
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे (Photo: IANS)
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। मुंबई नगर निगम (BMC) सहित नगर पालिकाओं और अन्य नगर निगमों के चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द ही होने की उम्मीद है। इस बीच सूबे की राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ आया है। कई सालों से अलग राह पर चल रहे ठाकरे परिवार के दोनों शीर्ष नेता, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, अब फिर एक साथ आते दिख रहे हैं। एक दिन पहले ही शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवतीर्थ आवास जाकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की। इस दौरान बीएमसी और अन्य नगर निगम चुनावों को लेकर दोनों भाईयों में लंबी चर्चा हुई।
मिली जानकारी के मुताबिक, मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) ने राज्य की छह महत्वपूर्ण नगर निगमों में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इनमें बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC), ठाणे महानगरपालिका (TMC), कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC), नवी मुंबई महानगरपालिका, पुणे महानगरपालिका और नासिक महानगरपालिका शामिल हैं।
इस संभावित गठबंधन को ठाकरे भाईयों की राजनीति में एक नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ठाकरे भाईयों के बीच असली चुनौती सीटों का बंटवारा है। इसलिए ठाणे में शिवसेना उद्धव गुट की ओर से राजन विचारे और मनसे की ओर से अविनाश जाधव को बातचीत की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि कल्याण-डोंबिवली में मनसे के पूर्व विधायक राजू पाटिल और शिवसेना के विधायक वरुण सरदेसाई सीटों पर चर्चा करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, मनसे मराठी बहुल वार्डों में अधिक से अधिक सीटें चाहती है। उद्धव गुट के वर्तमान 20 से 25 नगरसेवकों वाली सीटों पर भी मनसे ने दावेदारी जताई है। इसके अलावा, शिंदे गुट में गए कुछ पूर्व शिवसेना नगरसेवकों की सीटों पर भी मनसे की नजर है। यही वजह है कि दादर, माहिम, वर्ली, शिवडी, भायखला, भांडुप और जोगेश्वरी जैसे मराठी प्रभाव वाले क्षेत्रों में दोनों दलों के बीच रस्साकशी की खबर आ रही है। शिवसेना ठाकरे गुट साफ कर चुका है कि वह केवल उन सीटों पर समझौता करेगा जहां मनसे का संगठन मजबूत है और उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हों। इसलिए हर सीट पर बारीकी से मंथन जारी है।
बताया जा रहा है कि शिवसेना (UBT) और मनसे के बीच गठबंधन पर सहमति बन गई है, लेकिन यह तय करना कि कौन किस वार्ड से चुनाव लड़ेगा, अभी बाकी है। ठाकरे भाईयों की गुरुवार की मुलाकात में भी इस पर अंतिम फैसला नहीं हो सका।
मुंबई सहित छह नगर निगमों में शिवसेना-मनसे गठबंधन बड़ा असर डाल सकता है। उधर, विरोधियों का कहना है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का अब महाराष्ट्र की राजनीति में कोई ठोस असर नहीं रह गया है। दोनों सत्ता के लिए अलग हुए थे और सत्ता के लिए ही फिर एक होने की कोशिश कर रहे हैं। न तो इनमें विचारधारा बची है और न जनाधार। मनसे के पास न तो कोई अपना विधायक है और न ही सांसद।
लगभग दो दशक बाद 5 जुलाई को मराठी भाषा के एक सम्मेलन में पहली बार दोनों भाई एक ही मंच पर आए थे। हालांकि, ठाकरे ब्रदर्स के एक साथ आने से विपक्ष के महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) में दरार भी देखी गई है। पिछले दिनों कांग्रेस ने अपना रुख स्पष्ट किया। कांग्रेस ने ऐलान किया कि वह बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी।
Published on:
28 Nov 2025 06:00 pm
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