दो प्राध्यापक अस्थायी रूप से अन्यंत्र पदस्थ, एक रिटायर्ड, पद खाली हों, तब हो अतिथि विद्वानों की व्यवस्था, आयुक्त ने लिखा पत्र: एकल स्टाफ को करें वापस
मुरैना. जिले की एक मात्र लीड संस्था शासकीय कन्या महाविद्यालय मुरैना में पिछले एक साल से स्टाफ की कमी के चलते शिक्षण व्यवस्था ठप पड़ी है। दो प्राध्यापकों को अस्थायी रूप से दो माह के लिए ग्वालियर पदस्थ किया था लेकिन उनको वापस नहीं किया गया है। वहीं एक विषय की प्राध्यापक रिटायर्ड हो गई हैं, उनका प्रकरण निपटा नहीं हैं इसलिए पद खाली नहीं हुए। पद खाली हों, तब स्टाफ की व्यवस्था शासन स्तर से की जा सके।
शासकीय लीड कॉलेज में राजनीति विज्ञान, इतिहास और हिंदी के प्राध्यापक नहीं हैं। शासन स्तर से एक साल पूर्व कुछ प्राध्यापकों को दो माह के लिए डिप्लोय किया था। उसमें मुरैना गल्र्स कॉलेज से भी राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. अनीता मेवाफरोस को एमएलबी कॉलेज ग्वालियर और हिंदी की प्रोफेसर डॉ. मुक्ता अग्रवाल को के आर जी कॉलेज ग्वालियर डिप्लोय (अस्थायी रूप से वैकल्पिक व्यवस्था) की गई थी, स्थानांतरण नहीं। संभाग के अन्य प्राध्यापकों की तो वापसी कर दी गई लेकिन मुरैना गल्र्स कॉलेज के दोनों प्राध्यापकों की अभी तक वापसी नहीं की गई है। वहीं इतिहास की प्राध्यापक डॉ. कमलेश श्रीवास्तव दो साल पूर्व सेवानिवृत्त हुई थीं, उनका पेंशन प्रकरण अभी तक निपटा नहीं हैं इसलिए ये तीनों ही विषय छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कक्षाएं नहीं लगने से विभागों में ताले पड़े हैं।
पद खाली हों, तब शासन करे व्यवस्था
प्राध्यापकों का स्थायी रूप से स्थानांतरण हो जाए तो तब पद खाली होगा, डिप्लोय की स्थिति में पोर्टल पद खाली नहीं बताता। इसलिए नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है। अगर ऑनलाइन पद खाली शो करने लगे तो शासन अतिथि विद्वान भेजकर व्यवस्था कर सकता है। राजनीति विज्ञान, हिंदी, इतिहास विषय के पद खाली न होने पर नया स्टाफ नहीं आ पा रहा है।
शासकीय कन्या महाविद्यालय मुरैना में बीए, बीएससी, बीकॉम प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष में हिंदी विषय की करीब 500 छात्राएं, बीए राजनीति विज्ञान 50, बीए इतिहास में 40 एवं एम ए राजनीति विज्ञान में 30 छात्राओं ने एडमीशन लिया है। लेकिन पिछले एक साल से कॉलेज में कोई कक्षाएं नहीं लगी हैं, जिससे उनकी शिक्षण व्यवस्था सीरीज तक सिमटकर रह गई है।
उच्च शिक्षा संचालनालय भोपाल के सख्त निर्देश हैं कि जिन कॉलेजों का स्टाफ डिप्लोय किया हैं, वहां अगर वह विषय में एकल स्टाफ है तो उनको डिप्लॉय समाप्त कर संबंधित प्राध्यापकों की मूल संस्था में वापसी की जाए। इस आशय का पत्र प्रबल सिपाहा आयुक्त उच्च शिक्षा म प्र शासन भोपाल ने 15 सितंबर को प्रदेश के समस्त कॉलेजों के प्राचार्यों के नाम पत्र लिखा है, उसमें भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया है कि जहां विषय में एक ही स्टाफ था, उनका डिप्लॉय समाप्त कर संंबंधित को मूल संस्था में भेजा जाए।
राजनीति विज्ञान में कोई पढ़ाने वाला नहीं है, मैंने बीए प्रथम वर्ष और अब द्वितीय वर्ष में आ गई, कक्षाएंए नहीं लगती इसलिए सीरीज बगैरह से सिलेबस की तैयारी करनी पड़ रही है।
मैं राजनीति विज्ञान व इतिहास से बीए कर रही हूं, एक भी विषय में टीचर्स नहीं हैं। जिससे कक्षाएं नहीं लगतीं। गूगल से सिलेबस डाउनलोड करके अध्ययन करना पड़ रहा है।
यह बात सही है कि राजनीति विज्ञान, हिंदी व इतिहास में स्टाफ नहीं हैं, छात्राएं परेशान हैं। हमने शासन को कई बार पत्र लिखा है कि तीनों विषय में वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, जिससे छात्राओं की पढ़ाई सुचारू हो सके।