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धर्मगढ़ में ग्रामीणों की अनूठी पहल: अपने खर्चे से बनाई गौशाला

500 से अधिक गोवंश को मिला सुरक्षित आश्रय, ग्रामीणों ने अपने स्तर पर शुरू की गोशाला, फसल भी सुरक्षित और गोवंश भी, शासकीय मदद के बाद भी ठीक से नहीं गोशालाओं का संचालन नहीं करने वालों के लिए पेश की नजीर

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मुरैना. विकासखंड पोरसा के धर्मगढ़ में ग्रामीणों की अनूठी पहल की है। अपने खर्चे से गोशाला तैयार की है। जिसमें 500 से अधिक गोवंश को सुरक्षित आश्रय मिला है। इससे किसान की फसल और गोवंश दोनों ही सुरक्षित हैं। धर्मगढ़ के ग्रामीणों ने उन लोगों के लिए नजीर पेश की है जो शासन के पैसे डकार कर भी ठीक से गोशालाओं का संचालन नहीं कर पा रहे हैं और गोवंश दर दर ठोकरें खाता फिर रहा है।


धर्मगढ़ में ग्रामीणों ने गोवंश संरक्षण को लेकर एक मिसाल कायम की है। गांव के लोगों ने आपसी सहयोग और स्वयं के व्यय से एक विशाल गौशाला का निर्माण कर लगभग 450 से 500 लावारिस गोवंश को सुरक्षित आश्रय प्रदान किया है। इस पहल से न केवल गोवंश को संरक्षण मिला है, बल्कि किसानों को भी बड़ी राहत मिली है। ग्रामीणों ने अपनी निजी भूमि पर गोशाला का निर्माण किया है। इसके चारों ओर करीब दो से ढाई लाख रुपए की लागत से जालीदार तार फेंसिंग कराई गई है, ताकि गोवंश सुरक्षित रह सके। इतना ही नहीं, गायों के लिए करब, भूसा और चारे की व्यवस्था भी ग्रामीणों द्वारा स्वयं के खर्च पर की जा रही है।

अब रात को फसल की रखवाली करने खेतों पर नहीं जाते किसान

गोशाला के निर्माण के बाद गांव के किसानों को रात में खेतों की रखवाली से मुक्ति मिल गई है। अब लावारिस गोवंश के भय से मुक्त होकर ग्रामीण रात्रि में चैन की नींद अपने घरों में सो पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि पहले पूरी-पूरी रात खेतों में जागकर उनको रखवाली करनी पड़ती थी, जिससे स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन दोनों प्रभावित होते थे।

शासन की योजनाओं पर उठाए सवाल

ग्रामीणों ने शासन की योजनाओं पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि शासन द्वारा कई पंचायतों में 25 से 32 लाख रुपए की लागत से पक्की गोशालाएं बनाई गई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वहां मात्र 15 से 20 गोवंश ही रखे गए हैं, जबकि धर्मगढ़ की गोशाला में बिना किसी शासकीय सहायता के सैकड़ों गायों का पालन किया जा रहा है।

ये बोले ग्रामीण

हमने निजी भूमि पर लगभग ढाई लाख की कीमत से ढाई से तीन बीघा की तार फेंसिंग कर दी है जिसमें जाली लगाई गई है जिससे गायों को कोई परेशानी ना हो और भूसा करब एवं आलू इत्यादि द्वारा इनका भरण पोषण कर रहे हैं।

रवि उपाध्याय, ग्रामीण

गायों की व्यवस्था तो हम सभी लोगों ने मिलकर कर ली है लेकिन भविष्य में इनका खर्चा कैसे उठा पाएंगे, इसको लेकर चिंता सता रही है। शासन व प्रशासन इस दिशा में मदद करे तो गोशाला को और बेहतर बनाया जा सकता है।

कप्तान सिंह, ग्रामीण