लखनऊ

Year Ender 2024: पार्टी और नेताओं को संदेश दे गया ये साल, किसी को मिला तख्त तो कोई रहा बेहाल 

Year Ender 2024: साल 2024 उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बहुत अहम् साल रहा है। आम चुनाव भाजपा को सबक दे गया तो उपचुनाव में सपा ने राजनीतिक पाठ पढ़े। जानिए साल 2024 किस प्रकार से भविष्य के राजनीति की इबारत लिख गया।

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Dec 30, 2024
yearEnder2024

Year Ender 2024: लोकसभा सीट के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के लिए साल 2024 बड़ा उथल-पुथल वाला रहा। राजनीतिक पार्टियों के लिए ये साल चिंता और सबक के साथ नए संकेत भी दे गया। लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को इसी राज्य से झटका लगा वहीं, कुछ महीनों बाद हुए उपचुनाव में उत्तरप्रदेश की जनता ने भाजपा का बखूबी साथ दिया। इससे उलट लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली समाजवार्टी पार्टी की खुशियां भी साल के आखिर में उपचुनाव में मिली हार से काफूर हो गई।

लोकसभा चुनाव में भाजपा के सांसदों की संख्या 62 से घटकर 33 पर पहुंच गई। वहीं, समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर विजय पताका फहरा कर राष्ट्रीय राजनीति में वजूद हासिल किया। पिछले तीन दशक में समाजवादी पार्टी को इतनी सीटें कभी नहीं मिली थी। मुलायम सिंह के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने पार्टी को देश में तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया। इस परिणाम से जहां भाजपा को निराशा हुई वहीं समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा आ गई। अखिलेश को मुस्लिम-यादव के साथ ओबीसी का भी साथ मिला। 

बीजेपी का फ्रंटफुट कैसे बैकफुट पर आई सपा 

लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीनों बाद हुए उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी आक्रामक नजर आई और अखिलेश के पीडीए फॉर्मूले यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक का तिलिस्म तोड़ दिया। भाजपानीत एनडीए गठबंधन ने 9 में से 7 सीट पर कब्जा जमाकर फिर से कमबैक कर लिया। 

अयोध्या में हार की कसक

2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के परिणामों ने सभी को चौंकाया लेकिन फैजाबाद लोकसभा सीट पर आए परिणाम ने देशभर के बीजेपी  कार्यकर्ताओं और समर्थकों को स्तब्ध कर दिया। शायद बीजेपी आलाकमान और संगठन हवा का रूख जानने में नाकाम रहा। सरकार भले ही एनडीए की बन गई लेकिन अयोध्या की हार चांद में दाग की तरह हमेशा सताती रहेगी। 

वरूण की अनदेखी स्मृति की विदाई 

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण ने चौंका दिया। पीलीभीत से दिग्गज नेता वरूण गांधी का टिकट कट गया। लगातार जीत के बाद भी टिकट न मिलने का न केवल वरूण गांधी को मलाल रहा बल्कि पूरे चुनाव में ये मुद्दा भी चर्चा का विषय रहा। इधर स्मृति ईरानी की हार ने भी खूब खुर्खियां बटोरी।  2019 में राहुल गांधी को हराकर संसद पहुंची स्मृति ईरानी गांधी परिवार के खास और कांग्रेस के स्थानीय नेता किशोरी लाल से जबरदस्त अंतर से हारीं।  

हाथी हुआ कमजोर,चन्द्रशेखर लगाएं जोर 

ये साल बीजेपी और सपा के लिए भले ही उथल-पुथल वाला रहा हो लेकिन बसपा के लिए अलार्मिंग साबित हो गया। बहुजन समाज पार्टी के लिए 2024 अस्तित्व के लिए संघर्ष वाला रहा। लोकसभा और विधासभा उप चुनाव में बसपा का वोट बैंक चंद्रशेखर आजाद पार्टी की ओर खिसकता नजर आया। 

जमीन तैयार कर गया 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा 

लोकसभा चुनाव में निराशा के बाद उप चुनाव में उत्तर प्रदेश बीजेपी का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा  'बंटेंगे तो कटेंगे' न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में गूंजा। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भी ये नारा गूंजा। इस नारे ने सनातन के मुख्य चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को और मजबूत कर दिया। या यूं कहे कि ये नारा साल 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभूमि भी तैयार कर दिया है।

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