मथुरा

‘एनकाउंटर का पश्चाताप कैसे करूं?’ पुलिस अफसर का Premanand Maharaj से सवाल, मिला ये जवाब

Premanand Maharaj: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट SI मुनेश सिंह ने प्रेमानंद महाराज से वार्तालाप की और पूछा कि वह अपने मन की अशांति को कैसे दूर करें। इस सवाल का जवाब प्रेमानंद महाराज ने कालयवन और मुचकुंद जी का प्रसंग सुना कर दिया।

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Feb 12, 2025

Premanand Maharaj: “महाराज जी, मैं पुलिस में थानाध्यक्ष के पद पर मेरठ में तैनात हूं। मैंने अपनी नौकरी में बहुत एनकाउंटर किए, जिसमें मुझे बहुत सम्मानों से सम्मानित भी किया गया तथा राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिला। पिछले साल 22 जनवरी को बदमाशों में मुठभेड़ के दौरान मेरे सीने में गोली लगी। मेरी मृत्यु का समाचार भी जारी हो गया था, लेकिन प्रभु कृपा से बच गया। अब मेरा प्रश्न यह है कि मैं अपने पद पर ऐसे ही चलता रहूं या बिल्कुल ही प्रभु शरण में आ जाऊं।”

ये सवाल मेरठ में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट SI मुनेश सिंह ने मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज से पूछा। मुनेश सिंह अपने परिवार के साथ 10 फरवरी को वृंदावन आए थे। जवाब में संत प्रेमानंद महाराज जी ने उन्हें बताया कि वो प्रभु को कैसे पा सकते हैं। 

मुनेश सिंह और प्रेमानंद महाराज के बीच हुई वार्तालाप 

मुनेश सिंह- महाराज जी, मेरा मन अशांत रहता है, प्रायश्चित कैसे करूं? मैं अपने पद पर ऐसे ही चलता रहूं या प्रभु की शरण में आ जाऊं?

प्रेमानंद महाराज- मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य भगवत प्राप्ति है। सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मनुष्य जीवन के मूल कर्तव्य से वंचित हो जाए तो ठीक नहीं है। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालिए।

प्रेमानंद महाराज- कितना समय दिया?

मुनेश सिंह- 32 साल।

प्रेमानंद महाराज- बहुत समय दिया। कोई नशा तो नहीं करते?

मुनेश सिंह- कोई नशा नहीं करता।

प्रेमानंद महाराज- ठीक है।

प्रेमानंद महाराज ने सुनाई कालयवन और मुचकुंद जी का प्रसंग

प्रेमानंद महाराज ने मुनेश सिंह को ​कालयवन और भगवान मुचकुंद की कथा का प्रसंग सुनाया और बताया कि इस प्रसंग से हम आपको उत्तर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "जब कालयवन के द्वारा भगवान को ललकार मिली तो वह रण छोड़कर भाग गए। कालयवन को पीछे दौड़ाया और मुचकुंद जी की गुफा में ले गए। वहां मुचकुंद दी को अपना पीतांबर ओढ़ाया। मुचकुंद जी को यह वरदान था कि अगर कोई तुम्हें सोते हुए जगाएगा तो दृष्टि पड़ते ही वो भस्म हो जाएगा। कालयवान ने लात मारा। मुचकुंद जी ने आंख खोला तो कालयवन भस्म हो गया।"

प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा, "इसके बाद वासुदेव मुचकुंद जी के सामने आए और पूरी वार्ता हुई। भगवान ने कहा कि तुम इस जन्म में मुझे प्राप्त नहीं कर सकते, क्योंकि तुम राजा हो और तुमने बहुत वध किए। शिकार में पशुओं और युद्ध में इंसानों को मारा। इसलिए, तुम्हें एक जन्म और लेना पड़ेगा। अब तुम ब्रह्म ऋषि कुल में जन्म लोगे और भजन करके मुझे प्राप्त करोगे।"

'समय निकालकर भगवान की भक्ति करो’

प्रसंग खत्म होने के बाद प्रेमानंद महाराज ने मुनेश सिंह से कहा, “अब थोड़ा समय निकालकर भगवान के चरणों में दें, ताकि हमारी सेवाओं में जो चूक हुई, वो क्षमा हो जाएं। जो पाप हुए हैं, वो नष्ट हो जाएं। अगर अगला जन्म भी मिले तो हम देशभक्त बनें, भगवान के भक्त बनें। अब हम मनुष्य योनि के नीचे न जाएं। अन्य योनियों के नीचे न जाएं। आधा जीवन तो भारत को दे ही दिया, अब भगवान को दे दीजिए। अपने समाज में रहकर आप रिटायर भी रहेंगे, तो जिसकी प्रवृत्ति अच्छी होती है वो समाज में भी अच्छा वातावरण फैलाता है।”

प्रेमानंद महाराज ने कहा, “जो फोर्स में जाने वाले हैं नए लड़के, उन्हें गाइड करें। रिटायर होने के बाद भी आप सरकार की सेवा कर सकते हैं। इसके साथ ही, नाम जप और भक्ति के द्वारा भगवान की प्राप्ति भी कर सकते हैं। देखिए, एक तरह से तो आप मर ही गए थे, जब घोषित हुआ था। अब जो जीवन बचा है, उसे भगवान को दे दीजिए।”

कौन हैं मुनेश सिंह?

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट SSI मुनेश सिंह आगरा के छाता इलाके के रहने वाले हैं। वह करीब डेढ़ साल से मेरठ में तैनात हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सिपाही से की और साल 2016 में दरोगा बने। मेरठ से पहले उनकी पोस्टिंग गाजियाबाद में थी। 22 जनवरी, 2024 को उनकी बदमाश के साथ मुठभेड़ हुई, जब गोली उनके सीने में लग गई। इसके बाद उनका इलाज गाजियाबाद के कौशांबी स्थित मैक्स हॉस्पिटल में ICU में 11 दिन चला। मुनेश सिंह ने 25 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं।

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