मुरैना

खाद वितरण प्लानिंग से नहीं, इस बार फिर शुरू हुई मारा मारी

- खाद संकट: खरीफ की फसल के लिए खाद की आपूर्ति को लेकर प्रशासनिक अमला सुस्त - जिला मुख्यालय सहित जिले भर में किसानों की लग रही लंबी लाइनें

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Jul 27, 2024

मुरैना. बारिश शुरू होते ही खरीफ फसल की बोवनी के साथ खाद यूरिया व डीएपी की मांग शुरू हो जाती है। फसल की पैदावार अच्छी हो इसके लिए किसानों को खाद की जरूरत होती है।
जिले में खाद को लेकर हर साल अव्यवस्था फैलती है। प्रशासन हर बार दावा करता है कि खाद पर्याप्त है लेकिन फिर भी किसानों को कई दिन चक्कर काटने के बाद खाद मिलता है। इसे प्रशासनिक अव्यवस्था कहेंगे या फिर विभागीय अधिकारियों की अनदेखी, जो भी हो किसान तो परेशान हो ही रहा है। जिला मुख्यालय की बात करें तो कृषि उपज मंडी परिसर में डीएमओ का वितरण केन्द्र, इंडस्ट्रियल एरिया में ए पी एग्र्रो और जीवाजी गंज में सहकारी संस्था का वितरण केन्द्र खोला गया है लेकिन खाद वितरण व्यवस्थित न होने से किसानों को पूरे दिन परेशान होना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो डीएमओ के वितरण केन्द्र पर होती है। यहां बारिश के चलते खड़े होने के लिए जगह भी नहीं रहती। काउंटर के बाहर पानी भर जाता है। एक तो यहां काउंटर देरी से खुलता है और फिर सर्वर डाउन का बहाना करके कर्मचारी कभी काउंटर बंद करके रफूचक्कर हो जाते हैं।
प्राइवेट दुकानों पर खाद की कालाबाजारी
जीवाजी गंज, फाटक बाहर, जौरा रोड सहित शहर में अन्य प्राइवेट दुकानों पर खाद की काला बाजारी हो रही है। लाइन में लगने की परेशानी से बचने के चलते किसान मजबूरी में ब्लैक में खाद खरीद रहा है। दुकानदारों ने 270 का कट्टा 320 से 360 तक बेचा जा रहा है। पिछली साल भी खाद की काला बाजारी का मामला पकड़ा गया था। एसएडीओ के पत्र के आधार पर तहसीलदार ने कलेक्टर को पत्र लिखा था लेकिन उक्त फर्म के खिलाफ आज दिनांक कार्रवाई नहीं हुई, जिससे ब्लैक कारोबारी निरंकुश हो गए और कृषि विभाग के अधिकारियों के निर्देशों को अनसुना करते हुए फिर से उनके द्वारा कालाबाजारी की जा रही है।
एक हैक्टेयर में इतनी लगती है खाद की मात्रा
म प्र में ज्यादातर बीघा के हिसाब से खेतों की माप होती है। जबकि एक हैक्टेयर में 3.9 बीघा होता है। अधिकांश किसान एक बीघा में एक कट्टा यूरिया खाद देते हैं इस लिहाज से एक हैक्टेयर में चार कट्टा यूरिया खाद दिया जाता है। किसानों की माने तो ऐसे खेत जो समतल नहीं हैं, उनमें एक से दो कट्टे तक भी यूरिया खाद दिया जाता है।
जिले में खाद वितरण के हालात
जिले के खाद वितरण के हालात ठीक नहीं हैं। बारिश हो रही हो धूप हो, किसान को तो खुले में ही खड़ा होना पड़ रहा है। मुरैना डीएमओ काउंटर के बाहर पानी भर जाता है इसी तरह अंबाह में भी कृषि उपज मंडी परिसर में गोदाम हैं, जहां से खाद का वितरण किया जा रहा है। जहां किसानों को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जिले भर के खाद वितरण केन्द्रों पर किसानों के लिए पानी, छाया की कोई व्यवस्था नहीं हैं।
तहसील बार ये है यूरिया व डीएपी का स्टॉक
मुरैना 746.34
अंबाह 544.25
पोरसा 314.20
सबलगढ़ 207.00
कैलारस 258.80
जौरा 211.95
नोट: यूरिया व डीएपी की नाप मैट्रिक टन में हैं।
क्या कहते हैं किसान

  • खाद वितरण को लेकर प्रशासन बैठक करता है और प्लानिंग भी तैयार करता है लेकिन उस प्लानिंग पर काम नहीं होता, इसलिए किसान परेशान हो रहे हैं।रामविलास शर्मा, किसान
  • खाद वितरण को लेकर हर साल अव्यवस्थाएं फैलती हैं उसके बाद भी विभागीय अधिकारी प्लानिंग से काम नहीं करते, किसान लंबी लाइन में लगकर परेशान हो रहे हैं।राजेश सिकरवार, किसान
  • अधिकारी बैठकों में बड़ी- बड़ी बातें करते हैं लेकिन उन पर अमल नहीं होता है। दो कट्टे खाद के लिए तीन से चार दिन तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।माताराम शर्मा, किसान
  • सरकारी वितरण केन्द्रों पर खाद वितरण की प्रक्रिया जटिल है इसलिए किसान मजबूरी में प्राइवेट से 320 से लेकर 350 तक ब्लैक में खरीद रहा है।रामवीर तोमर, किसानउप संचालक कृषि पी सी पटेल से सीधी बातपत्रिका: खाद का पर्याप्त स्टॉक होने के बाद भी किसानों को लंबी- लंबी लाइन लग रही हैं।डीडी: किसान सरकारी खरीद केन्द्र पर ही खाद लेने पहुंच रहा है जबकि हमने प्राइवेट में दे रखा है, वहां से भी किसान ले सकते हैं।पत्रिका: प्राइवेट में खाद ब्लैक में मिल रहा है।डीडी: अभी तक ब्लैक की कोई शिकायत नहीं आई है, अगर शिकायत मिलती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
27 Jul 2024 03:09 pm
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