल, उच्च हिमालय में एक ट्री लाइन निर्धारित है। उस लाइन के ऊपर पेड़ नहीं उगते हैं। उस लाइन के ऊपर के क्षेत्र को बुग्याल कहा जाता है। बुग्यालों में केवल जड़ी-बूटियां और घास फूंस ही उग पाती। थराली के वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल का कहना है कि कुछ समय से बुग्याल क्षेत्र में जंगली सुअरों के पहुंचने की सूचना मिल रही है। आमतौर पर जंगली सुअर ट्री लाइन से नीचे ही रहते हैं। पहली बार बुग्यालों में जंगली सुअरों की उपस्थिति दर्ज होने की सूचना है।