मंदसौर

धार्मिक शहर में बूचड़खाने खोलने को लेकर एमपी हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी, नगर निगम को दिया निर्देश

MP High Court: धार्मिक शहर में बूचड़खाने/कसाईखाने खोलने को लेकर एमपी हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक टिप्पणी की है। कोर्ट का कहना है कि 'पूरे शहर को पवित्र क्षेत्र घोषित करने का दावा अस्वीकार्य है।'

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Dec 23, 2024

MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धार्मिक शहर में बूचड़खाने खोलने को लेकर ऐतिहासिक टिप्पणी की है। इंदौर हाई कोर्ट की बेंच ने एक फैसले में मंदसौर के पेशेवर कसाई साबिर हुसैन को भैंसों का बूचड़खाना/कसाईखाना खोलने के लिए नगर पालिका से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूरे शहर को पवित्र क्षेत्र घोषित करने का दावा अस्वीकार्य है। यह मामला तब शुरू हुआ जब हुसैन ने 2020 में मंदसौर नगर पालिका में बूचड़खाना खोलने की अनुमति के लिए आवेदन दिया था। हालांकि, नगर पालिका के सीएमओ ने उनकी अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि मंदसौर को राज्य सरकार ने ‘पवित्र नगरी’ घोषित कर रखा है।

इस अधिनियम के तहत खारिज हुई थी अर्जी

सीएमओ ने साबिर हुसैन की अर्जी को ख़ारिज करने का 2011 की एक अधिसूचना का हवाला दिया था जिसमें भगवान शिव के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के 100 मीटर के दायरे को 'पवित्र क्षेत्र' घोषित किया गया था। अधिसूचना में इस क्षेत्र में पशु वध, मांस-मछली और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। हुसैन ने तर्क दिया कि वह जिस स्थान पर बूचड़खाना खोलना चाहते हैं, वह ‘पवित्र क्षेत्र’ से काफी दूर है।

कोर्ट ने ये कहा

इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना का दायरा केवल 100 मीटर तक सीमित है और इसे पूरे शहर पर लागू नहीं किया जा सकता। जस्टिस प्रणय वर्मा ने अपने फैसले में कहा कि सीएमओ द्वारा हुसैन की याचिका को खारिज करने का आधार तर्कसंगत नहीं है। अदालत ने यह भी ध्यान दिया कि नगर पालिका ने बूचड़खाने के लिए उपयुक्त स्थान की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी थी और इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति लंबित है। अदालत ने सीएमओ को आदेश दिया कि वह हुसैन को एनओसी जारी करें उन्होंने ये शर्त भी रखी कि बूचड़खाने का संचालन जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले सभी नियमों के तहत होना चाहिए।

Updated on:
23 Dec 2024 06:52 pm
Published on:
23 Dec 2024 06:40 pm
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