Mumbai Monorail Mishap: देश की एकमात्र मोनोरेल सेवा, मुंबई मोनोरेल, जो चेंबूर और संत गाडगे महाराज चौक के बीच चलती है, 20 सितंबर से अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई है।
Mumbai Monorail Mishap: मुंबई मोनोरेल बुधवार सुबह ट्रायल रन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हादसा वडाला डिपो स्टेशन के पास हुआ। इसमें मुंबई मोनोरेल के एक नए रैक को क्षति पहुंची है। हादसे के समय ट्रेन में केवल ट्रेन कैप्टन और कंपनी का इंजीनियर सवार थे। मुंबई मोनोरेल पूरे देश में एकमात्र मोनोरेल सेवा है। चेंबूर से संत गाडगे महाराज चौक के बीच चलने वाली यह मोनोरेल सेवा अपग्रेडेशन के लिए 20 सितंबर से अस्थायी रूप से बंद है।
शुरुआती जानकारी के मुताबिक, यह दुर्घटना पटरी बदलते समय हुई। महामुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMMOCL) ने अधिकारिक बयान में कहा, वर्तमान में चल रही तकनीकी उन्नयन कार्यक्रम के तहत उन्नत प्रणाली परीक्षणों की एक श्रृंखला चला रहा है। इन नियमित सिग्नलिंग परीक्षणों में से एक के दौरान एक मामूली घटना हुई। हालांकि, स्थिति को तुरंत नियंत्रण में ले लिया गया और इस घटना में किसी भी कर्मचारी या अन्य व्यक्ति को कोई चोट नहीं आई। इस दौरान दो तकनीकी स्टाफ सदस्य, जिनमें मोनोरेल ऑपरेटर भी शामिल था, परीक्षण कर रहे थे। परीक्षण एक पूरी तरह से सुरक्षित वातावरण में किया गया था, जिसमें सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया गया था।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह हादसा सिग्नलिंग उपकरणों के सही से काम न करने के कारण हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते ऑपरेशन कंट्रोल रूम को ट्रेन के वास्तविक स्थान का पता नहीं चल सका और गाइडवे बीम स्विच (Guideway Beam Switch) को उस समय मूव किया गया जब रैक स्विच प्वाइंट पर था, जिससे यह दुर्घटना घटी।
बता दें कि ‘गाइडवे बीम स्विच’ एक जटिल स्विचिंग प्रणाली है, जिसका उपयोग मोनोरेल ट्रेनों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर मोड़ने के लिए किया जाता है।
इससे पहले तकनीकी खराबी के चलते 19 अगस्त की शाम में वडाला इलाके में चेंबूर की ओर जा रही मोनोरेल बीच रास्ते में बंद पड़ गई थी। कई घंटे तक उसमें यात्री फंसे रहे और बाद में कांच तोड़कर सभी को रेस्क्यू करना पड़ा था।
पहली बार मुंबई मोनोरेल में कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (CBTC) तकनीक पेश किया जा रहा है। सीबीटीसी तकनीक हैदराबाद में विकसित किया गया है। पांच इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, 260 वाई-फाई एक्सेस पॉइंट, 500 RFID टैग, 90 ट्रेन डिटेक्शन सिस्टम और कई सुरक्षा उपकरण लगाए जा चुके हैं। इनका परीक्षण भी जारी है। यह सिस्टम ट्रेनों के बीच का अंतराल घटाएगा और सेवाओं को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगा।
इसके अलावा, ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत 10 नए रेक MEDHA कंपनी से मंगाए गए हैं। साथ ही पुराने रेक्स की मरम्मत और अपग्रेडेशन भी इसी अवधि में किया जाएगा ताकि सेवाएं तकनीकी खराबियों से मुक्त रहें।