Who is Pundrik Goswami: पुंडरीक गोस्वामी कौन हैं, इसको लेकर लोगों के मन में सवाल है। आज हम आपको इस कथावाचन के बारे में सबकुछ बताने जा रहे हैं।
Pundrik Goswami Biography: उत्तर प्रदेश के बहराइच में पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद चर्चा में आए वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी आखिर कौन हैं? इनको लेकर लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं। रातों-रात इनका गार्ड ऑफ ऑनर लेने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं वायरल वीडियो को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, तो वहीं DGP ने SP पूरे मामले को लेकर जवाब तलब किया है।
पुंडरीक गोस्वामी वृंदावन के रहने वाले हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद पुंडरीक गोस्वामी वृंदावन में भागवत के 'युवराज' के जाना जाता है। गोस्वामी सात साल के उम्र से कथा सुना रहे हैं। देश-विदेश में पुंडरीक गोस्वामी के कथा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में लोगों का हुजूम देखने को मिलता है। वृंदावन में 20 जुलाई, 1988 को पुंडरीक गोस्वामी का जन्म हुआ। पुंडरीक गोस्वामी के दादा और पिता दोनों की कथावाचक हैं। दादा प्रसिद्ध संत अतुल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज हैं और पिता श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी जी महाराज हैं। पुंडरीक गोस्वामी का परिवार पिछले 38 पीढ़ियों भगवत कथा कहने के काम में लगा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद यह आध्यात्मिक मार्ग को चुना।
पुंडरीक गोस्वामी को लेकर यह भी सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर यह एक कथा कहने के लिए कितना फीस लेते हैं। बता दें कि फीस को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन माना जाता है कि पुंडरीक गोस्वामी किसी कथा के लिए लाखों यानी 50 लाख तक चार्ज करते हैं, तो कुछ कथाओं को वो हजार रुपए में भी कह देते हैं। पुंडरीक गोस्वामी की कथा को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। पुंडरीक गोस्वामी इस समय श्रीमद माधव-गौडेश्वर पीठम के 38वें आचार्य हैं।
पूरे विश्व में पुंडरीक गोस्वामी गौड़ीय वैष्णव परंपरा का प्रचार करते हैं। गोस्वामी मुख्य रूप में श्रीमद्भागवतम, चैतन्य चरितामृत, श्रीकृष्ण, राम कथा और भगवद गीता पर प्रवचन देते हैं। साथ ही पुंडरीक गोस्वामी गरीब बच्चों को शिक्षा, वंचितों के लिए निशुल्क चिकित्सा भी देते हैं। गोपाल क्लब और निमाई पाठशाला जैसे कार्यक्रम भी पुंडरीक गोस्वामी द्वारा कराया जाता है। साथ ही वो युवाओं को भक्ति और संस्कृति से भी जोड़ने का काम करते हैं।