Maharashtra Politics: मुंबई बीएमसी चुनाव (BMC Elections) में इस बार कांटे की टक्कर होगी। उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के चलते राजनीतिक माहौल गरमा गया है। राज्य के 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान होना है, ऐसे में सभी दल अपने-अपने स्तर पर प्रचार में ताकत झोंक रहे हैं। दूसरी तरफ, मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) को लेकर भी राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। देश की सबसे अमीर महानगरपालिका पर कब्जा जमाने के लिए सियासी दलों ने अपनी रणनीतियों को धार देना शुरू कर दिया है।
मुंबई बीएमसी चुनाव में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। दरअसल उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इस वजह से भाजपा को मराठी भाषी वोटों के खिसकने का डर सता रहा है।
जानकारी के मुताबिक, भाजपा इस बार चुनावी मुहिम में मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए अपना एजेंडा तैयार कर रही है। सत्तारूढ़ पार्टी मुंबई के मराठी बहुल वॉर्डों पर विशेष ध्यान दे रही है। बीएमसी के 86 वॉर्ड ऐसे हैं जहां मराठी मतदाताओं का प्रभाव सबसे ज्यादा है। भाजपा की योजना है कि अगले पंद्रह दिनों में बूथ प्रमुखों के माध्यम से इन वॉर्डों के मराठी मतदाताओं से सीधा संवाद किया जाए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी मिलकर मराठी बहुल क्षेत्रों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करेंगे, ताकि मतदाताओं तक अपनी बात सीधे पहुंचाई जा सके। इसके साथ ही भाजपा ‘मुंबई विकास’ अभियान के तहत उद्धव ठाकरे की पूर्व बीएमसी सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार को भी बड़े स्तर पर मुद्दा बनाएगी।
मुंबई में ठाकरे भाईयों के एक साथ आने की वजह से भाजपा ने मराठी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है। पार्टी को उम्मीद है कि मराठी वोटरों के साथ सीधा संवाद और विकास आधारित प्रचार अभियान उसे बीएमसी चुनाव में बढ़त दिला सकता है। भाजपा एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन में बीएमसी चुनाव लड़ेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे राज्य की छह महत्वपूर्ण नगर निगमों में साथ चुनाव लड़ सकती है। इनमें बीएमसी, ठाणे महानगरपालिका (TMC), कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC), नवी मुंबई महानगरपालिका, पुणे महानगरपालिका और नासिक महानगरपालिका शामिल हैं।
ठाकरे भाईयों के बीच असली चुनौती सीटों का बंटवारा है। दरअसल मनसे मराठी बहुल वार्डों में अधिक से अधिक सीटें चाहती है। खासकर दादर, माहिम, वर्ली, शिवडी, भायखला, भांडुप और जोगेश्वरी जैसे इलाकों में दोनों ही दल अपने-अपने उम्मीदवार उतारने का प्रयास करेंगे। शिवसेना ठाकरे गुट साफ कर चुका है कि वह केवल उन सीटों पर समझौता करेगा, जहां मनसे का संगठन मजबूत है और उनके उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हैं।