चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, सोशल मीडिया की राय के साथ ना बहें जज, ताकतवर है न्यू मीडिया टूल्स लेकिन पुख्ता नहीं
नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ( Justice NV Ramana) ने जजों से कहा है कि उन्हें सोशल मीडिया पर आम लोगों की भावनात्मक राय के साथ बहने से बचना चाहिए। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने यह राय दी है।
यही नहीं इस दौरान सीजेआई ने कहा कि, जजों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी बात का ज्यादा शोर हमेशा यह नहीं तय करता कि वह सही है।
ताकतवर है न्यू मीडिया टूल्स लेकिन पुख्ता नहीं
मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि न्यू मीडिया टूल्स काफी ताकतवर हैं। उनमें यह ताकत है कि उसकी राय काफी ज्यादा और दूर तक सुनाई देती है।
लेकिन इनमें यह क्षमता नहीं है कि वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और सच एवं फेक में अंतर कर सकें। ऐसे में जजों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया की राय से प्रभावित होने से बचें।
मीडिया ट्रायल ना बनें नतीजे की वजह
सीजेआई जस्टिस पीडी देसाई मेमोरियल लेक्चर सीरीज के तहत 'रूल ऑफ लॉ' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने जजों से ये भी कहा कि मीडिया ट्रायल को किसी मामले के नतीजे की वजह ना बनने दें। न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि सोशल मीडिया पर किसी भी मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर बताए जाने से जजों की राय किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका अहम स्थान रखते हैं और संविधान के मुताबिक तीनों ही बराबर के भागीदार हैं।
चुनावों के जरिए किसी को बदलने का अधिकार 'निर्वाचितों के अत्याचार के खिलाफ गारंटी' नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी तर्क दिया कि लोकतंत्र (Democracy) का फायदा तभी होगा, जब इन दोनों की बातें तर्क के साथ सुनी जाएं।