मथुरा

“भगवान को भी नहीं मिलता आराम?” सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की खास पूजा पर जताई सख्त नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर में अमीरों को दी जा रही विशेष पूजा पर कड़ा सवाल उठाया। परंपरा से छेड़छाड़, नोटिस और तीखी टिप्पणी ने मामला गरमा दिया। आइये जानते हैं, कोर्ट ने क्या तल्ख टिप्पणी की है।

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Dec 15, 2025
बांके बिहारी मंदिर (Photo source X Account)

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में चल रही एक संवेदनशील व्यवस्था पर सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि कुछ जगहों पर परंपराओं को दरकिनार कर धनवान लोगों को विशेष पूजा की छूट दी जा रही है। जो आस्था और समानता दोनों के खिलाफ है।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए आया। इस दौरान अदालत ने उन प्रथाओं पर कड़ी टिप्पणी की। जिनमें मंदिर बंद होने के बाद या भगवान के विश्राम के समय कुछ खास लोगों को चुपचाप विशेष पूजा की अनुमति दी जाती है। तीन जजों की पीठ की अगुवाई कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने इसे चिंताजनक बताया।

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मंदिर के कुछ सेवकों ने दायर की थी याचिका, जनवरी के पहले सप्ताह में होगी सुनवाई

मामला मंदिर के कुछ सेवकों की ओर से दायर एक नई याचिका से जुड़ा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दर्शन के तय समय में बाद में बदलाव कर दिए गए। और कुछ पारंपरिक पूजाओं को बंद कर दिया गया। जिससे सदियों से चली आ रही व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। इस पर जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की पीठ ने मंदिर की प्रशासनिक समिति को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई जनवरी 2026 के पहले सप्ताह में होगी।

बदलाव से होने वाले अनुष्ठान प्रभावित होते

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने अदालत को बताया कि दर्शन का समय केवल सुविधा का मामला नहीं है। बल्कि यह मंदिर की परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मंदिर के खुलने और बंद होने का समय लंबे समय से तय है। और इसमें मनमाने बदलाव से अंदर होने वाले सभी अनुष्ठान प्रभावित होते हैं।

मंदिर बंद होने के बाद भी भगवान को आराम करने नहीं दिया जाता

दीवान ने यह भी बताया कि समय में फेरबदल के कारण भगवान के सुबह जागने और रात में शयन करने का समय तक बदल गया है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि दोपहर में मंदिर बंद होने के बाद भी भगवान को आराम नहीं करने दिया जाता। उन्होंने कहा कि उसी समय सबसे ज्यादा दबाव डाला जाता है। जो लोग ज्यादा धन देने की क्षमता रखते हैं। उन्हें विशेष पूजा की छूट मिल जाती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता बोले- अदालत को ऐसी किसी भी प्रथा पर रोक लगनी चाहिए

हालांकि वरिष्ठ वकील ने इस आरोप से आंशिक असहमति जताई। लेकिन उन्होंने यह साफ किया कि अदालत को ऐसी किसी भी प्रथा पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। उनका कहना था कि भगवान के विश्राम का समय बेहद पवित्र होता है। उसका सम्मान होना चाहिए। अदालत ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए आगे की सुनवाई तय कर दी है।

Updated on:
15 Dec 2025 10:47 pm
Published on:
15 Dec 2025 10:44 pm
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