महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक के सार्वजनिक ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया है। उनके बेटे को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
महाराष्ट्र सरकार ने बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक लोक न्यास का पुनर्गठन करते हुए बड़ा निर्णय लिया है। भाजपा नीत महायुति सरकार ने शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे को एक बार फिर ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने शासकीय आदेश (जीआर) जारी कर दिया है। इसके साथ ही उद्धव के बेटे व शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे को भी अगले पांच वर्षों के लिए ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है।
सरकार के नए आदेश के अनुसार, उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के साथ ही शिवसेना उबाठा के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई की नियुक्ति पांच साल की अवधि के लिए की गई है। वहीं शिशिर शिंदे और पराग आलवने को तीन वर्ष के लिए ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है। ट्रस्ट में पदेन सदस्यों के रूप में महाराष्ट्र सरकार के सचिव, प्रधान सचिव और मुंबई महानगरपालिका (BMC) के आयुक्त भी शामिल होंगे।
शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक से जुड़ा यह फैसला राजनीतिक नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। मुंबई में कुछ ही महीनों में बीएमसी चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य सरकार का यह निर्णय सत्ताधारी पक्ष के लिए माहौल बनाने में मदद कर सकता है। राजनीतिक हलकों में यह भी माना जा रहा है कि यह कदम मराठी मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करेगा।
बालासाहेब ठाकरे का स्मारक मुंबई के दादर इलाके में शिवाजी पार्क स्थित मेयर बंगला स्थल पर बनाया जा रहा है। यह ट्रस्ट स्मारक के निर्माण की देखरेख कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने इस लोक ट्रस्ट की स्थापना 27 सितंबर 2016 को की थी। तब बालासाहेब के बेटे उद्धव ठाकरे इसके अध्यक्ष थे।
इस बीच, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर कई सवाल खड़े किए हैं। भाजपा नीत एनडीए पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में जीतने वाले को विजेता माना जाता है और जीतने वाले को बधाई दी जानी चाहिए। हम नीतीश कुमार को भी उनकी जीत के लिए बधाई देते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि जो जीता वही सिकंदर, लेकिन सिकंदर बनने का रहस्य अब तक कोई समझ नहीं पाया है।
ठाकरे ने कहा, एक बात जो मुझे हैरान करती है कि प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव की सभाओं को भारी प्रतिक्रिया मिली, जनसैलाब उमड़ा, वो असली थी या एआई से बनाई गयी थी? यह समझ से परे है। जिनकी सभाओं में सबसे ज्यादा कुर्सियां भरी रहती हैं, उनकी सरकार नहीं बनती, बल्कि जिनकी सभाओं में सबसे ज्यादा खाली कुर्सियां होती हैं, वह जीत जाते है, यह लोकतंत्र में समझ से परे है।
चुनाव आयोग (Election Commission) पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "बिहार के लोग पूछ रहे हैं कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ, वही अब बिहार में क्यों हो रहा है? चुनाव पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं है। लोकतंत्र पर भरोसा बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को पारदर्शी और स्पष्ट जवाब देना ही होगा।"